Skip to main content

राजस्थान की ब्रेकिंग- कोविड के नए वेरियंट के नए लक्षण*बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब* आपातकाल मीटिंग में हुए महत्वपूर्ण निर्णय, मुख्यमंत्री ने ली कैबिनेट की मीटिंग, चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री रहे मौजूद। - प्रदेश में किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन आगामी आदेश तक पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे। किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन की इजाज़त फिलहाल नही दी जाएगी। - कल से 50% क्षमता के साथ स्कूल खुलेंगे,6 दिन में से 3 दिन बच्चे स्कूल में पढ़ने जाएंगे। - स्कूलों और कॉलेजों की ऑनलाइन कक्षाएं फिर से शूरू कर रहे हैं।- बिना मास्क वालों पर चालानी कार्यवाही होगी, रोको-तोको अभियान फिर से शुरु किया जायेगा। - निजी संस्थानों में वैक्सीन के दोनों डोज लगे होने पर ही प्रवेश मिलेगा। - समस्त कार्यालय नई गाइडलाइन आने तक 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खुले रहेंगे। - शादियों में अधिकतम दोनों पक्षो को मिलाकर कुल 200 लोग रहेंगे मौजूद।कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसलासीएम अशोक गलोत का बयानस्कूल 100 फीसद तादाद की जगह 50% तादाद के साथ ही संचालित होंगेस्कूल ऑन लाईन क्लास बंद नहीं करेंगे, ऑन लाईन क्लास जारी रहेंगीकल से लागू होगी नई व्यवस्था *नए वेरिएंट B.1.1.1.529 को OMICRON नाम दिया गया है,*----------------------------वायरस वापस आ गया है, इस बार अधिक ऊर्जा, रणनीति और छलावरण के साथ।इस बार हमें खांसी नहीं होगी, बुखार नहीं होगा, जोड़ों का दर्द नहीं होगा, बस कमजोरी होगी,भूख न लगना और कोविड निमोनिया होगा!बेशक, मृत्यु दर अधिक है, चरम पर पहुंचने में कम समय लगता है। कभी-कभी कोई लक्षण नहीं... आइए सावधान रहें...यह सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिसका अर्थ है कि अवधि कम हो जाती है।बहुत से रोगियों को बिना बुखार के देखा है, लेकिन एक एक्स-रे रिपोर्ट में मध्यम छाती का निमोनिया दिखाई देता है!COVID19 के लिए अक्सर नेज़ल स्वैब नकारात्मक होता है!वायरस सीधे फेफड़ों में फैलता है जिससे वायरल निमोनिया के कारण तीव्र श्वसन संकट होता है! यह बताता है कि यह तीव्र और अधिक घातक क्यों हो गया है !!!सावधान रहें, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, फेस मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं।*लहरें* पहले से ज्यादा घातक। इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा और *हर सावधानी बरतनी होगी।* --------------------------इस जानकारी को अपने पास न रखें, इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें।कृपया ध्यान रखें और सुरक्षित रहें!

राजस्थान की ब्रेकिंग- कोविड के नए वेरियंट के नए लक्षण
*बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब*
 आपातकाल मीटिंग में हुए महत्वपूर्ण निर्णय, मुख्यमंत्री ने ली कैबिनेट की मीटिंग, चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री रहे मौजूद। 
- प्रदेश में किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन आगामी आदेश तक पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे। किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन की इजाज़त फिलहाल नही दी जाएगी। 
- कल से 50% क्षमता के साथ स्कूल खुलेंगे,6 दिन में से 3 दिन बच्चे स्कूल में पढ़ने जाएंगे। 
- स्कूलों और कॉलेजों की ऑनलाइन कक्षाएं फिर से शूरू कर रहे हैं।
- बिना मास्क वालों पर चालानी कार्यवाही होगी, रोको-तोको अभियान फिर से शुरु किया जायेगा। 
- निजी संस्थानों में वैक्सीन के दोनों डोज लगे होने पर ही प्रवेश मिलेगा। 
- समस्त कार्यालय नई गाइडलाइन आने तक 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खुले रहेंगे। 
- शादियों में अधिकतम दोनों पक्षो को मिलाकर कुल 200 लोग रहेंगे मौजूद।

कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला

सीएम अशोक गलोत का बयान

स्कूल 100 फीसद तादाद की जगह 50% तादाद के साथ ही संचालित होंगे

स्कूल ऑन लाईन क्लास बंद नहीं करेंगे, ऑन लाईन क्लास जारी रहेंगी

कल से लागू होगी नई व्यवस्था *नए वेरिएंट B.1.1.1.529 को OMICRON नाम दिया गया है,*
----------------------------
वायरस वापस आ गया है, इस बार अधिक ऊर्जा, रणनीति और छलावरण के साथ।
इस बार हमें खांसी नहीं होगी, बुखार नहीं होगा, जोड़ों का दर्द नहीं होगा, बस कमजोरी होगी,
भूख न लगना और कोविड निमोनिया होगा!
बेशक, मृत्यु दर अधिक है, चरम पर पहुंचने में कम समय लगता है। कभी-कभी कोई लक्षण नहीं... आइए सावधान रहें...

यह सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिसका अर्थ है कि अवधि कम हो जाती है।

बहुत से रोगियों को बिना बुखार के देखा है, लेकिन एक एक्स-रे रिपोर्ट में मध्यम छाती का निमोनिया दिखाई देता है!

COVID19 के लिए अक्सर नेज़ल स्वैब नकारात्मक होता है!

वायरस सीधे फेफड़ों में फैलता है जिससे वायरल निमोनिया के कारण तीव्र श्वसन संकट होता है! यह बताता है कि यह तीव्र और अधिक घातक क्यों हो गया है !!!

सावधान रहें, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, फेस मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं।

*लहरें* पहले से ज्यादा घातक। इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा और *हर सावधानी बरतनी होगी।* 
--------------------------
इस जानकारी को अपने पास न रखें, इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें।
कृपया ध्यान रखें और सुरक्षित रहें!
Breaking of Rajasthan - new symptoms of new variant of Kovid *President of Bal Vanitha Mahila Old Age Ashram Smt.Vanitha Kasniya Punjab* Important decisions taken in emergency meeting, Chief Minister took cabinet meeting, Medical and Health Minister was present. Any kind of dharna demonstration in the state will be strictly prohibited till further orders. No demonstrations of any kind will be allowed for the time being. Schools will open with 50% capacity from tomorrow, 3 days out of 6 days children will go to school. Online classes of schools and colleges are resuming. Challan action will be taken against those without masks, stop-toko campaign will be started again. In private institutions, admission will be given only if both doses of the vaccine are used. All the offices will remain open with 100 percent capacity till the new guidelines come. A total of 200 people will be present in weddings including both the parties. State government's big decision regarding new variants of Corona CM Ashok Galot's statement Schools will operate with 50% strength instead of 100% strength Schools will not stop online classes, online classes will continue The new system will be applicable from tomorrow * The new variant B.1.1.1.529 has been named OMICRON,* , The virus is back, this time with more energy, strategy and camouflage. This time we will not have cough, no fever, no joint pain, just weakness, Loss of appetite and there will be covid pneumonia! Of course, the higher the mortality rate, the less time it takes to reach the peak. Sometimes no symptoms... let's be careful... It directly affects the lungs, which means the duration is reduced. Many patients are seen without fever, but an X-ray report shows moderate chest pneumonia! Nasal swab is often negative for COVID19! The virus spreads directly to the lungs causing acute respiratory distress due to viral pneumonia. This explains why it has become intense and more deadly!!! Be careful, avoid crowded places, wear face mask, wash hands frequently. *waves* more deadly than before. That's why we have to be very careful and take *every precaution.* , Don't keep this information with you, share it with your family and friends. Please take care and be safe!

Comments

Popular posts from this blog

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।#भारतवर्ष की आशाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप #आदरणीय #प्रधानमंत्री #श्री_नरेन्द्र_मोदी जी ने #कोरोना #वैक्सीन देश को समर्पित कर दी है। जिसके लिए सभी #देशवासियों को शुभकामनाएं तथा हमारे कोरोना वॉरियर्स का सहृदय #धन्यवाद। ये देश के लिए गर्व का विषय है कि वैश्विक इतिहास ने इतने बड़े स्तर का #टीकाकरण अभियान इससे पहले कभी नहीं देखा है। #दुनिया के सैंकड़ों देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 3 #करोड़ से कम है और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने जा रहा है।इस उपलब्धि के लिए मैं भारत के सभी वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, सभी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ सहित उन सभी #योद्धाओं का आभार व्यक्त करती हूं, जिनकी मेहनत व लगन ने कोरोना जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मिसाल पेश की है।#Vnita#IndiaFightsCorona #LargestVaccineDrive,

कोविड 19

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// Open main menu Search COVID-19 pandemic by country and territory Language Watch Edit COVID-19 pandemic Confirmed deaths per million population per date on map    1000+    178–1000    32–178    6–32    1–6    <1    No deaths or no data Disease COVID-19 Virus strain SARS-CoV-2 Source Probably  bats , possibly via  pangolins [1] [2] Location Worldwide First outbreak Mainland China [3] Index case Wuhan ,  Hubei ,  China 30°37′11″N 114°15′28″E Date 1 December 2019 [3]  – present (1 year, 3 months, 2 weeks and 6 days) Confirmed cases 122,964,412 [4] Active cases 50,604,706 [4] Recovered 69,647,959 [4] Deaths 2,711,747 [4] Territories 192 [4] This article provides a general overview and documents the status of locations affected by the  severe acute respiratory syndrome coronavirus 2  (SARS-CoV-2), the virus whi...

महाराष्ट्रातल्या कोणत्याही शहराची, खरंतर परिस्थिती पाहाता देशातल्या कोणत्याही शहराची सद्यस्थिती आहे. तुम्ही अहमदनगरचा तो व्हीडिओ पाहिला असेल जिथे एकाच चितेवर सहा जणांना अग्नी दिला. किंवा देशाच्या कोणत्यातरी नदीच्या किनारी जमिनीवरच मृतदेह ठेवून त्याभोवती लाकडं रचून पेटवलेलंही पाहिलं असेल, अगदी परवा समोर आलेला लखनऊच्या स्मशानातला अनेक मृतदेह जळतानाचा व्हीडिओही नजरेसमोरून गेला असेल. तसाच माझा एक अनुभव.By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकोव्हिडने मरणाऱ्या लोकांचे आकडे रोज समोर येतात, थोडं हळहळून, चुकचुकून सोडून देतो आपण, कामाला लागतो. दुसऱ्या दिवशी परत आकडे येतात. तेच घडतं, तोपर्यंत जोपर्यंत ही काळाची चाहूल तुमच्या घरात लागत नाही.अचानक आकडे फक्त आकडे न राहाता आपल्या जगण्याची धावपळ बनते. काहीतरी शाप असावा माणसाला की आपला माणूस मरत नाही तोवर काही सिरीयसली घ्यावंसच वाटत नाही. तशीच गर्दी बाहेर वाढत असते.आभाळच फाटलं त्याला कुठे कुठे ठिगळं लावणार असं माझी आजी म्हणायची.कोरोनाने मरणारा माणूस कसा मरतो माहितेय? श्वास कोंडून, की शेवटी त्याला जगण्यासाठी एक श्वास घेणं मुश्कील व्हावं. जो/जी गेले ते तर सुटतात, मागे राहिलेल्यांचं काय?जे कोरोनाने जातात ना त्यांचे जवळचे, रक्ताच्या नात्याचे सहसा त्याच आजाराने ग्रस्त असतात. काही तर हॉस्पिटलमध्येच असतात. आपल्या माणसाला शेवटचा निरोप द्यायलाही त्यांना येता येत नाही. मरण स्वस्त तर झालंच आहे, एकटंही झालंय.मी पाहिलंय स्मशानभूमीत. एकाशेजारी एक सहा-सात चिता जळत असतात आणि दर तिसऱ्या मिनीटाला एक बॉडी येत असते. माझ्या नात्यातली व्यक्ती गेली तेव्हा माझ्या शहरात कोरोनाने 40 मृत्यू झाले होते.सविस्तरच सांगायला हवं कसं होतं ते. तुमचं शहर मोठं असेल आणि तुम्ही शहरात दोन स्मशानभूमी असण्याइतके लकी (!) असाल तर एक स्मशानभूमी कोव्हिडसाठी राखीव असते. दिवसभरात गेलेल्या लोकांच्या बॉडी दुपारनंतर रिलीज व्हायला सुरूवात होते आणि आग धगधगायला लागते. शववाहिका येत असतात, चिता पेटत असतात. जो मेलाय त्याच्या जवळचं स्मशानभूमीत कोणीच नसतं. ते ऑलरेडी एकतर अॅडमिट असतात नाहीत क्वारंटाईन असतात. मेलेल्याला आग लावायला रक्ताचं नसतं कोणी.नवरा, बायको, संसार, मुलं कोणीच नसतात. माझ्या नातेवाईकाच्या बाबतीत असंच झालं. लांबची चार माणसं सोडून कोणीच नव्हतं. अग्नी कोणी दिला, कोणाच्या लक्षातही नाही. तरी जी माणसं आली त्यांचं कौतुक मानायला पाहिजे की ती आली तरी. नाहीतर महानगरपालिकेची माणसं कुठे जाळतात, कशी जाळतात पत्ता नाही लागत. त्यांना तरी का दोष द्यावा? संपत नाहीये मृत्यूचा खेळ. मेलेल्या माणसाला प्लास्टिकमध्ये गुंडाळलेलं असतं, घरी आणण्याचा प्रश्नच नसतो. थेट स्मशानात नेतात. जाळण्यासाठीही टोकन घ्यावं लागतं. काही ठिकाणी 24-36 तासांचा वेटिंग पीरियड आहे म्हणे. आमच्या माणसाला निदान स्मशानात आणल्या आणल्या आग नशिबी आली.हॉस्पिटलमध्ये माणूस गेला रे गेला की त्याला बेडवरून उतरवायची घाई सुरू होते. रडायला तरी कोणाला आणि किती वेळ असणार? रिकामा (!) झालेला बेड बाहेर जगण्या-मरण्याच्या अध्येमध्ये टांगलेल्या माणसाला द्यायचा असतो. Life should trump death.कमीत कमी ज्या जवळच्या माणसांना आपल्या माणसांचे अंतिम संस्कार करता येतात ते नशीबवान (!) म्हणायचे. खांदा द्यायचा नसतोच, पण निदान अग्नी द्यायला, शेवटचा निरोप द्यायला चार माणसं यावीत म्हणून प्रयत्नांची पराकाष्ठा करावी लागते. कोव्हिडने गेलेल्या माणसाचे अंतिम संस्कार करायला कोण परकी माणसं येणार? तरी काही येतात, घाबरत घाबरत का होईना कसेबसे सोपस्कार पार पडतात.एका पत्रकार मित्राने सांगितलेला किस्सा. त्याचे वडील गेले मागच्या वर्षी कोरोनाने, लहानशा गावात. खांदा द्यायला माणूस नव्हता. याने एकट्याने खांद्यावर बॉडी नेऊन चितेवर ठेवली, अग्नी दिला आणि चिता शांत व्हायची वाट पाहात बसला. एकटाच.आपला माणूस मरतो तेव्हा काय होतं माहितेय? कोणी नसतं तिथे... उद्या अस्थी गोळा करायला कोण येणार, पुन्हा ही रिस्क कोण घेणार म्हणून तू-तू-मी-मी चालत असते. पुढचे तुमच्या आठवणीत असतील एखाद्या चांगल्या माणसाच्या मयतीला आलेली शेकडो माणसं. इथे शेकडो माणसंच मृत्यूच्या दारात उभी असतात. ब्राझीलमधला एक फोटो पाहिला काही दिवसांपूर्वी. कोव्हिड वॉर्डमध्ये अॅडमिट असलेल्या पेशंटचा हात गरम पाणी भरलेल्या दोन रबरी ग्लोव्हमध्ये ठेवला आहे. माणसाचा स्पर्शच नाही तरी काहीतरी तरी जाणीव असावी म्हणून. इतका एकटेपणा असतो.हा मेल्यानंतरी पाठ सोडत नाही. जो मेलेल्यासाठी रडतोय त्याचीही पाठ हा एकटेपणा सोडत नाही. ना मेलेल्याला खांदा देता येतो, ना मांडी. ना त्यांच्या जाण्यावरून कोणाच्या गळ्यात पडून धाय मोकलून रडता येतं.बाल वनिता महिला आश्रमकोणी रडत तर खांद्यावर हात टाकून सांत्वन करायला कोणी पुढे येत नाही. फेसशिल्ड, मास्कमध्ये लपलेले चेहरे. दोन-दोन मास्क लावल्यामुळे जड झालेला श्वास आणि आगीच्या धगीमुळे लागलेल्या घामाच्या धारा यात अश्रू कुठे वाहून जातात काहीच कळत नाही. मुळात कोण कोणासाठी रडतंय, त्याहीपेक्षा गेलेल्या माणसासाठी रडायला इथे कोणी आहे तरी का हे कळायला जागा नसते.या एकटेपणाचं काय करावं?समोर जळणाऱ्या सहा-सात चितांच्या ज्वाळात नंतर हेही कळत नाही की आपल्या माणसाला कुठे अग्नी दिला होता. चौथऱ्यावर गेलं की धग लागते फक्त, सगळीकडून जळणाऱ्या चितांची. स्मशानात एरवी भयाण वाटतं म्हणे, एकटीच चिता जळत असते बाकी अंधार.आता आपल्या माणसाचं चितेत जळण्यासाठी कधी नंबर येईल या विवेचंनेत थांबलेली माणसं, स्मशानभूमीत काम करणाऱ्या माणसांची यंत्रासारखी लगबग, सतत येणाऱ्या अँब्युलन्स, समोर धडाडणाऱ्या चिता आणि त्यांचा सगळीकडे पसरलेला प्रकाश फक्त भेसूर वाटतो.अर्धा किलोमीटर अंतरावरून कळतं पुढे स्मशानभूमी आहे इतका त्या अग्नीचा प्रकाश पसरलेला असतो. भीती फक्त माणसाच्या हतबलतेची वाटते.बाकी कोणतं वर्ष पनवती नसतं, काळ पनवती नसतो, आपण माणसंच पनवती असतो.(टीप : बीबीसी मराठीच्या सदस्याने आपला अनुभव या ब्लॉगमध्ये मांडला आहे. त्यांच्या इच्छेखातर नाव देत नाही आहोत न्यूज मराठीचे सर्व अपडेट्स मिळवण्यासाठी आम्हाला YouTube, Facebook, Instagram आणि Twitter वर नक्की फॉलो करा.

महाराष्ट्रातल्या कोणत्याही शहराची, खरंतर परिस्थिती पाहाता देशातल्या कोणत्याही शहराची सद्यस्थिती आहे. तुम्ही अहमदनगरचा तो व्हीडिओ पाहिला असेल जिथे एकाच चितेवर सहा जणांना अग्नी दिला. किंवा देशाच्या कोणत्यातरी नदीच्या किनारी जमिनीवरच मृतदेह ठेवून त्याभोवती लाकडं रचून पेटवलेलंही पाहिलं असेल, अगदी परवा समोर आलेला लखनऊच्या स्मशानातला अनेक मृतदेह जळतानाचा व्हीडिओही नजरेसमोरून गेला असेल. तसाच माझा एक अनुभव. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कोव्हिडने मरणाऱ्या लोकांचे आकडे रोज समोर येतात, थोडं हळहळून, चुकचुकून सोडून देतो आपण, कामाला लागतो. दुसऱ्या दिवशी परत आकडे येतात. तेच घडतं, तोपर्यंत जोपर्यंत ही काळाची चाहूल तुमच्या घरात लागत नाही. अचानक आकडे फक्त आकडे न राहाता आपल्या जगण्याची धावपळ बनते. काहीतरी शाप असावा माणसाला की आपला माणूस मरत नाही तोवर काही सिरीयसली घ्यावंसच वाटत नाही. तशीच गर्दी बाहेर वाढत असते. आभाळच फाटलं त्याला कुठे कुठे ठिगळं लावणार असं माझी आजी म्हणायची. कोरोनाने मरणारा माणूस कसा मरतो माहितेय? श्वास कोंडून, की शेवटी त्याला जगण्यासाठी एक श्वास घेणं मुश्कील व्हावं. जो/ज...