Skip to main content

* Heavy for next 20 hours India ** WHO ICMR warns India *Bal Vanita Mahila AshramWHO ICMR has said that if Indians do not improve in 20 hours, then India will talk about "THIRD STEP" at 11 o'clock last night.

*अगले 20 घ॔टे भारत के लिए भारी*
*WHO ICMR की भारत को चेतावनी*
WHO ICMR ने कहा है कि यदि 20 घ॔टे में भारतीय नहीं सुधरे तो भारत कल रात 11 बजे के बात 'THIRD STEP" यानी " कम्युनिटी ट्रान्शमिशन"में प्रवेश कर जायेगा। 
और अगर भारत कल रात तक थर्ड स्टेज यानी कम्यूनिटी ट्रांशमिशन में जाता है तो भारत मे 15 APRIL तक लगभग 50000(पचास हजार) तक मौतें हो सकती हैं,क्यूँकि अन्य देशों की अपेक्षा भारत का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है परन्तु भारतीय अभी तक इसकी गम्भीरता को नहीं समझ रहे हैं।
ईश्वर से दुआ करो की कल तक भारत सेकेंड स्टेज में ही रहे।
 सभी नागरिकों से निवेदन प्लीज मस्ती मजाक सलाह कोरेना से सम्बंधित खबर छोड़ आज रात तक जितना हो ये फैलाओ की कुछ भी हो जाये *72 से 108 घण्टा बिल्कुल भी न निकले* क्योकि कल भारत 3 स्टेज में शायद जा सकता है प्लीज सभी को अंदर रहने के लिये प्रेरीत करो 🙏🙏

*अगर उचित समझें तो इसे इतना शेयर करो कि पूरे भारत में फैला दो*
☝️सभी से निवेदन है की पहले से ज्यादा सतर्कता रखें*
*🍁शहरों मे हॉस्पिटल में जगह नहीं है, सारी पहचान पैसा कुछ भी काम नहीं आ रहा है! सिर्फ और सिर्फ अपने आप को बचाना ही एक मात्र उपाय है।*
*❣️सभी परिवार के सदस्य कृपया ध्यान दें:*
*01 कोई भी खाली पेट न रहे*
*02 उपवास न करें*
*03 रोज एक घंटा धूप लें*
*04 AC का प्रयोग न करें*
*05 गरम पानी पिएं, गले को गीला रखें*
*06 सरसों का तेल नाक में लगाएं*
*07 घर में कपूर वह गूगल जलाएं*
*08 आधा चम्मच सोंठ हर सब्जी में डालें*
*09 दालचीनी का प्रयोग करें*
*10 रात को एक कप दुध में हल्दी डालकर पिये*
*11 हो सके तो एक चम्मच चवनप्राश खाएं*
*12 घर में कपूर और लौंग डाल कर धूनी दें*
*13 सुबह की चाय में एक लौंग डाल कर पिएं*
*14 फल में सिर्फ संतरा ज्यादा से ज्यादा खाएं*
*15. आंवला किसी भी रुप में चाहे अचार, मुरब्बा,चूर्ण इत्यादि खाएं।*
*यदि आप Corona को हराना चाहते हो तो कृपा करके ये सब अपनाइए।*
*दूध में हल्दी आपके शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ाएगा।*
*🙏🏼 सभी से मेरी अपील है इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें*🙏🌷🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

USF6OBYकुंभ: तीन दिनों में 1200 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले आए, तीसरे शाही स्नान में 14 लाख लोगों ने लगाई डुबकी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब










हरिद्वार: कुंभ मेले में पिछले तीन दिनों में कोरोना के 1200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। हरिद्वार के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसके झा ने बताया कि 10 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच तीन दिनों में 1278 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए जबकि 13 और 14 अप्रैल की रिपोर्ट आनी बाकी है। वहीं बुधवार को शाही स्नान में करीब 14 लाख लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई।  मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि कोरोनावायरस संक्रमण के मददेनजर जिला स्वास्थ्य विभाग तथा मेले से जुडी अन्य एजेंसियों के माध्यम से प्रतिदिन लगभग पचास हजार जांच हो रही हैं। 



कुंभ मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि मेला क्षेत्र की सीमाओं पर श्रद्धालुओं के कोविड प्रमाणपत्रों की सघन जांच हो रही हैं। उन्होंने कि प्रमाणपत्र न होने पर अब तक 56 हजार श्रद्धालुओं को सीमा से वापस लौटा दिया गया है। महाकुंभ शाही स्नान के दौरान भी आने जाने वाले लोगों को पुलिस के जवान मास्क बांटते और सावधानी बरतने की सलाह देते नजर आए। हर की पैडी तथा अन्य घाटों पर महाकुंभ मेला प्रशासन ने सैनिटाइजर की मशीनें लगाई थीं। प्रदेश में देश के अन्य हिस्सों की तरह कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ता जा रहा है। बुधवार को भी प्रदेश में कोविड-19 के 1953 नये मामले सामने आए जिनमें से 525 नए मरीज हरिद्वार में मिले। अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सहित 18 से अधिक संतों के कोरोना संक्रमित होने के बाद अन्य साधु संतों की भी कोविड जांच की जा रही है। 
चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसके झा  ने बताया कि मंगलवार तक पांच अखाड़ों में 500 साधुओं की कोरोना जांच की गयी जिनमें से 19 संत महामारी से संक्रमित मिले हैं। हालांकि, सभी 13 अखाडों के साधु संतों ने पूरी श्रद्धा के साथ गंगा में डुबकी लगाई। वहीं हरिद्वार और ऋषिकेश के विभिन्न गंगा घाटों पर आम श्रद्धालुओं ने नदी में डुबकी लगाई।
 सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के साधु संत अपने पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में हर की पैडी ब्रहमकुंड पहुंचे जहां उन्होंने अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना करने के बाद ‘‘हर—हर महादेव’’ और ‘‘गंगा मैया की जय’’ के उदघोष के साथ शाही स्नान किया। उनके साथ आनंद अखाड़े के संतों ने भी शाही स्नान किया। इसके बाद सबसे ज्यादा नागा संन्यासियों वाले जूना अखाड़ा, अग्नि और आवाहन अखाड़े के संतों ने ‘‘हर हर महादेव’’ का जयघोष करते हुए पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज की अगुवाई में शाही स्नान किया। इनके साथ ही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य संतों ने भी स्नान किया। 


बाल वनिता महिला आश्रम
इसके बाद महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के संतजनों ने हर की पैडी ब्रहमकुंड में शाही स्नान किया। इसके बाद शाही स्नान के लिए तीनों बैरागी अखाडे़—पंच निर्वाणी अणि अखाड़ा, पंच दिगम्बर अणि अखाड़ा और पंच निर्मोही अणि अखाड़े के संत हर की पैडी ब्रहमकुंड में पहुंचे। पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन निर्वाण और इसके बाद श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण के साधु संतों ने स्नान किया। सबसे आखिर में निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने जयघोष करते हुए शाही स्नान किया।







Comments

Popular posts from this blog

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।#भारतवर्ष की आशाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप #आदरणीय #प्रधानमंत्री #श्री_नरेन्द्र_मोदी जी ने #कोरोना #वैक्सीन देश को समर्पित कर दी है। जिसके लिए सभी #देशवासियों को शुभकामनाएं तथा हमारे कोरोना वॉरियर्स का सहृदय #धन्यवाद। ये देश के लिए गर्व का विषय है कि वैश्विक इतिहास ने इतने बड़े स्तर का #टीकाकरण अभियान इससे पहले कभी नहीं देखा है। #दुनिया के सैंकड़ों देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 3 #करोड़ से कम है और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने जा रहा है।इस उपलब्धि के लिए मैं भारत के सभी वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, सभी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ सहित उन सभी #योद्धाओं का आभार व्यक्त करती हूं, जिनकी मेहनत व लगन ने कोरोना जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मिसाल पेश की है।#Vnita#IndiaFightsCorona #LargestVaccineDrive,

कोविड 19

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// Open main menu Search COVID-19 pandemic by country and territory Language Watch Edit COVID-19 pandemic Confirmed deaths per million population per date on map    1000+    178–1000    32–178    6–32    1–6    <1    No deaths or no data Disease COVID-19 Virus strain SARS-CoV-2 Source Probably  bats , possibly via  pangolins [1] [2] Location Worldwide First outbreak Mainland China [3] Index case Wuhan ,  Hubei ,  China 30°37′11″N 114°15′28″E Date 1 December 2019 [3]  – present (1 year, 3 months, 2 weeks and 6 days) Confirmed cases 122,964,412 [4] Active cases 50,604,706 [4] Recovered 69,647,959 [4] Deaths 2,711,747 [4] Territories 192 [4] This article provides a general overview and documents the status of locations affected by the  severe acute respiratory syndrome coronavirus 2  (SARS-CoV-2), the virus whi...

महाराष्ट्रातल्या कोणत्याही शहराची, खरंतर परिस्थिती पाहाता देशातल्या कोणत्याही शहराची सद्यस्थिती आहे. तुम्ही अहमदनगरचा तो व्हीडिओ पाहिला असेल जिथे एकाच चितेवर सहा जणांना अग्नी दिला. किंवा देशाच्या कोणत्यातरी नदीच्या किनारी जमिनीवरच मृतदेह ठेवून त्याभोवती लाकडं रचून पेटवलेलंही पाहिलं असेल, अगदी परवा समोर आलेला लखनऊच्या स्मशानातला अनेक मृतदेह जळतानाचा व्हीडिओही नजरेसमोरून गेला असेल. तसाच माझा एक अनुभव.By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकोव्हिडने मरणाऱ्या लोकांचे आकडे रोज समोर येतात, थोडं हळहळून, चुकचुकून सोडून देतो आपण, कामाला लागतो. दुसऱ्या दिवशी परत आकडे येतात. तेच घडतं, तोपर्यंत जोपर्यंत ही काळाची चाहूल तुमच्या घरात लागत नाही.अचानक आकडे फक्त आकडे न राहाता आपल्या जगण्याची धावपळ बनते. काहीतरी शाप असावा माणसाला की आपला माणूस मरत नाही तोवर काही सिरीयसली घ्यावंसच वाटत नाही. तशीच गर्दी बाहेर वाढत असते.आभाळच फाटलं त्याला कुठे कुठे ठिगळं लावणार असं माझी आजी म्हणायची.कोरोनाने मरणारा माणूस कसा मरतो माहितेय? श्वास कोंडून, की शेवटी त्याला जगण्यासाठी एक श्वास घेणं मुश्कील व्हावं. जो/जी गेले ते तर सुटतात, मागे राहिलेल्यांचं काय?जे कोरोनाने जातात ना त्यांचे जवळचे, रक्ताच्या नात्याचे सहसा त्याच आजाराने ग्रस्त असतात. काही तर हॉस्पिटलमध्येच असतात. आपल्या माणसाला शेवटचा निरोप द्यायलाही त्यांना येता येत नाही. मरण स्वस्त तर झालंच आहे, एकटंही झालंय.मी पाहिलंय स्मशानभूमीत. एकाशेजारी एक सहा-सात चिता जळत असतात आणि दर तिसऱ्या मिनीटाला एक बॉडी येत असते. माझ्या नात्यातली व्यक्ती गेली तेव्हा माझ्या शहरात कोरोनाने 40 मृत्यू झाले होते.सविस्तरच सांगायला हवं कसं होतं ते. तुमचं शहर मोठं असेल आणि तुम्ही शहरात दोन स्मशानभूमी असण्याइतके लकी (!) असाल तर एक स्मशानभूमी कोव्हिडसाठी राखीव असते. दिवसभरात गेलेल्या लोकांच्या बॉडी दुपारनंतर रिलीज व्हायला सुरूवात होते आणि आग धगधगायला लागते. शववाहिका येत असतात, चिता पेटत असतात. जो मेलाय त्याच्या जवळचं स्मशानभूमीत कोणीच नसतं. ते ऑलरेडी एकतर अॅडमिट असतात नाहीत क्वारंटाईन असतात. मेलेल्याला आग लावायला रक्ताचं नसतं कोणी.नवरा, बायको, संसार, मुलं कोणीच नसतात. माझ्या नातेवाईकाच्या बाबतीत असंच झालं. लांबची चार माणसं सोडून कोणीच नव्हतं. अग्नी कोणी दिला, कोणाच्या लक्षातही नाही. तरी जी माणसं आली त्यांचं कौतुक मानायला पाहिजे की ती आली तरी. नाहीतर महानगरपालिकेची माणसं कुठे जाळतात, कशी जाळतात पत्ता नाही लागत. त्यांना तरी का दोष द्यावा? संपत नाहीये मृत्यूचा खेळ. मेलेल्या माणसाला प्लास्टिकमध्ये गुंडाळलेलं असतं, घरी आणण्याचा प्रश्नच नसतो. थेट स्मशानात नेतात. जाळण्यासाठीही टोकन घ्यावं लागतं. काही ठिकाणी 24-36 तासांचा वेटिंग पीरियड आहे म्हणे. आमच्या माणसाला निदान स्मशानात आणल्या आणल्या आग नशिबी आली.हॉस्पिटलमध्ये माणूस गेला रे गेला की त्याला बेडवरून उतरवायची घाई सुरू होते. रडायला तरी कोणाला आणि किती वेळ असणार? रिकामा (!) झालेला बेड बाहेर जगण्या-मरण्याच्या अध्येमध्ये टांगलेल्या माणसाला द्यायचा असतो. Life should trump death.कमीत कमी ज्या जवळच्या माणसांना आपल्या माणसांचे अंतिम संस्कार करता येतात ते नशीबवान (!) म्हणायचे. खांदा द्यायचा नसतोच, पण निदान अग्नी द्यायला, शेवटचा निरोप द्यायला चार माणसं यावीत म्हणून प्रयत्नांची पराकाष्ठा करावी लागते. कोव्हिडने गेलेल्या माणसाचे अंतिम संस्कार करायला कोण परकी माणसं येणार? तरी काही येतात, घाबरत घाबरत का होईना कसेबसे सोपस्कार पार पडतात.एका पत्रकार मित्राने सांगितलेला किस्सा. त्याचे वडील गेले मागच्या वर्षी कोरोनाने, लहानशा गावात. खांदा द्यायला माणूस नव्हता. याने एकट्याने खांद्यावर बॉडी नेऊन चितेवर ठेवली, अग्नी दिला आणि चिता शांत व्हायची वाट पाहात बसला. एकटाच.आपला माणूस मरतो तेव्हा काय होतं माहितेय? कोणी नसतं तिथे... उद्या अस्थी गोळा करायला कोण येणार, पुन्हा ही रिस्क कोण घेणार म्हणून तू-तू-मी-मी चालत असते. पुढचे तुमच्या आठवणीत असतील एखाद्या चांगल्या माणसाच्या मयतीला आलेली शेकडो माणसं. इथे शेकडो माणसंच मृत्यूच्या दारात उभी असतात. ब्राझीलमधला एक फोटो पाहिला काही दिवसांपूर्वी. कोव्हिड वॉर्डमध्ये अॅडमिट असलेल्या पेशंटचा हात गरम पाणी भरलेल्या दोन रबरी ग्लोव्हमध्ये ठेवला आहे. माणसाचा स्पर्शच नाही तरी काहीतरी तरी जाणीव असावी म्हणून. इतका एकटेपणा असतो.हा मेल्यानंतरी पाठ सोडत नाही. जो मेलेल्यासाठी रडतोय त्याचीही पाठ हा एकटेपणा सोडत नाही. ना मेलेल्याला खांदा देता येतो, ना मांडी. ना त्यांच्या जाण्यावरून कोणाच्या गळ्यात पडून धाय मोकलून रडता येतं.बाल वनिता महिला आश्रमकोणी रडत तर खांद्यावर हात टाकून सांत्वन करायला कोणी पुढे येत नाही. फेसशिल्ड, मास्कमध्ये लपलेले चेहरे. दोन-दोन मास्क लावल्यामुळे जड झालेला श्वास आणि आगीच्या धगीमुळे लागलेल्या घामाच्या धारा यात अश्रू कुठे वाहून जातात काहीच कळत नाही. मुळात कोण कोणासाठी रडतंय, त्याहीपेक्षा गेलेल्या माणसासाठी रडायला इथे कोणी आहे तरी का हे कळायला जागा नसते.या एकटेपणाचं काय करावं?समोर जळणाऱ्या सहा-सात चितांच्या ज्वाळात नंतर हेही कळत नाही की आपल्या माणसाला कुठे अग्नी दिला होता. चौथऱ्यावर गेलं की धग लागते फक्त, सगळीकडून जळणाऱ्या चितांची. स्मशानात एरवी भयाण वाटतं म्हणे, एकटीच चिता जळत असते बाकी अंधार.आता आपल्या माणसाचं चितेत जळण्यासाठी कधी नंबर येईल या विवेचंनेत थांबलेली माणसं, स्मशानभूमीत काम करणाऱ्या माणसांची यंत्रासारखी लगबग, सतत येणाऱ्या अँब्युलन्स, समोर धडाडणाऱ्या चिता आणि त्यांचा सगळीकडे पसरलेला प्रकाश फक्त भेसूर वाटतो.अर्धा किलोमीटर अंतरावरून कळतं पुढे स्मशानभूमी आहे इतका त्या अग्नीचा प्रकाश पसरलेला असतो. भीती फक्त माणसाच्या हतबलतेची वाटते.बाकी कोणतं वर्ष पनवती नसतं, काळ पनवती नसतो, आपण माणसंच पनवती असतो.(टीप : बीबीसी मराठीच्या सदस्याने आपला अनुभव या ब्लॉगमध्ये मांडला आहे. त्यांच्या इच्छेखातर नाव देत नाही आहोत न्यूज मराठीचे सर्व अपडेट्स मिळवण्यासाठी आम्हाला YouTube, Facebook, Instagram आणि Twitter वर नक्की फॉलो करा.

महाराष्ट्रातल्या कोणत्याही शहराची, खरंतर परिस्थिती पाहाता देशातल्या कोणत्याही शहराची सद्यस्थिती आहे. तुम्ही अहमदनगरचा तो व्हीडिओ पाहिला असेल जिथे एकाच चितेवर सहा जणांना अग्नी दिला. किंवा देशाच्या कोणत्यातरी नदीच्या किनारी जमिनीवरच मृतदेह ठेवून त्याभोवती लाकडं रचून पेटवलेलंही पाहिलं असेल, अगदी परवा समोर आलेला लखनऊच्या स्मशानातला अनेक मृतदेह जळतानाचा व्हीडिओही नजरेसमोरून गेला असेल. तसाच माझा एक अनुभव. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कोव्हिडने मरणाऱ्या लोकांचे आकडे रोज समोर येतात, थोडं हळहळून, चुकचुकून सोडून देतो आपण, कामाला लागतो. दुसऱ्या दिवशी परत आकडे येतात. तेच घडतं, तोपर्यंत जोपर्यंत ही काळाची चाहूल तुमच्या घरात लागत नाही. अचानक आकडे फक्त आकडे न राहाता आपल्या जगण्याची धावपळ बनते. काहीतरी शाप असावा माणसाला की आपला माणूस मरत नाही तोवर काही सिरीयसली घ्यावंसच वाटत नाही. तशीच गर्दी बाहेर वाढत असते. आभाळच फाटलं त्याला कुठे कुठे ठिगळं लावणार असं माझी आजी म्हणायची. कोरोनाने मरणारा माणूस कसा मरतो माहितेय? श्वास कोंडून, की शेवटी त्याला जगण्यासाठी एक श्वास घेणं मुश्कील व्हावं. जो/ज...