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* Heavy for next 20 hours India ** WHO ICMR warns India *Bal Vanita Mahila AshramWHO ICMR has said that if Indians do not improve in 20 hours, then India will talk about "THIRD STEP" at 11 o'clock last night.

*अगले 20 घ॔टे भारत के लिए भारी* *WHO ICMR की भारत को चेतावनी* बाल वनिता महिला आश्रम WHO ICMR ने कहा है कि यदि 20 घ॔टे में भारतीय नहीं सुधरे तो भारत कल रात 11 बजे के बात 'THIRD STEP" यानी " कम्युनिटी ट्रान्शमिशन"में प्रवेश कर जायेगा।  और अगर भारत कल रात तक थर्ड स्टेज यानी कम्यूनिटी ट्रांशमिशन में जाता है तो भारत मे 15 APRIL तक लगभग 50000(पचास हजार) तक मौतें हो सकती हैं,क्यूँकि अन्य देशों की अपेक्षा भारत का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है परन्तु भारतीय अभी तक इसकी गम्भीरता को नहीं समझ रहे हैं। ईश्वर से दुआ करो की कल तक भारत सेकेंड स्टेज में ही रहे।  सभी नागरिकों से निवेदन प्लीज मस्ती मजाक सलाह कोरेना से सम्बंधित खबर छोड़ आज रात तक जितना हो ये फैलाओ की कुछ भी हो जाये *72 से 108 घण्टा बिल्कुल भी न निकले* क्योकि कल भारत 3 स्टेज में शायद जा सकता है प्लीज सभी को अंदर रहने के लिये प्रेरीत करो 🙏🙏 *अगर उचित समझें तो इसे इतना शेयर करो कि पूरे भारत में फैला दो* ☝️सभी से निवेदन है की पहले से ज्यादा सतर्कता रखें* *🍁शहरों मे हॉस्पिटल में जगह नहीं है, सारी पहचान पैसा कुछ भ

Kumbh: More than 1200 Corona positive cases occurred in three days, 14 lakh people took a dip in the third royal bath By social worker Vanita Kasani PunjabHaridwar: 120 of Corona in last three days at Kumbh Mela

कुंभ: तीन दिनों में 1200 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले आए, तीसरे शाही स्नान में 14 लाख लोगों ने लगाई डुबकी  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हरिद्वार:  कुंभ मेले में पिछले तीन दिनों में कोरोना के 1200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। हरिद्वार के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसके झा ने बताया कि 10 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच तीन दिनों में 1278 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए जबकि 13 और 14 अप्रैल की रिपोर्ट आनी बाकी है। वहीं बुधवार को शाही स्नान में करीब 14 लाख लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई।  मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि कोरोनावायरस संक्रमण के मददेनजर जिला स्वास्थ्य विभाग तथा मेले से जुडी अन्य एजेंसियों के माध्यम से प्रतिदिन लगभग पचास हजार जांच हो रही हैं।  कुंभ मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि मेला क्षेत्र की सीमाओं पर श्रद्धालुओं के कोविड प्रमाणपत्रों की सघन जांच हो रही हैं। उन्होंने कि प्रमाणपत्र न होने पर अब तक 56 हजार श्रद्धालुओं को सीमा से वापस लौटा दिया गया है। महाकुंभ शाही स्नान के दौरान भी आने जाने वाले लोगों को पुलिस के जवान मास्क बांटते और सावधानी बरतने की सलाह द

क्यों आया कोरोना दुबारा और कब तक रहेगा कोरोना ?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब2020 के शुरू में कोरोना की शुरुआत हुई थी । तब मैंने शनि के मकर राशि में प्रवेश की वजह से होने वाले परिणामों के बारे में न सिर्फ अपनी वेबसाइट पर लिखा था बल्कि कोरा पर भी लिखा था और यह अभी भी मेरी साइट ब्लॉगर covid 19 पर अंग्रेजी में मौजूद है ।मूलतः शनि मकर राशि में आने पर जनता को किसी न किसी तरह से त्रस्त रखता है। कारण आंतरिक अशांति , गृहयुद्ध, सूखा, बाढ़, भूकम्प , टिड्डी आदि कीटों से फसलों की हानि और उससे जनित अकाल , महामारी आदि कुछ भी हो सकता है और यह विश्वव्यापी होता है ।शनि मकर या किसी भी राशि में करीब 30 महीने रहता है और हर 30 साल बाद आता है । अभी यह 24 जनवरी 2020 से आया है और 29 अप्रैल 2022 तक रहेगा । इससे पहले यह 1990 से 1993 में आया था और उससे भी पहले 1961–63 में आया था .याद करें 1990–1993 में क्या क्या हुआ था ।उन दिनों देश में ढीली ढाली गठबंधन सरकार थी और आर्थिक स्थिति अब के पाकिस्तान जैसी थी । 1991 में देश को सोना गिरवी रखकर आयात करना पड़ा था । मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद बनी नरसिम्हाराव की सरकार को देश में आर्थिक उदारीकरण करना पड़ा क्योंकि देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह तबाह थी । इसी दौरान आडवाणी की रथयात्रा , मंडल कमीशन , हिन्दू मुस्लिम दंगे , 6 दिसम्बर 1992 की अराजकता और उसके बदले में 1993 के मुम्बई बम्ब ब्लास्ट के अलावा आरक्षण समर्थक और विरोधी आंदोलन भी इसी दौर में हुए थे ।भारत से बाहर अमेरिका , इराक -कुवैत का युद्ध , तेल की बढ़ी कीमतें इसी दौर में हुईं थीं ।इससे पहले 1961–1963 में देश ने चीन का आक्रमण देखा । देश में अकाल की स्थिति भी इस दौर में थी । क्यूबा का मिसाइल संकट ,सोवियत संघ -अमेरिका का तनाव भी इसी कालखंड में था ।इससे पहले 1931–33 में विश्वव्यापी मंदी चल रही थी ।सिर्फ शनि मकर राशि में हो तो यह फल होते ही हैं इसलिए 2020–22 के लिए भी मैंने इन्हीं परिणामों की सम्भावना 2019 के अंत होते समय लिखी थी ।2020 के आरंभ होते होते कोरोना महामारी की शुरुआत हो गयी थी । मेरे पास अनेक फोन आने शुरू हो गए थे कि यह कब तक रहेगी । बार बार उत्तर देने की जगह मैंने अपने पहले पेज पर इसका टाइम टेबल लगा दिया था जो अभी भी मौजूद है ।अब तक के शनि के मकर राशि में गोचर के परिणाम हम शाहीन बाग़, किसान आंदोलन ,गलवां में चीनी आक्रमण , टिड्डी दल के आगमन , अर्थव्यवस्था की दुर्गति, कोरोना महामारी , किसान आंदोलन के रूप में देख चुके हैं ।मोदी सरकार जब भी किसी आंदोलन में फंसती है भगवान दूसरी विपदा भेज कर उसे उबार लेती है ☺️☺️☺️इस बार का कोरोना किसान आंदोलन से मुक्ति देगा , पिछली बार शाहीन बाग से मिली थी।लेकिन इस बार शनि मकर राशि में 1990–93 की तरह अकेला नहीं था । वहां गुरु बृहस्पति भी अप्रैल 2020 से आ जा रहे थे ।यहां पर ध्यान देने की बात यह है कि जब भी गुरु किसी ग्रह के समीप आता है उसी राशि में तो पाप ग्रह अपने दुष्प्रभाव कम कर देता है और जब वह गुरु से दूर चला जाता है तो उसके दुष्प्रभाव बढ़ जाते हैं ।2020 और 2021 में निम्न समयांतराल में गुरु शनि के नज़दीक और दूर , वक्री और मार्गी होने से होता रहा या होता रहेगा ।30 मार्च 2020 से गुरु ने मकर राशि में प्रवेश किया और मार्गी गति से 15 मई 2020 तक शनि से सिर्फ 3 अंश की दूरी पर था । इस समय ज्यादातर देश लाक डाउन में थे और देश में कोरोना नियंत्रण में था ।15 मई 2020 से गुरु वक्री (उल्टी) गति से चलना शुरू किया और शनि से दूर हटने लगा । ऐसा 4 महीने तक चला और यह हर साल चार महीने वक्री रहता है । और एक जुलाई 2020 को गुरु वक्री गति से मकर राशि को छोड़कर वापस धनु राशि में आ गया । 15 मई 2020 से देश भर में महानगरों से लोग पैदल चल कर गांव पहुंचने लगे जो जून अंत तक चला और फिर जुलाई से सितंबर तक जब शनि मकर राशि में अकेला और वक्री था , तब देश में कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा लोग बीमार हुए ।सितंबर 2020 के अंत में गुरु जो केतु के साथ वक्री था , पुनः सीधी चाल से चलकर शनि की तरफ बढ़ना आरम्भ हुआ । इसी समय केतु भी गुरु को धनु में छोड़कर वृश्चिक राशि में गया । इन दोनों कारणों से कोरोना की स्थिति में अक्टूबर 2020 से सुधार चालू हुआ । 20 नवम्बर को यह पुनः शनि की राशि में प्रविष्ट हुआ और 20 दिसम्बर 2020 को शनि के अंश तक पहुंच गया । इसी समय कोरोना के नए वैरिएंट की ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में खोज हुई जो बड़ी तेजी से फैल रहा था । गुरु के शनि के करीब होने से इसी समय विश्वभर में वैक्सीन के सफल परीक्षणों की घोषणा हुई और अमेरिका व अन्य देशों में वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई ।दिसम्बर 2020 के बाद से गुरु लगातार मकर राशि में शनि से दूर जा रहा था । तदनुसार दुनियां में कोरोना के नए वैरिएंट का फैलाव बढ़ने लगा था । अमेरिका, ब्रिटेन में बर्फबारी के मौसम में सबसे ज्यादा मौतें जनवरी में हो रहीं थीं । भारत में भी नया वैरिएंट पैर फैला रहा था लेकिन लोग निश्चिंत थे , सरकार ने टेस्टिंग और सतर्कता घटा दी थी , वैक्सीन आने की घोषणा से लोग अति निश्चिन्त हो गए, शादी बरात , घूमना , फिरना , शॉपिंग सब पहले जैसा हो गया। लोकल , मेट्रो , उड़ाने सब पहले की तरह चल रहा था जैसे कोरोना समाप्त हो गया हो । नतीजा यह हुआ कि नए वैरिएंट जो ज्यादा तेजी से फैल रहा था , उसको फैलने का पूरा मौका मिल गया ।नीचे 22 फरवरी 2021 के बैंगलोर का फोरम मॉल का एक कन्नड़ फ़िल्म के प्रोमोशन से जुड़ा चित्र है । इसमें ज्यादातर लोग बिना मास्क के एक दूसरे से चिपके खड़े हैं । यह चित्र मैंने खुद लिया था और लोगों को इस कमेंट के साथ भेजा था कि अब कोरोना फिर फैलेगा ।शनि से गुरु लगातार दूर हो रहा था और 6 अप्रैल 2021 को यह मकर राशि में शनि को अकेला छोड़कर कुम्भ राशि में प्रवेश कर गया ।अब शनि गुरु के नियंत्रण से सर्वथा मुक्त है , ठीक वैसे ही जैसे जुलाई 2020 से नवम्बर 2020 तक था । यह समय सबसे ज्यादा कोरोना से त्रस्त करेगा ।बाल वनिता महिला आश्रमकब कम होगा कोरोना ??15–20 जून के आसपास गुरु पुनः 4 महीने के लिए वक्री होगा और वह धीमी गति से शनि की ओर बढ़ेगा तो शनि पर कुछ नियंत्रण आएगा और कोरोना की मारक क्षमता कम होने लगेगी । सितंबर से नवम्बर तक यह पुनः शनि के साथ होगा तो उस समय तक कोरोना पर कुछ हद तक फिर नियंत्रण होगा ।20 नवम्बर 2021 से गुरु फिर से कुम्भ राशि में रहेगा तो अप्रैल 2022 तक कोरोना की तीसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा । लेकिन तीसरी लहर कमजोर होगी और लोग काफी हद तक वैक्सीनेटेड हो चुके होंगे तो इसका असर दूसरी लहर से कम होगा । उसके बाद कोरोना का मारक महत्व समाप्त हो जाएगा ।इसमें एक सहायक कारण केतु का वृश्चिक राशि और राहु का वृष राशि में होना भी है , जो भारत की लग्न पर गोचर है ।इसलिए भारत पर दूसरी कोरोना लहर का अप्रैल से अक्टूबर में ज्यादा असर होगा । यह गोचर भी अप्रैल 2022 में ही समाप्त होगा ।

क्यों आया कोरोना दुबारा और कब तक रहेगा कोरोना ? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 2020 के शुरू में कोरोना की शुरुआत हुई थी । तब मैंने शनि के मकर राशि में प्रवेश की वजह से होने वाले परिणामों के बारे में न सिर्फ अपनी वेबसाइट पर लिखा था बल्कि कोरा पर भी लिखा था और यह अभी भी मेरी साइट ब्लॉगर covid 19 पर अंग्रेजी में मौजूद है । मूलतः शनि मकर राशि में आने पर जनता को किसी न किसी तरह से त्रस्त रखता है। कारण आंतरिक अशांति , गृहयुद्ध, सूखा, बाढ़, भूकम्प , टिड्डी आदि कीटों से फसलों की हानि और उससे जनित अकाल , महामारी आदि कुछ भी हो सकता है और यह विश्वव्यापी होता है । शनि मकर या किसी भी राशि में करीब 30 महीने रहता है और हर 30 साल बाद आता है । अभी यह 24 जनवरी 2020 से आया है और 29 अप्रैल 2022 तक रहेगा । इससे पहले यह 1990 से 1993 में आया था और उससे भी पहले 1961–63 में आया था . याद करें 1990–1993 में क्या क्या हुआ था । उन दिनों देश में ढीली ढाली गठबंधन सरकार थी और आर्थिक स्थिति अब के पाकिस्तान जैसी थी । 1991 में देश को सोना गिरवी रखकर आयात करना पड़ा था । मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद बनी नरसिम्ह

क्या हम भविष्य में होने वाले हैंड सेनीटाइजर के दुष्परिणामों से वाकिफ हैं?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबमेरी ज्यादातर आदत रही , पर्स में सेनिटाइजर रखने की। अब कोरोना काल में तो, ये सब जरूरी ही हो गया है।अभी कुछ दिन पहले, मै किट्टी में गई थी, मैने बैठते ही सेनिटिजर निकाल कर हाथ में लगाया, क्योंकि हम लोगों के होटल में, लिफ्ट वगैरा में हाथ,या इधर उधर हाथ लगते ही रहते है। पास बैठी फ्रेंड को भी सेनिटिजर ऑफर किया, उसने मना कर दिया की, कि sanitizer लगाने से उसके हाथ बहुत रूखे हो गए।मैं सोचने लगी, कि सेनिटाइजर से भी हाथ खराब हो सकते हैं क्या?सैनिटाइजर के बारे में इतनी जानकारी नहीं थी कि इसके अत्यधिक इस्तेमाल से काफी नुकसान होता है। फिर जुट गई, इसकी एक्स्ट्रा जानकारी जानने के लिए, लीजिए सेनिटाइजर की पूर्ण व्याख्या😊हैंड सेनिटाइजर में मिले, कई तरह के केमिकल्स:1. हैंड सेनिटाइजर में ट्रायक्लोसान नाम का एक कैमिकल होता है। जो सेनिटाइजर के अत्यधिक उपयोग से हाथों की त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। ये रक्त के साथ मिलकर मांसपेशियों के आर्डिनेशन को नुकसान पहुंचाता है।2.सेनिटाइजर में मिला बेजालकोनियम क्लोराइड हाथों से बैक्टीरिया तो निकाल देता है, पर उसमे खुजली और जलन पैदा कर देता है।3.बहुत से सेनिटाइजर, खुशबू वाले होते है, जिसको लगाने से, और उसकी भीनी भीनी खुशबू से मन प्रसन्न तो हो जाता है, पर वह हमारी shin के लिए कितने नुकसानदेह है, पता नही चलता।ऐसे सेनिटाइजाओं में खुशबू के लिए फैथलेट्स नामक रसायन का इस्तेमाल होता है, इसकी अत्यधिक मात्रा, पाचन तंत्र पर बुरा असर छोड़ती है, ये हमारे लीवर, फेफड़े और प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचाते है।4.सेनिटाइजर के ज्यादा, इस्तेमाल से त्वचा ड्राई हो जाती है।बच्चों के लिए भी सेफ नहीं:1.ये अल्कोहल युक्त, होने के कारण बच्चों की सेहत के लिए भी सेफ नहीं है। अगर कभी बच्चा इसे पी ले, तो यह नुकसान देह है।2.रिसर्च के अनुसार, यह बच्चों के इम्युनिटी सिस्टम पर भी बुरा असर छोड़ता है।3. इससे बच्चे चिड़चिड़ी और बीमार हो जाते हैं।4. छोटे बच्चों की बार-बार मुंह में हाथ डालने की आदत होती है। जिससे उनके हाथ में लगा, सेनीटाइजर उनके पेट में जाता है। जो उनकी पाचन शक्ति को प्रभावित करता है। जिससे उनके पेट में दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है। इस कारण डॉक्टर्स बच्चों के लिए, अल्कोहल फ्री सेनीटाइजर इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।सैनिटाइजर एलर्जी होने का भी कारण बन सकता है:बच्चों के लिए हर्बल और ऑर्गेनिक सेनीटाइजर का उपयोग करना बेहतर होता है। नॉर्मल सैनिटाइजर में पाए जाने वाले केमिकल्स बच्चों में एलर्जी की समस्या पैदा कर सकते हैं। सेनिटाइजर की सुगंध, बच्चों के लिए नुकसानदेह भी होती है। इसलिए बच्चों के लिए, सुगंध रहित सेनिटाइजर का ही प्रयोग करें।सैनिटाइजर की वजह से आंखों में प्रॉब्लम:डॉक्टर्स के अनुसार, सेनिटाइजर में 60% 70% अल्कोहल की मात्रा होने से आंखों पर बुरा असर पड़ता है। इससे आंखों में जलन, चुभन, लाली और खुजली की समस्या होने लगती है। अल्कोहल की अधिक मात्रा कंजेटाईवा और कार्निया के लिए केमिकल ईरीटेंट का काम करती है।सेनिटाइजर की बजाय, साबुन से हाथ धोना बेहतर होता है:बहुत से लोग, हाथ धोने की बजाय, सेनिटाइजर लगाकर ही खाना खा लेते हैं, लेकिन यह गलत है ऐसा करने से सैनिटाइजर में पाया जाने वाला आइसोप्रोपिल अल्कोहल उनके हाथों के माध्यम से पेट में चला जाता है, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है यह फूड प्वाइजनिंग और पेट से जुड़ी बीमारियां होने का कारण भी बन सकता है।अगर आप घर और ऑफिस में हैं, तो साबुन से ही हाथ धोना बेहतर होता है।सेनिटाइजर में बहुत से हानिकारक केमिकल्स पाए जाते हैं, अगर आपने भोजन से पहले सैनिटाइजर का प्रयोग किया है तो भी आप साबुन से हाथ जरूर धोएं।अत्यधिक जरूरत के समय सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें:बाल वनिता महिला आश्रमअगर आप बच्चों के साथ बाहर घूमने, पिकनिक या मॉल में गए हैं, तभी सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें या फिर हॉस्पिटल या किसी बीमार व्यक्ति को देखने गए हैं तब सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें, क्योंकि बच्चे जल्दी ही बीमारियों के संपर्क में आ जाते हैं।अधिकतर लोग समझते हैं कि सेनिटाइजर लगा लिया, हम सेफ हो गए। पर ध्यान से देखा जाए, तो सेनिटाइजर का अत्यधिक उपयोग नुकसानदेह है, जो शरीर को अंदरूनी क्षति पहुंचाता है।इसलिए जरूरत के अनुसार ही सेनिटाइजर का उपयोग करना चाहिए। वरना पुराने जमाने की तरह, ज्यादा से ज्यादा साबुन इस्तेमाल करने की आदत डालें।चित्र: गुगल सेधन्यवाद।

क्या हम भविष्य में होने वाले हैंड सेनीटाइजर के दुष्परिणामों से वाकिफ हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब मेरी ज्यादातर आदत रही , पर्स में सेनिटाइजर रखने की। अब कोरोना काल में तो, ये सब जरूरी ही हो गया है। अभी कुछ दिन पहले, मै किट्टी में गई थी, मैने बैठते ही सेनिटिजर निकाल कर हाथ में लगाया, क्योंकि हम लोगों के होटल में, लिफ्ट वगैरा में हाथ,या इधर उधर हाथ लगते ही रहते है। पास बैठी फ्रेंड को भी सेनिटिजर ऑफर किया, उसने मना कर दिया की, कि sanitizer लगाने से उसके हाथ बहुत रूखे हो गए। मैं सोचने लगी, कि सेनिटाइजर से भी हाथ खराब हो सकते हैं क्या? सैनिटाइजर के बारे में इतनी जानकारी नहीं थी कि इसके अत्यधिक इस्तेमाल से काफी नुकसान होता है। फिर जुट गई, इसकी एक्स्ट्रा जानकारी जानने के लिए, लीजिए सेनिटाइजर की पूर्ण व्याख्या😊 हैंड सेनिटाइजर में मिले, कई तरह के केमिकल्स: 1. हैंड सेनिटाइजर में ट्रायक्लोसान नाम का एक कैमिकल होता है। जो सेनिटाइजर के अत्यधिक उपयोग से हाथों की त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। ये रक्त के साथ मिलकर मांसपेशियों के आर्डिनेशन को नुकसान पहुंचाता है। 2.सेनिटाइजर में मिला बेजालकोनिय

NewsPointभारत में कोरोना का अबतक का सबसे बड़ा विस्फोट , एक दिन में 1.52 लाख नए केस से दहशत वनिता पंजाब By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कहर मचा दिया है। देश में कोरोना का कहर दिन-प्रतिदिन नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है, जो डराने वाले हैं। शनिवार को रोजाना संक्रमण के नए मामले 24 घंटों के दौरान डेढ़ लाख के आंकड़े को भी पार कर गया। कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक प्रतिदिन मिलने वाले संक्रमितों की यह सर्वाधिक संख्या है। इससे एक दिन पहले यानी शुक्रवार को एक दिन में कोरोना के 1.45 लाख नए केस मिले थे। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखकर ऐसा लग रहा है कि दूसरी लहर का कहर जल्द ही देश को पाबंदियों की जद में ला देगा।स्वास्थ्य मंत्रालय के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, भारत में शनिवार को एक दिन में यानी बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के 152,682 नए पॉजिटिव केस मिले। इस दौरान मौत के आंकडों में भी बड़ा इजाफा देखने को मिला और 24 घंटे में ही करीब 834 लोगों की मौतें भी हो गईं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शनिवार रात तक कोरोना के 152,682 नए मामले मिलने से देश में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 13358608 हो गई है।मौत के आंकड़ों पर गौर करें तो अक्टूबर के बाद एक दिन में मरने वालों की यह सबसे अधिक संख्या है। इस तरह से देश में कोरोना वायरस महामारी से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 169270 हो गई है। देश में संक्रमित लोगों की दैनिक संख्या लगातार 32वें दिन बढ़ी है। अभी 10,46,631 संक्रमित लोगों का उपचार चल रहा है, जो अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या का 7.93 प्रतिशत है। कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर गिरकर 90.80 प्रतिशत रह गई है। देश में 12 फरवरी को सबसे कम 1,35,926 उपचाराधीन मरीज थे। यह संख्या उस समय के कुल मामलों का 1.25 प्रतिशत थी। फिलाहल 1,19,90,859 लोग संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। कोरोना मृत्यु दर 1.28 प्रतिशत है।बीते पांच दिनों के कोरोना ग्राफ9 अप्रैल 2021 का कोरोना डेटा: 144,829 नए केस और 773 मौतें8 अप्रैल 2021 का कोरोना डेटा: 131,893 नए केस और 802 मौतें7 अप्रैल 2021 का कोरोना डेटा: 126,315 नए केस और 684 मौतें6 अप्रैल 2021 का कोरोना डेटा: 115,269 नए केस और 631 मौतें5 अप्रैल 2021 का कोरोना डेटा: 96,557 नए केस और 445 मौतेंसाढ़े 25 करोड़ से अधिक जांच:भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार देश में अभी तक 25,52,14,803 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 11,73,219 नमूनों की जांच शुक्रवार को की गई थी।बाल वनिता महिला आश्रममहाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मौत:पिछले 24 घंटों में जिन 794 लोगों की मौत हुई है, उनमें से महाराष्ट्र में 301, छत्तीसगढ़ में 91, पंजाब में 56, कर्नाटक में 46, गुजरात में 42, दिल्ली में 39, उत्तर प्रदेश में 36, राजस्थान में 32, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में 23-23, केरल में 22, झारखंड में 17, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में 11-11 लोग शामिल हैं। देश में संक्रमण से अब तक कुल 1,68,436 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से महाराष्ट्र में 57,329 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद तमिलनाडु में 12,863, कर्नाटक में 12,813, दिल्ली में 11,196, पश्चिम बंगाल में 10,378, उत्तर प्रदेश में 9,039, पंजाब में 7,390 और आंध्र प्रदेश में 7,279 लोग मारे गए हैं।

भारत में कोरोना का अबतक का सबसे बड़ा विस्फोट , एक दिन में 1.52 लाख नए केस से दहशत वनिता पंजाब   By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कहर मचा दिया है। देश में कोरोना का कहर दिन-प्रतिदिन नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है, जो डराने वाले हैं। शनिवार को रोजाना संक्रमण के नए मामले 24 घंटों के दौरान डेढ़ लाख के आंकड़े को भी पार कर गया। कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक प्रतिदिन मिलने वाले संक्रमितों की यह सर्वाधिक संख्या है। इससे एक दिन पहले यानी शुक्रवार को एक दिन में कोरोना के 1.45 लाख नए केस मिले थे। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखकर ऐसा लग रहा है कि दूसरी लहर का कहर जल्द ही देश को पाबंदियों की जद में ला देगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, भारत में शनिवार को एक दिन में यानी बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के 152,682 नए पॉजिटिव केस मिले। इस दौरान मौत के आंकडों में भी बड़ा इजाफा देखने को मिला और 24 घंटे में ही करीब 834 लोगों की मौतें भी हो गईं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शनिवार रात तक कोरोना के 152,682 नए मामले मिलने से देश में कुल

ऐसी कौन सी भूल थी जिसकी वजह से करोड़ों लोगों की जान चली गई थी? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबविश्व के इतिहास में ऐसी कई भयानक और खतरनाक घटनाएं हुई हैं जिनके बारे में सुन कर आत्मा तक कांप जाती है। ऐसी ही एक भयानक घटना चीन मे ६२ साल पहले हुई थीं जिसमे करोड़ों लोग मारे गए थे। और इस भयानक तबाही के पीछे चीन कि ही एक मामूली सी गलती थी। आप भी सोच कर हैरान हो गए होंगे कि चीन ने ऐसी कौन सी गलती कर दी थी। हालांकि चीन ने बाद मे उस गलती को सुधारने का बहुत प्रयास किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और करोड़ों लोग काल के गाल में समा चुके थे।हम यहां बात कर रहे हैं "The Great China Famine" की, चीन का हर नागरिक इस बात को बहुत अच्छी तरह जानता है।बात सन १९५८ की है तब चीन की बागडोर "माओ जेडांग" के पास थी उन्होंने उस समय एक अभियान शुरू किया था जिसका नाम था " फॉर पेस्ट कैंपेन"।इस कैंपेन में उन्होंने मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया को मारने का आदेश दिया था। उनका मानना था कि ये सब किसानों की मेहनत बेकार कर देते हैं और फसलों कों बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।मच्छर, मक्खी और चूहों को मरना थोड़ा मुश्किल काम था क्युकी ये आसानी से छुप जाते हैं लेकिन गौरैया एक सामाजिक पंछी है जिसे इन्सानों के बीच रहना पसंद है, इसलिए चाइना वासियों ने गौरैया को अपना शिकार बनाना सुरु किया।पूरे चीन में गौरैया को ढूंढ ढूंढ कर मारा जाने लगा, उनके घोसलो को नस्ट कर दिया गया और उनके बच्चो और अंडो को मार कर खाया जाने लगा।लोग बर्तन, ड्रम, या टीन को बजा बजा कर गौरैया को उड़ाते और तब तक उसका पीछा करते जब तक वो थक कर गिर ना जाती और फिर उसे मार कर खा जाते। जो जितनी ज्यादा गौरैया मारता उसे उतना ही ज्यादा इनाम मिलता और इनाम के लालच में धीरे धीरे करके सारी गौरैया या तो चीन से भाग गई या मारी गई।सन् १९६० में मशहूर पक्षी विज्ञानी "शो शिन चेंग" ने "मायो जेदांग" को बताया कि पक्षियों को मारने से फसलों को नुकसान करने वाले कीड़ों की संख्या बहुत बड़ जाती है जिससे फसलों को बहुत नुकसान होता है, क्युकी गौरैया इन्हीं सब कीड़ों को खाती है। ये सुनने के बाद "मायो जेड़ांग" ने अपने आदेश को वापस ले लिया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।गौरैया के ना होने से टिड्डियां बहुत हो गई थीं, क्युकी गौरैया टिड्डियां बहुत खाती है और गौरैया ना होने से टिड्डियां पूरी की पूरी फसल खाने लगी नतीजा ये हुआ कि खेत में खड़ी खड़ी फसलों को टिड्डियां खा गई। सारी फसलें बर्बाद हो गई और चीन में भयानक आकाल पड़ गया। करोड़ों लोग भूख से मर गए, चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ १.५ करोड़ लोग भूकमरी से मर गए। यह त्रासदी चीन के इतिहास मे सबसे भयानक त्रासदी मानी जाती है।बाल वनिता महिला आश्रमहमारे ऋषि मुनियों ने इसलिए सारे जानवर, कीड़ों, और पंक्षिओ आदि को इंसान के बराबर ही माना है और इन्हें भगवान के रूप मे पूजा भी की जाती है ताकि हम उनको नुकसान ना पहुंचाए।

ऐसी कौन सी भूल थी जिसकी वजह से करोड़ों लोगों की जान चली गई थी?  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब विश्व के इतिहास में ऐसी कई भयानक और खतरनाक घटनाएं हुई हैं जिनके बारे में सुन कर आत्मा तक कांप जाती है। ऐसी ही एक भयानक घटना चीन मे ६२ साल पहले हुई थीं जिसमे करोड़ों लोग मारे गए थे। और इस भयानक तबाही के पीछे चीन कि ही एक मामूली सी गलती थी। आप भी सोच कर हैरान हो गए होंगे कि चीन ने ऐसी कौन सी गलती कर दी थी। हालांकि चीन ने बाद मे उस गलती को सुधारने का बहुत प्रयास किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और करोड़ों लोग काल के गाल में समा चुके थे। हम यहां बात कर रहे हैं "The Great China Famine" की, चीन का हर नागरिक इस बात को बहुत अच्छी तरह जानता है। बात सन १९५८ की है तब चीन की बागडोर "माओ जेडांग" के पास थी उन्होंने उस समय एक अभियान शुरू किया था जिसका नाम था " फॉर पेस्ट कैंपेन"। इस कैंपेन में उन्होंने मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया को मारने का आदेश दिया था। उनका मानना था कि ये सब किसानों की मेहनत बेकार कर देते हैं और फसलों कों बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। मच्छर, मक्खी और चूहों

Covid Vaccine: वैक्सीन से जुड़े 6 मिथक जिसके चलते डोज लेने से डर रहे लोग, जानिए सच्चाई बाल वनिता महिला आश्रमBy By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबPublished:April 11 2021, 20:44 [TLS]Facebook Twitter Whatsapp Telegramनई दिल्ली। हर दिन बीतने के साथ ही देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कोविड केस की बढ़ती संख्या के चलते इसे भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहा जा रहा है। हर दिन लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस का शिकार हो रहे हैं। सरकार ने टीकाकरण को विस्तार देते हुए 45 साल तक की उम्र वालों को इसमें शामिल कर लिया है लेकिन टीके को लेकर कई सारी गलत जानकारियों के चलते अभियान पर असर पड़ रहा है। कोविड-19 टीकाकरण को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है ताकि हर कोई टीकाकरण के लिए आगे आ सके। धीमा टीकाकरण न केवल हानिकारक है बल्कि कई दूसरे लोगों को यह खतरे में डालेगा। आइए उन मिथ पर नजर डालते हैं जो कोविड वैक्सीन को लेकर फैले हुए हैं।मिथक 1- वैक्सीन से होता है कोविडमिथक 1- वैक्सीन से होता है कोविडकई लोग हैं जिन्हें वैक्सीन दी गई उसके बाद भी वह संक्रमित हो गए। इसके चलते वैक्सीन के असर को लेकर शक किया जाने लगा है। हालांकि यह सही नहीं है। एक बात जो यहां समझने की है वह यह कि कोविड वैक्सीन संक्रमण के खिलाफ एक हद तक प्रभावी है लेकिन यह वायरस की गंभीरता और मृत्यु दर को 100 प्रतिशत कम करती है।वैक्सीन इंफेक्शन की संभावना को भी कम करती है इसलिए इसके बारे में संदेह करने की कोई वजह नहीं है।डॉक्टर कहते हैं कि यह वैक्सीन दूसरी डोज लेने के 14 दिन बाद ही पूरी तरह प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। उसके बाद भी आपको मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है। ये तब तक किया जाना चाहिए जब तक कि बड़े स्तर पर लोग निगेटिव न हो जाएं।मिथक 2- कोविड हो चुका है तो वैक्सीन की जरूरत नहींमिथक 2- कोविड हो चुका है तो वैक्सीन की जरूरत नहींकोविड-19 होने के बाद आपका शरीर इससे लड़ाई लड़ता है और इसके खिलाफ एंटीजेन तैयार करता है। ऐसे में कई लोग जिन्हें कोविड-19 हो चुका है वे समझते हैं उन्हें वैक्सीन की जरूरत नहीं है। ऐसा सोचना ठीक नहीं है। संक्रमण के बाद तैयार प्रतिरोधक क्षमता कितनी प्रभावी है और कब तक रहेगी इस बारे में कोई निश्चित शोध नहीं हुआ है। हमें यह नहीं पता है कि यह कितने दिन तक रहता है और किस तरह से असर करता है। ऐसे में वैक्सीन से इनकार करना भूल होगी।संक्रमित होने के बाद भी वैक्सीन लेने से पहले से मौजूद प्रतिरक्षा के स्तर में वृद्धि होगी और कोविड के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी।मिथक 3- वैक्सीन से ब्लड क्लॉट हो सकता हैमिथक 3- वैक्सीन से ब्लड क्लॉट हो सकता हैडेनमार्क के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद शरीर में रक्त के थक्के बन रहे हैं। इस खबर ने पूरी दुनिया, खासतौर पर बुजुर्गों, को डराया है। लोग इस बात से आशंकित हैं और टीका लेने से बच रहे हैं।वैक्सीन में साइड-इफेक्ट को ध्यान में रखा गया है लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि टीके बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए सुरक्षित हैं। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ वैक्सीन से रक्त के थक्का बनने के संभावित साइड इफेक्ट को लेकर निश्चित नहीं है।इसी तरह पतले रक्त वाले लोगों में भी इसी आशंका के चलते टीकाकरण को लेकर संदेह बना हुआ है। लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी ऐसा होता है तो टीका लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।मिथक 4- डीएनए बदल देगी कोविड वैक्सीनमिथक 4- डीएनए बदल देगी कोविड वैक्सीनवैक्सीन से जुड़ा एक मिथक यह है कि कोरोना वायरस का टीका हमारे जेनेटिक कोड यानि डीएनए में छेड़छाड़ कर सकता है। ये अफवाह तब से ही फैलनी शुरू हो गई थी जब वैक्सीन को मंजूरी मिली थी। ये अफवाहें दूसरी वैक्सीन के साथ भी चलती रहती हैं। इसलिए अच्छा होगा कि इन पर ध्यान न दें क्योंकि इनमें कोई दम नहीं है।बाल वनिता महिला आश्रमवैक्सीन को केवल हमारे शरीर में कोरोना वायरस को पहचानने को उसके खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए बनाया गया है। इसमें हमारी कोशिकाओं (सेल्स) के अंदर प्रवेश करने की क्षमता नहीं होती है। जेनेटिक कोड इन्हीं कोशिकाओं के अंदर मौजूद रहते हैं।मिथक 5- वैक्सीन भरोसेमंद नहींमिथक 5- वैक्सीन भरोसेमंद नहींएक और लंबा डर जो नागरिकों को वैक्सीन जैब मिलने से रोक रहा है, वह छोटी समयरेखा है जिसमें वैक्सीन मॉडल को इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी गई है।वैक्सीन को लेकर एक बड़ा डर जो लोगों के मन में बैठा हुआ है वह वैक्सीन का कम समय में तैयार होना है। दूसरी वैक्सीन के तैयार होने में वर्षों का समय लगता है लेकिन कोरोना वायरस वैक्सीन को जल्दी मंजूरी मिल गई है। इसे लेकर लोगों के मन में शक है और टीका लगवाने से पीछे हट रहे हैं।वैक्सीन की टाइमलाइन को लेकर जो भी डर है वह बिल्कुल सही नहीं है। वैक्सीन की मंजूरी के लिए कड़े परीक्षण और अध्ययन किए गए हैं जो सुरक्षा के सभी मानकों को पूरा करते हैं और वैश्विक स्वास्थ्य नियामक से इन उपायों को मान्यता मिली है। चूंकि यह वायरस तेजी से फैल रहा है सिर्फ इसलिए टीकों को जल्दी से उतारा गया है लेकिन यह संदेह की कोई वजह नहीं है।मिथक 6- वैक्सीन से प्रजनन क्षमता पर असरमिथक 6- वैक्सीन से प्रजनन क्षमता पर असरवैक्सीन को लेकर एक अफवाह और भी है कि वैक्सीन आपकी प्रजनन क्षमता को खत्म करता है और बांझपन की समस्या पैदा करती है। लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है और इस बारे में ध्यान देने की जरूरत ही नहीं है। ऐसी अफवाहें कई वैक्सीन के साथ पहले भी फैलाई जाती रही हैं।कोविड-19 या किसी अन्य वैक्सीन से बांझपन या यौन रोग को लेकर कोई साइड इफेक्ट नहीं है। आज तक किसी भी शोध में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है और न ही इसके कोई प्रमाण मिले हैं।यह अफवाह इस वजह से फैली है क्योंकि अभी गर्भवती महिलाओं को इस टीके से अलग रखा गया है। गर्भवती महिलाओं को इसलिए बाहर रखा गया है क्योंकि उनके अंदर प्रतिरक्षा की कमी होती है।

Covid Vaccine: वैक्सीन से जुड़े 6 मिथक जिसके चलते डोज लेने से डर रहे लोग, जानिए सच्चाई  बाल वनिता महिला आश्रम By  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब Published:April 11 2021, 20:44 [TLS] Facebook   Twitter   Whatsapp   Telegram नई दिल्ली।  हर दिन बीतने के साथ ही देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कोविड केस की बढ़ती संख्या के चलते इसे भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहा जा रहा है। हर दिन लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस का शिकार हो रहे हैं। सरकार ने टीकाकरण को विस्तार देते हुए 45 साल तक की उम्र वालों को इसमें शामिल कर लिया है लेकिन टीके को लेकर कई सारी गलत जानकारियों के चलते अभियान पर असर पड़ रहा है। कोविड-19 टीकाकरण को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है ताकि हर कोई टीकाकरण के लिए आगे आ सके। धीमा टीकाकरण न केवल हानिकारक है बल्कि कई दूसरे लोगों को यह खतरे में डालेगा। आइए उन मिथ पर नजर डालते हैं जो कोविड वैक्सीन को लेकर फैले हुए हैं। मिथक 1- वैक्सीन से होता है कोविड कई लोग हैं जिन्हें वैक्सीन दी गई उसके बाद भी वह संक्रमित हो गए। इसके चलते वै