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हाल के समय में कोविड महामारी के कारण जनसाधारण को इतनी कठिनाईयां सहनी पड़ी हैं कि आगामी केन्द्रीय बजट में उन्हें बड़ी राहत मिलनी ही चाहिए. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब इस संदर्भ में हाल ही में 25 जनवरी को जारी की गई आक्सफैम इंडिया विषमता रिपोर्ट में न्यायसंगत राजस्व व जरूरी खर्चों के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य व सुझाव दिए गए हैं.इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड-19 के हमले से पहले ही भारत का सकल घरेलू उत्पाद कठिन दौर में था. वर्ष 2017-18 में संवृद्धि दर 7 प्रतिशत थी. वर्ष 2018-19 में यह 6.1 प्रतिशत पर सिमट गई और वर्ष 2019-20 में और भी कम होकर 4.2 प्रतिशत पर. यह मुख्य रूप से विमुद्रीकरण व जीएसटी के क्रियान्वयन के कारण हुआ, जिससे नकदी पर चलने वाला अनौपचारिक क्षेत्र व छोटे उद्यम बुरी तरह प्रभावित हुए.कोविड-19 से यह स्थिति और बिगड़ गई, सकल घरेलू उत्पादन (जीएसटी) की संवृद्धि दर और कम हो गई तथा इसका देश की राजस्व प्राप्ति पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. यह अनुमानित है कि नौमीनल जीएसटी वर्ष 2020-21 में वर्ष 2019-20 जितना ही रहेगा.महामारी के कारण जो वित्तीय आवश्यकताएं उत्पन्न हुई हैं उनकी पूर्ति पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. देश के कुल रेवेन्यु का 73 प्रतिशत हिस्सा करों के रूप में प्राप्त होता है. अप्रत्यक्ष करों (कस्टम ड्यूटी व जीएसटी) का हिस्सा वर्ष 2014-15 (वास्तविक) में 44 प्रतिशत था जबकि वर्ष 2018-19 (बजट अनुमान) में यह बढ़कर 47 प्रतिशत हो गया. वर्ष 2019-20 (बजट अनुमान) में यह 46 प्रतिशत है. इससे पता चलता है कि इस समय भी कस्टम ड्यूटी व जीएसटी पर भारी निर्भरता बनी हुई है.इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-21 वित्तीय वर्ष के लिए कुल कर रेवेन्यू प्राप्ति का लक्ष्य 16.35 लाख करोड़ रुपए था. अभी तक अपेक्षाकृत कम भाग ही प्राप्त हुआ है. सितंबर 2020 तक बजट-अनुमान का 50 प्रतिशत खर्च हो चुका था जबकि कुल प्राप्ति का एक तिहाई ही प्राप्त हुआ था. यदि कर - जीडीपी का अनुपात बढ़ाने के लिए जीएसटी पर निर्भरता बढ़ाई जाती है तो देश में असमानता और बढ़ेगी क्योंकि जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है व यह गरीब व अमीर पर एक ही दर से लगता है. इस कमी को दूर करने के लिए जीएसटी की पैसे वालों व गरीबों के लिए अलग दर हो सकती है, या आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी पूरी तरह हटाया जा सकता है. इसके साथ प्रत्यक्ष करों की दरें बढ़ाने पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए. आय कर व कारपोरेट कर प्रत्यक्ष कर हैं जिनके माध्यम से अधिक धनी करदाताओं से अधिक कर प्राप्त किए जा सकता है.अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिकदिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैंहम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.क्या कहता है फोर्सभारतीय रेवेन्यू सर्विस (राजस्व सेवा) की एसोसिएशन ने एक नीति पत्र तैयार किया था जिसका शीर्षक है, 'कोविड-19 का रिस्पांस व राजस्व विकल्प'. संक्षेप में इसे 'फोर्स' दस्तावेज कहा गया है. इसमें सलाह दी गई है कि जिनकी आय एक वर्ष में एक करोड़ रुपए से अधिक है, उन पर आय कर की दर 40 प्रतिशत तक बढ़ा देनी चाहिए. इसमें कहा गया है कि संपत्ति कर की वापसी करनी चाहिए. इसके अतिरिक्त 10 लाख रुपए से अधिक की कर देय आय पर केवल एक बार 4 प्रतिशत का विशेष कोविड-19 उपकर (सेस) लगाना चाहिए.इस नीति-पत्र के अनुसार इन उपायों को अपनाकर लाकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाया जा सकता था, उसे गति दी जा सकती थी. यदि इस तरह कर-राजस्व को बढ़ाया जाए तो जनसाधारण के उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी लगाने से बचा जा सकेगा व निर्धन वर्ग पर अधिक बोझ डालने से बचा जा सकेगा.सबसे धनी 954 परिवारों पर 4 प्रतिशत करएक अनुमान के अनुसार यदि देश के सबसे धनी 954 परिवारों पर 4 प्रतिशत कर लगा दिया जाए तो सकल घरेलू उत्पाद के 1 प्रतिशत के बराबर धनराशि प्राप्त की जा सकती है . भारतीय सरकार ने कोविड-19 के संकट से उभरने का जो आत्म-निर्भरता पैकेज घोषित किया, उसका प्रत्यक्ष बजट असर लगभग 2 लाख करोड़ रुपए के आसपास ही है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत ही है. यह महामारी के बहुत व्यापक व अधिक प्रतिकूल असर को दूर करने के लिए अपर्याप्त है. साथ में स्पष्ट है कि महामारी से प्रतिकूल प्रभावित मध्यम वर्ग से कर प्राप्त बढ़ाने के स्थान पर सरकार को सबसे धनी करदाताओं पर कोविड-19 सरचार्ज लगाना चाहिए था और इसका उपयोग जन-कल्याण पैकेज के लिए करना चाहिए था.रिपोर्ट के अंत में बजट को आम लोगों के पक्ष में बनाने के लिए कुछ संस्तुतियां भी की गई हैं. कहा गया है कि कोविड-19 के आगे के दौर में सबसे अधिक धनी व्यक्तियों व निगमों पर टैक्स बढ़ाने के संदर्भ में बदलाव करना चाहिए.50 लाख रुपए प्रति वर्ष से अधिक आय के कर दाताओं की आय पर दो प्रतिशत का अतिरिक्त सरचार्ज लगाना चाहिए.महामारी के दौरान अप्रत्याशित/अत्यधिक मुनाफा कमाने वाली कंपनियों पर एक अल्प-कालीन टैक्स लगाना चाहिए.निर्धन वर्ग पर बोझ कम करने के लिए आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं पर जीएसटी हटा देना चाहिए या कम कर देना चाहिए.उम्मीद है कि इस तरह के उपायों से निर्धन वर्ग को राहत दी जा सकेगी व इसके लिए जरूरी संसाधन भी जुटाए जा सकेंगे.इस वर्ष बजट में वित्त मंत्री के सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं. जीडीपी और रेवेन्यू प्राप्ति के गिरावट के बीच कई तरह के खर्च को बढ़ाना जरूरी हो गया है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि सबसे कमजोर वर्गों की जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाए. नरेगा के आवंटन में बड़ी वृद्धि के साथ ग्रामीण रोजगार गारंटी की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी की योजना आरंभ करने की भी चर्चा रही है. मूल बात ये है कि बढ़ती आर्थिक व आजिविका की कठिनाइयों के बीच शहरों और गावों के सबसे कमजोर परिवारों की सहायता व राहत बहुत जरूरी है.In recent times, due to the Kovid epidemic, the public has had to face so many difficulties that they should get big relief in the upcoming Union Budget. By social worker Vanita Kasani Punjab, in this context, some important facts and suggestions about equitable revenue and necessary expenses have been given in the recent Oxfam India Inequality Report released on 25 January. It has been reported in this report that India's GDP was in a difficult phase even before the Kovid-19 attack. In the year 2017-18, the growth rate was 7 percent. It was reduced to 6.1 percent in the year 2018-19 and further reduced to 4.2 percent in the year 2019-20. This was mainly due to demonetisation and the implementation of GST, which severely affected the cash-driven informal sector and small enterprises. This situation worsened with Kovid-19, the growth rate of gross domestic product (GST) further reduced. Has gone and it is also adversely affecting the revenue receipt of the country. It is estimated that in the year 2020-21, the nine-year GST will remain the same as the year 2019-20. The financial requirements that have arisen due to the epidemic will have an adverse effect on its fulfillment. 73 percent of the country's total revenue is received as taxes. The share of indirect taxes (custom duty and GST) was 44 percent in the year 2014-15 (actual) while it increased to 47 percent in the year 2018-19 (budget estimate). This is 46 percent in the year 2019-20 (budget estimate). This shows that even at this time there is a heavy dependence on custom duty and GST. According to this report, the total tax revenue target for the year 2020-21 was Rs 16.35 lakh crore. So far only a relatively small portion has been received. By September 2020, 50 percent of the budget estimate had been spent, while only one third of the total was received. If the dependence on GST is increased to increase the tax-GDP ratio, inequality will increase in the country because GST is an indirect tax and it is levied on the poor and rich at the same rate. To overcome this deficiency, GST may be different for the poor and the poor, or GST can be completely removed on essential commodities. Along with this, more emphasis should be given on raising the rates of direct taxes. Income tax and corporate tax are direct taxes through which higher taxes can be obtained from more wealthy taxpayers. Good journalism matters, even more in a crisis Deprint brings to you stories that you should read, even from where they are happening We can continue this only if you cooperate with us for our reporting, writing and photographs. What does the force say The Association of Indian Revenue Service (Revenue Service) had prepared a policy paper titled, 'Response and Revenue Options of Kovid-19'. In short, it has been called a 'force' document. It has been suggested that the income tax rate should be increased by 40 percent for those whose income is more than one crore rupees in a year. It states that property tax should be refunded. Apart from this, special Kovid-19 Cess (Cess) of 4 percent should be imposed only once on taxable income of more than Rs 10 lakh. According to this policy letter, after adopting these measures, after the lockdown, the economy could be elevated, it could be given momentum. If tax-revenue is increased in this way, it will be avoided to impose GST on the items of public use and avoid putting more burden on the poor. 4 percent tax on wealthiest 954 families According to an estimate, if 4 percent tax is imposed on the wealthiest 954 families of the country, then an amount equal to 1 percent of GDP can be obtained. The self-reliance package announced by the Indian government to emerge from the crisis of Kovid-19, has a direct budget impact of around 2 lakh crore rupees, which is only 1 percent of GDP. This is insufficient to overcome the much wider and more adverse effects of the epidemic. It is also clear that instead of increasing the tax received from the epidemic-affected middle class, the government should have levied Kovid-19 surcharge on the wealthiest taxpayers and used it for public welfare package. At the end of the report, some recommendations have also been made to make the budget in favor of common people. It has been said that in the next phase of Kovid-19, changes should be made in the context of increasing the tax on the wealthiest individuals and corporations. A surcharge of two percent should be levied on the income of tax payers of income above Rs 50 lakh per year. A short-term tax should be levied on companies making unexpected / excessive profits during an epidemic. To reduce the burden on the poor, GST should be removed or reduced on essential goods and services. It is expected that such measures will provide relief to the poor and it will also be able to mobilize necessary resources. This year, there are huge challenges before the Finance Minister in the budget. In the midst of declining GDP and revenue realization, it has become necessary to increase many types of spending. Therefore it is very important that special attention be paid to the needs of the most vulnerable sections. With the major increase in the allocation of NREGA, there has also been talk of starting an urban employment guarantee scheme on the lines of rural employment guarantee. The basic thing is that amidst increasing economic and livelihood difficulties, the help and relief of the most vulnerable families in cities and villages is very important.

In recent times, due to the Kovid epidemic, the public has had to face so many difficulties that they should get big relief in the upcoming Union Budget. By social worker Vanita Kasani Punjab, in this context, some important facts and suggestions about equitable revenue and necessary expenses have been given in the recent Oxfam India Inequality Report released on 25 January.  It has been reported in this report that India's GDP was in a difficult phase even before the Kovid-19 attack. In the year 2017-18, the growth rate was 7 percent. It was reduced to 6.1 percent in the year 2018-19 and further reduced to 4.2 percent in the year 2019-20. This was mainly due to demonetisation and the implementation of GST, which severely affected the cash-driven informal sector and small enterprises. This situation worsened with Kovid-19, the growth rate of gross domestic product (GST) further reduced. Has gone and it is also adversely affecting the revenue receipt of the country. It is esti...

नई दिल्‍ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 18,855 नए कोरोना के केस सामने आए हैं, जिसके साथ भारत में कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) की नवीनतम दैनिक टैली में उछाल आया।, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब देश में बृहस्‍पतिवार को कोरोना मामलों की संख्‍या 11,666 रिपोर्ट की थी, जिसका अर्थ है कि आज कोरोना केस कल की तुलना में लगभग 7,200 संक्रमण अधिक हैं।मंत्रालय ने बताया है कि कोरोना महामारी से बीमार होने वालों की संख्या 1 करोड़ 7 लाख के पार हो गई है। पिछले 24 घंटे में 20,746 नए मरीजों को डिस्चार्ज करने के साथ ही देश में कुल ठीक होने वालों की तादाद 10,394,352 हो गई है।देश में कोरोना से मृत्यु दर 154,000 अंक को पार कर गई, क्योंकि पिछले 24 घंटे में 163 नई मौतों के साथ कुल मौतों की संख्‍या 154,010 तक पहुंचा गई है। कोरोना के सक्रिय मामले 172,000 से नीचे फिसल गए हैं। ठीक होने वाले, सक्रिय मामले और मौतों में कुल मामले क्रमशः 96.94%, 1.62% और 1.44% हैं।शुक्रवार को सरकार द्वारा संचालित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा कि उसने कोविड के लिए 28 जनवरी तक 742,306 नमूनों का परीक्षण किया था, इस प्रकार अब तक परीक्षण किए गए नमूनों की कुल संख्या 195,081,079 है।भारत वर्तमान में Covid-19 के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था। कुल मिलाकर 2,928,053 स्वास्थ्य कार्यकर्ता अभी तक टीका लगाए गए हैं, जोकि स्वास्थ्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़े बताते हैं। भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका कोविशिल्ड और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की कोवैक्‍सीन का उपयोग किया जा रहा है। दोनों टीकों को इस महीने की शुरुआत में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा मंजूरी दी गई है।New Delhi: According to data released on Friday by the Union Ministry of Health, there have been 18,855 new Corona cases in the country, with the latest daily tally of Corona Virus Disease (COVID-19) in India booming. Vanita Kasani Punjab reported 11,666 cases of corona cases on Thursday in the country, which means that today corona cases are about 7,200 more infections than yesterday. The ministry has reported that the number of people getting sick from the corona epidemic has crossed 1 crore 7 lakh. With 20,746 new patients discharged in the last 24 hours, the total number of people recovering in the country has risen to 10,394,352. The death rate from Corona in the country has crossed the 154,000 mark as 163 new deaths have been reported in the last 24 hours. The number of deaths has reached 154,010. Corona's active cases have slipped below 172,000. The total cases of cured, active cases and deaths are 96.94%, 1.62% and 1.44% respectively. On Friday, the government-run Indian Council of Medical Research (ICMR) said it had tested 742,306 samples for Kovid as of 28 January, thus taking the total number of samples tested so far to 195,081,079. India currently launched the world's largest vaccination campaign against Covid-19 on 16 January. Altogether 2,928,053 health workers have been vaccinated so far, according to the latest figures from the Ministry of Health. Covaxin of Oxford University-AstraZeneca Covishield and Bharat Biotech International Limited are being used in India. Both vaccines have been approved by the Drugs Controller General of India (DCGI) earlier this month.,

नई दिल्‍ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 18,855 नए कोरोना के केस सामने आए हैं, जिसके साथ भारत में कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) की नवीनतम दैनिक टैली में उछाल आया।, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब देश में बृहस्‍पतिवार को कोरोना मामलों की संख्‍या 11,666 रिपोर्ट की थी, जिसका अर्थ है कि आज कोरोना केस कल की तुलना में लगभग 7,200 संक्रमण अधिक हैं। मंत्रालय ने बताया है कि कोरोना महामारी से बीमार होने वालों की संख्या 1 करोड़ 7 लाख के पार हो गई है। पिछले 24 घंटे में 20,746 नए मरीजों को डिस्चार्ज करने के साथ ही देश में कुल ठीक होने वालों की तादाद 10,394,352 हो गई है।देश में कोरोना से मृत्यु दर 154,000 अंक को पार कर गई, क्योंकि पिछले 24 घंटे में 163 नई मौतों के साथ कुल मौतों की संख्‍या 154,010 तक पहुंचा गई है। कोरोना के सक्रिय मामले 172,000 से नीचे फिसल गए हैं। ठीक होने वाले, सक्रिय मामले और मौतों में कुल मामले क्रमशः 96.94%, 1.62% और 1.44% हैं। शुक्रवार को सरकार द्वारा संचालित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा कि उसने कोविड के ल...

कई बीमारियाँ जिन्हें तीन दशक पहले जानलेवा समझा जाता था, वो टीकों की वजह से लगभग ख़त्म हो गई हैं, by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए दुनिया के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुके हैं.इससे जुड़ी सूचनाएं और सुझाव कई बार आपको पेचीदा लग सकती हैं, लेकिन कुछ बुनियादी तथ्य हैं जो आपकी यह समझने में मदद करेंगे कि एक वैक्सीन आख़िर काम कैसे करती हैं.वैक्सीन क्या है?एक वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है.वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं.ये शरीर के 'इम्यून सिस्टम' यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण (आक्रमणकारी वायरस) की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके ख़िलाफ़ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं.वैक्सीन लगने का नकारात्मक असर कम ही लोगों पर होता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके साइड इफ़ेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है. हल्का बुख़ार या ख़ारिश होना, इससे सामान्य दुष्प्रभाव हैं.वैक्सीन लगने के कुछ वक़्त बाद ही आप उस बीमारी से लड़ने की इम्यूनिटी विकसित कर लेते हैं.अमेरिका के सेंटर ऑफ़ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि वैक्सीन बहुत ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं क्योंकि ये अधिकांश दवाओं के विपरीत, किसी बीमारी का इलाज नहीं करतीं, बल्कि उन्हें होने से रोकती हैं.वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती हैक्या टीके सुरक्षित हैं?वैक्सीन का एक प्रारंभिक रूप चीन के वैज्ञानिकों ने 10वीं शताब्दी में खोज लिया था.लेकिन 1796 में एडवर्ड जेनर ने पाया कि चेचक के हल्के संक्रमण की एक डोज़ चेचक के गंभीर संक्रमण से सुरक्षा दे रही है.उन्होंने इस पर और अध्ययन किया. उन्होंने अपने इस सिद्धांत का परीक्षण भी किया और उनके निष्कर्षों को दो साल बाद प्रकाशित किया गया.तभी 'वैक्सीन' शब्द की उत्पत्ति हुई. वैक्सीन को लैटिन भाषा के 'Vacca' से गढ़ा गया जिसका अर्थ गाय होता है.वैक्सीन को आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धियों में से एक माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकों की वजह से हर साल क़रीब बीस से तीस लाख लोगों की जान बच पाती है.सीडीसी का कहना है कि बाज़ार में लाये जाने से पहले टीकों की गंभीरता से जाँच की जाती है. पहले प्रयोगशालाओं में और फिर जानवरों पर इनका परीक्षण किया जाता है. उसके बाद ही मनुष्यों पर वैक्सीन का ट्रायल होता है.अधिकांश देशों में स्थानीय दवा नियामकों से अनुमति मिलने के बाद ही लोगों को टीके लगाये जाते हैं.टीकाकरण में कुछ जोखिम ज़रूर हैं, लेकिन सभी दवाओं की ही तरह, इसके फ़ायदों के सामने वो कुछ भी नहीं.उदाहरण के लिए, बचपन की कुछ बीमारियाँ जो एक पीढ़ी पहले तक बहुत सामान्य थीं, टीकों के कारण तेज़ी से लुप्त हो गई हैं.चेचक जिसने लाखों लोगों की जान ली, वो अब पूरी तरह ख़त्म हो गयी है.लेकिन सफ़लता प्राप्त करने में अक्सर दशकों लग जाते हैं. वैश्विक टीकाकरण अभियान शुरू होने के लगभग 30 साल बाद अफ़्रीका को अकेला पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया. यह बहुत लंबा समय है.विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ पूरी दुनिया में पर्याप्त टीकाकरण करने में महीनों या संभवतः वर्षों का समय लग सकता है, जिसके बाद ही हम सामान्य स्थिति में लौट सकेंगे.चेचक जिसने लाखों लोगों की जान ली, वो टीके की मदद से पूरी तरह ख़त्म हो गयी हैटीके कैसे बनाये जाते हैं?जब एक नया रोगजनक (पैथोजन) जैसे कि एक जीवाणु, विषाणु, परजीवी या फ़ंगस शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर का एक उप-भाग जिसे एंटीजन कहा जाता है, वो उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर देता है.एक वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं.पारंपरिक टीके शरीर के बाहरी हमले से लड़ने की क्षमता को विकसित कर देते हैं.लेकिन टीके विकसित करने के लिए अब नये तरीक़े भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं. कोरोना के कुछ टीके बनाने में भी इन नये तरीक़ों को आज़माया गया है.कोविड वैक्सीन की तुलनाफ़ाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन, दोनों 'मैसेंजर आरएनए वैक्सीन' हैं जिन्हें तैयार करने में वायरस के आनुवांशिक कोड के एक हिस्से का उपयोग किया जाता है.ये टीके एंटीजन के कमज़ोर या निष्क्रिय हिस्से का उपयोग करने की बजाय, शरीर के सेल्स को सिखाते हैं कि वायरस की सतह पर पाया जाने वाला 'स्पाइक प्रोटीन' कैसे बनायें जिसकी वजह से कोविड-19 होता है.ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन भी अलग है. वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए चिंपांज़ी को संक्रमित करने वाले एक वायरस में कुछ बदलाव किये हैं और कोविड-19 के आनुवंशिक-कोड का एक टुकड़ा भी इसमें जोड़ दिया है.इन तीनों ही टीकों को अमेरिका और ब्रिटेन में आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दी जा चुकी है. मैक्सिको, चिली और कोस्टा रिका ने भी फ़ाइज़र की कोविड वैक्सीन का प्रबंध करना शुरू कर दिया है. जबकि ब्राज़ील सरकार ने ऑक्सफ़ोर्ड और सिनोवैक की वैक्सीन को हरी झंडी दिखाई है.ब्राज़ील में नर्स मोनिका कालाज़ेंस को लगा देश का पहला कोविड वैक्सीनक्या कोविड के और टीके भी हैं?चीन की दवा कंपनी सिनोवैक ने 'कोरोना-वैक' नामक टीका बनाया है. चीन, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया और फ़िलीपींस में इसे उतारा गया है. कंपनी ने इस टीके को बनाने में पारंपरिक तरीक़े का इस्तेमाल किया है. कंपनी के अनुसार, इस टीके को बनाने के लिए वायरस के निष्क्रिय अंशों का इस्तेमाल किया गया.हालांकि, यह कितना प्रभावी है, इसे लेकर काफ़ी सवाल उठे हैं. तुर्की, इंडोनेशिया और ब्राज़ील में इस टीके का ट्रायल किया गया था. इन देशों के वैज्ञानिकों ने अंतिम चरण के ट्रायल के बाद कहा कि यह टीका 50.4 प्रतिशत ही प्रभावशाली है.भारत में दो टीके तैयार हो रहे हैं. एक का नाम है कोविशील्ड जिसे एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया इसका उत्पादन कर रहा है. और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन.रूस ने अपनी ही कोरोना वैक्सीन तैयार की है जिसका नाम है 'स्पूतनिक-5' और इसे वायरस के वर्ज़न में थोड़ बदलाव लाकर तैयार किया गया. यही टीका अर्जेंटीना में भी इस्तेमाल हो रहा है. अपने टीकाकरण अभियान के लिए अर्जेंटीना ने इस टीके की तीन लाख डोज़ मंगवाई हैं.अफ़्रीकी यूनियन ने भी वैक्सीन की लाखों डोज़ मंगवाई हैं, लेकिन उन्होंने ऑर्डर कई दवा कंपनियों को दिये हैं. मसलन, अफ़्रीकी यूनियन ने फ़ाइज़र, एस्ट्राज़ेनेका (सीरम इंस्टीट्यूट के ज़रिये) और जॉनसन एंड जॉनसन को वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन फ़िलहाल अपनी वैक्सीन फ़ाइनल नहीं कर पायी है.महामारी फैलने के बाद 'हर्ड इम्यूनिटी' को हासिल करना सामान्य जीवन की ओर लौटने का सबसे तेज़ तरीक़ा माना जाता हैक्या मुझे कोविड वैक्सीन लेनी चाहिए?कहीं भी कोविड वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं किया गया है. लेकिन ज़्यादातर लोगों को यह सलाह दी जाती है कि वो टीका लगवायें. हालांकि, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के मामले में यहाँ अपवाद है.सीडीसी का कहना है कि वैक्सीन ना सिर्फ़ कोविड-19 से सुरक्षा देती है, बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित करती है. इसके अलावा सीडीसी टीकाकरण को महामारी से बाहर निकलने का सबसे महत्वपूर्ण ज़रिया भी बताती है.विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि संक्रमण को रोकने के लिए कम से कम 65-70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगानी होगी, जिसका मतलब है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना होगा.बहुत से लोग हैं जिन्हें कोविड वैक्सीन तैयार होने की रफ़्तार को लेकर कई तरह की चिंताएं हैं.यह सच है कि वैज्ञानिक एक वैक्सीन विकसित करने में कई साल लगा देते हैं, मगर कोरोना महामारी का समाधान ढूंढने के लिए रफ़्तार को काफ़ी बढ़ाया गया. इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन वैज्ञानिकों, व्यापारिक और स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है.संक्षेप में कहें तो अरबों लोगों के टीकाकरण से कोविड-19 को फैलने से रोका जा सकेगा और दुनिया हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी के ज़रिये ही दुनिया सामान्य जीवन में दोबारा लौट पायेगी.Many diseases, which were considered fatal three decades ago, have almost disappeared due to vaccines, by social worker Vanita Kasani Punjab, Vaccination campaigns have started in many countries of the world to control the corona epidemic. Information and suggestions related to this may seem complicated to you at times, but there are some basic facts that will help you understand how a vaccine works. What is a vaccine? A vaccine prepares your body to fight against any disease, virus or infection. The vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease. These cause the body's 'immune system', that is, the immune system to identify infections (invasive viruses) and make antibodies against them in the body Which help our body in fighting external attack. The negative impact of the vaccine is rarely on people, but some people may face its side effects. Mild fever or rash are common side effects. You develop immunity to fight the disease only after the vaccine has been applied. The US Center of Disease Control and Prevention (CDC) says that vaccines are very powerful because they, unlike most drugs, do not cure a disease, but prevent it from occurring. The vaccine prepares your body to fight against any disease, virus, or infection. Are vaccines safe? An early form of the vaccine was discovered by Chinese scientists in the 10th century. But in 1796, Edward Jenner found that a dose of mild infection of smallpox protects against severe infection of smallpox. He studied it further. He also tested his theory and his findings were published two years later. That's when the word 'vaccine' originated. The vaccine was coined from the Latin language 'Vacca' which means cow. The vaccine is considered one of the greatest medical achievements of the modern world. According to the World Health Organization, about twenty to three million people are saved every year due to vaccines. The CDC says that vaccines are seriously tested before being brought to market. They are tested first in laboratories and then on animals. Only then the vaccine is trialled on humans. In most countries, vaccines are administered to people only after getting permission from local drug regulators. There are some risks in vaccination, but like all medicines, they have nothing in front of its benefits. For example, some childhood diseases that were very common up to a generation ago have become increasingly extinct due to vaccines. Smallpox, which killed millions of people, is now completely over. But it often takes decades to achieve success. Africa was declared the only polio-free country nearly 30 years after the global vaccination campaign began. This is a very long time. Experts have warned that it may take months or possibly years to get adequate vaccination against Kovid-19, only after which we will be able to return to normalcy. Smallpox, which killed millions of people, is completely eradicated with the help of vaccines. How are vaccines made? When a new pathogen (pathogen) such as a bacterium, virus, parasite or fungus enters the body, a sub-part of the body called an antigen starts producing antibodies to fight it. A vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease. Traditional vaccines develop the body's ability to fight external attacks. But now new methods are also being used to develop vaccines. These new methods have also been tried in making some vaccines of Corona. Comparison of Covid Vaccine Fiser-BioNotech and Moderna's Kovid vaccine are both 'messenger RNA vaccines' that are used to prepare a portion of the virus's genetic code. Instead of using a weak or inactive part of the antigen, these vaccines teach the cells of the body how to make the 'spike protein' found on the surface of the virus that causes Kovid-19. The vaccine of Oxford and AstraZeneca is also different. Scientists have made some changes to a virus infecting chimpanzees to prepare it, and have also added a piece of the genetic-code of Kovid-19. All three vaccines have been approved for emergency use in the United States and Britain. Mexico, Chile, and Costa Rica have also begun to manage the fodder's cavid vaccine. While the Brazilian government has cleared the vaccines of Oxford and Synovac. In Brazil, nurse Monica Kalazens gets the country's first Kovid vaccine Does Kovid have more vaccines? Chinese pharmaceutical company Synovac has created a vaccine called 'Corona-Vac'. It has been launched in China, Singapore, Malaysia, Indonesia and the Philippines. The company has used traditional methods to make this vaccine. According to the company, inactivated portions of the virus were used to make this vaccine. However, there are many questions about how effective it is. The vaccine was trialled in Turkey, Indonesia and Brazil. Scientists from these countries said after the last stage trial that this vaccine is only 50.4 percent effective. Two vaccines are being prepared in India. One is the name Kovishield, prepared by scientists from AstraZeneca and Oxford University and produced by the Serum Institute of India. And the second vaccine is covaxine made by Indian company Bharat Biotech. Russia has prepared its own corona vaccine named 'Sputnik-5' and it was prepared by making a slight change in the version of the virus. The same vaccine is also being used in Argentina. Argentina has ordered three million doses of this vaccine for its vaccination campaign. The African Union has also ordered millions of doses of the vaccine, but has placed orders to several pharmaceutical companies. For example, the African Union has ordered vaccines to Fizer, AstraZeneca (through the Serum Institute) and Johnson & Johnson. The company Johnson & Johnson is currently unable to finalize its vaccine. Acquiring 'herd immunity' after the outbreak of epidemic is considered the fastest way to return to normal life. Should I take the covid vaccine? It has not been made mandatory to install the Kovid vaccine anywhere. But most people are advised to get vaccinated. However, there is an exception here in the case of people struggling with health problems. The CDC says that the vaccine not only protects against Kovid-19, but also protects others. Apart from this, the CDC also describes vaccination as the most important way to get out of the epidemic. The World Health Organization estimates that at least 65–70 percent of people will have to be vaccinated to prevent infection, which means that more people will have to be motivated to get vaccinated. There are many people who have many concerns about the speed of preparation of the Kovid vaccine. It is true that scientists spend years developing a vaccine, but the speed has been greatly increased to find a solution to the corona epidemic. That is why the World Health Organization is working closely with scientists, business and health organizations. In short, vaccination of billions of people will prevent the spread of Kovid-19 and the world will move towards herd immunity. Experts say that the world will be able to return to normal life only through herd immunity.,

Many diseases, which were considered fatal three decades ago, have almost disappeared due to vaccines, by social worker Vanita Kasani Punjab,  Vaccination campaigns have started in many countries of the world to control the corona epidemic.  Information and suggestions related to this may seem complicated to you at times, but there are some basic facts that will help you understand how a vaccine works.  What is a vaccine?  A vaccine prepares your body to fight against any disease, virus or infection.  The vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease. These cause the body's 'immune system', that is, the immune system to identify infections (invasive viruses) and make antibodies against them in the body Which help our body in fighting external attack.  The negative impact of the vaccine is rarely on people, but some people may face its side effects. Mild fever or rash are common side effects.  You develop immunity t...

सैनिटाइजर के बारे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान इसका इस्तेमाल जरूरी है। by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, अगर देखा जाए तो इसका इस्तेमाल भी हो रहा है। लेकिन इसके साइड इफेक्टस के बारे में फ्रांस के एक शोध पत्र में दावा किया गया है जो हम सबके लिए अच्छी खबर नहीं है। खास बात यह है कि बच्चों पर इसका खराब असर पड़ रहा है। फ्रांस में हुए ताजा शोध के मुताबिक साल 2020 में वर्ष 2019 की अपेक्षा बच्‍चों के घायल होने की घटनाएं 7 गुना बढ़ी है। सबसे ज्यादा केस आंखों के संबंध में है। लेकिन शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर गलती से सैनिटाइटर बच्‍चों की आंख में चला जाए तो यह उन्‍हें अंधा कर सकता है।हैंड सैनिटाइजर से अंधापन का खतराफ्रेंच प्‍वाइजन कंट्रोल सेंटर के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 के बीच सैनिटाइजर से जुड़े मामले 232 रहीं जो पिछले साल 33 थी।कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनियाभर में सैनिटाइजर के इस्‍तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। कोरोना की वजह से लगभग 70 फीसदी अल्‍कोहॉल वाले सैनिटाइजर का इस्‍तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। सैनिटाइजर कोरोना वायरस का खात्‍मा कर देता है।कोरोना की वजह से सैनिटाइजर का इस्तेमाल बढ़ाकोरोना की वजह से दुकानों, ट्रेनों, घरों में हर जगह सैनिटाइजर का इस्‍तेमाल बढ़ा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अल्‍कोहॉल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर अब तक बड़े पैमाने पर खासतौर पर बच्‍चों में इस्‍तेमाल किया जा रहा है।भारतीय शोधकर्ताओं का भी कहना है कि सैनिटाइजर को बच्‍चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। ऐसे दो मामले आए हैं जब बच्‍चों की आंखों में सैनिटाइजर चला गया और उन्‍हें अस्‍पताल ले जाना पड़ा।'सैनिटाइजर की जगह हाथ धोने की दी गई सलाहडॉक्‍टरों ने कहा कि छोटे बच्‍चों में सैनिटाइजर के आंखों में जाने से गंभीर रूप से बीमार होने या अंधे होने का खतरा रहता है। ज्‍यादातर सार्वजनिक जगहों पर सैनिटाइजर कम ऊंचाई पर रखे गए हैं जिससे उनके बच्‍चों के आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्‍चों को सैनिटाइजर लगाने में बड़े मदद करें। इसके अलावा कोरोना से बचाव के लिए हाथ धोने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दें।Regarding the sanitizer, doctors recommend that it is necessary to use during the corona epidemic. by social worker Vanita Kasani Punjab, if seen then it is also being used. But its side effects have been claimed in a French research paper, which is not good news for all of us. The special thing is that it is having a bad effect on children. According to the latest research in France, the incidence of child injuries in the year 2020 has increased 7 times in the year 2020. The highest case is in relation to the eyes. But researchers have warned that if the sanitizer accidentally goes into the child's eye, it could blind them. Hand sanitizer threat of blindness Looking at the data of the French Poison Control Center, between 1 April 2020 and August 2020, cases related to sanitizer stood at 232, compared to 33 last year. Emphasis is being placed on the use of sanitizer worldwide to protect against the Corona virus. Due to Corona, the use of sanitizer with about 70% alcohol has increased very fast. The sanitizer kills the corona virus. Corona causes increased use of sanitizer Due to Corona, the use of sanitizer has increased everywhere in shops, trains, homes. Researchers say alcohol based hand sanitizers are still being used extensively, especially among children. Indian researchers also say that sanitizers should be kept out of the reach of children. There have been two cases when sanitizer went into the eyes of children and had to be taken to hospital. Handwashing advice in place of sanitizer Doctors said that younger children are at risk of becoming seriously ill or blinded by a sanitizer going into the eye. In most public places, sanitizers are placed at low altitudes, so that their children are at risk of losing their eyesight. Doctors say that children should go a long way in applying sanitizer. Also, prioritize hand washing to prevent corona.,

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देशभर में कोरोना वायरस,by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, (Coronavirus) का कहर थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। भारत (India) में कोरोना से अब तक 1,06,11,719 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 1,52,906 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि, राहत की बात ये है कि 1,02,65,163 इस वायरस को मात देकर ठीक हो चुके हैं। देश में कोरोना को मात देकर ठीक होने वालों की संख्या सक्रिय मामलों की संख्या से अधिक है। सक्रिय मामलों (Active Cases) की कुल संख्या 1,89,245 है।वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में पीएम मोदी समेत राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी लगेगा टीका उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार कुंभ मेला 2021 के लिए केंद्र सरकार से 20,000 अतिरिक्त टीके मांगे हैं। राज्य सरकार ने इस संबंध में केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा है, यह कहना है राज्य कोविद नियंत्रण कक्ष प्रमुख डॉ अभिषेक त्रिपाठी का। देश में 24 घंटे में कोरोना के 15,223 नए केस, 151 की मौत देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1 करोड़ 6 लाख 11 हजार पार महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 19 लाख 97 हजार पार अगर राज्यवार कोरोना आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो देश में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 19,97,992 हो गई है। इसके साथ ही सक्रिय मामलों की संख्या 46,769 है। वहीं 18,99,428 लोग वायरस को मात देकर ठीक हो चुके हैं। यहां अब तक 50,582 लोग कोरोना की जद में आने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। कर्नाटक में कोरोना से 12,185 लोगों की मौत कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामलों में महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, यहां कोरोना वायरस की चपेट में अब तक 9,33,578 लोग आ चुके हैं। राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 7,697 हो गई है। संक्रमण को मात देकर स्वस्थ होने वालों की संख्या 9,13,677 पर पहुंच गई है। वहीं संक्रमण की जद में आने से प्रदेश में अब तक 12,185 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में संक्रमित मामलों की संख्या 6 लाख 33 हजार के पार देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण एक बार फिर से काबू में आता दिख रहा है। यहां संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 6,33,049 हो गई है। कोरोना के कुल मामलों में सक्रिय मामलों की संख्या 2,147 है। वहीं 6,20,128 लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो चुके हैं। यहां अब तक 10,774 लोगों की जान जा चुकी है।

 ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ / ਟੀਮ ਡਿਜੀਟਲ. ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚ ਕੋਰੋਨਾ ਵਾਇਰਸ, ਸਮਾਜ ਸੇਵਕ ਵਨੀਤਾ ਕਾਸਾਨੀਅਨ ਪੰਜਾਬ, (ਕੋਰੋਨਾਵਾਇਰਸ) ਦੁਆਰਾ ਤਬਾਹੀ ਮਚਦੀ ਜਾਪਦੀ ਹੈ. ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਹੁਣ ਤਕ 1,06,11,719 ਲੋਕ ਕੋਰੋਨਾ ਨਾਲ ਸੰਕਰਮਿਤ ਹੋਏ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ, 1,52,906 ਲੋਕ ਵਾਇਰਸ ਕਾਰਨ ਆਪਣੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਗੁਆ ਚੁੱਕੇ ਹਨ। ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਰਾਹਤ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਵਾਇਰਸ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ 1,02,65,163 ਦਾ ਇਲਾਜ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ. ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਕੋਰੋਨਾ ਤੋਂ ਬਰਾਮਦ ਹੋਏ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸਰਗਰਮ ਮਾਮਲਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਹੈ. ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਮਾਮਲਿਆਂ ਦੀ ਕੁੱਲ ਸੰਖਿਆ 1,89,245 ਹੈ. ਟੀਕਾਕਰਨ ਦੇ ਦੂਜੇ ਪੜਾਅ ਵਿੱਚ ਪੀਐਮ ਮੋਦੀ ਸਮੇਤ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਟੀਕਾ ਲਗਾਇਆ ਜਾਵੇਗਾ।  ਉਤਰਾਖੰਡ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਹਰਿਦੁਆਰ ਕੁੰਭ ਮੇਲੇ 2021 ਲਈ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਤੋਂ 20,000 ਵਾਧੂ ਟੀਕਿਆਂ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਹੈ। ਰਾਜ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਸ ਸਬੰਧ ਵਿਚ ਕੇਂਦਰ ਨੂੰ ਇਕ ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਭੇਜਿਆ ਹੈ, ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਰਾਜ ਕੋਵਿਡ ਕੰਟਰੋਲ ਰੂਮ ਦੇ ਮੁਖੀ ਡਾ. ਅਭਿਸ਼ੇਕ ਤ੍ਰਿਪਾਠੀ.  ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ 24 ਘੰਟਿਆਂ ਵਿੱਚ 15,223 ਕੋਰੋਨਾ ਦੇ ਨਵੇਂ ਕੇਸ, 151 ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ  ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਕੋਰੋਨਾ ਸੰਕਰਮਣ 1 ਕਰੋੜ 6 ਲੱਖ 11 ਹਜ਼ਾਰ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰ ਗਿਆ  ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਵਿੱਚ ਸੰਕਰਮਿਤ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 19 ਲੱਖ 97 ਹਜ਼ਾਰ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰ ਗਈ  ਜੇ ਤੁ...

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।#भारतवर्ष की आशाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप #आदरणीय #प्रधानमंत्री #श्री_नरेन्द्र_मोदी जी ने #कोरोना #वैक्सीन देश को समर्पित कर दी है। जिसके लिए सभी #देशवासियों को शुभकामनाएं तथा हमारे कोरोना वॉरियर्स का सहृदय #धन्यवाद। ये देश के लिए गर्व का विषय है कि वैश्विक इतिहास ने इतने बड़े स्तर का #टीकाकरण अभियान इससे पहले कभी नहीं देखा है। #दुनिया के सैंकड़ों देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 3 #करोड़ से कम है और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने जा रहा है।इस उपलब्धि के लिए मैं भारत के सभी वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, सभी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ सहित उन सभी #योद्धाओं का आभार व्यक्त करती हूं, जिनकी मेहनत व लगन ने कोरोना जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मिसाल पेश की है।#Vnita#IndiaFightsCorona #LargestVaccineDrive,

स्वाइप कर देखें तस्वीरें...by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब। देशभर में कोरोना के खिलाफ आज से टीकाकरण अभियान का आगाज हो गया है। सुबह साढ़े 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस महाभियान की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि वैक्सीन बहुत ही कम समय में आ गई है। दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। इसके लिए मैं सभी को बधाई देता हूं। सभी 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की 3006 साइट्स पर एकसाथ यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। पहले फेज में हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण हुआ। पहले दिन हर साइट पर कम से कम 100 लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।,। राज्यों ने इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन की 55 लाख खुराक की आपूर्ति के लिए सरकारी खरीद आदेश प्राप्त करने वाले भारत बायोटेक ने कहा है कि टीकाकरण के बाद किसी भी तरह के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने पर कंपनी मुआवजा देगी।PM Shri @narendramodi launches pan-India rollout of COVID-19 vaccination drive. #LargestVaccineDrive https://t.co/c7jvZ3Nfpnसर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।PM Shri @narendramodi launches world's #LargestVaccineDrive in India.May all be free from illness! pic.twitter.com/IGmoDTJBu0दिल्ली में एक सफाई कर्मचारी को लगा पहला टीकादिल्ली एम्स में एक सफाई कर्मचारी को कोविड-19 वैक्सीन का पहला टीका लगाया गया। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी मौजूद रहे। दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने एम्स में कोविड-19 का टीका लगवा या।मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहादिल्ली एम्स में कोरोना का पहला टीका लगवाने वाले सफाई कर्मचारी मनीष कुमार ने कहा, 'मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है, वैक्सीन लगने से मुझे कोई झिझक नहीं होगी और मैं अपने देश की और सेवा करता रहूंगा। लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे मन में जो डर था वो भी निकल गया। सबको वैक्सीन लगवानी चाहिए।'एम्स में एक सफाई कर्मचारी को कोरोना वायरस का पहला टीका लगाया गया। pic.twitter.com/Cuw2I5ZfoAAIIMS Director Dr Randeep Guleria receives first dose of COVID-19 vaccine at AIIMS, Delhi.#LargestVaccineDrive @MoHFW_INDIA @GujHFWDept @PIB_India @MIB_India @drharshvardhan pic.twitter.com/RYUUjYXEa6सीएम शिवराज की उपस्थिति में वार्ड बॉय को लगा पहला टीकामध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में हमीदिया में वार्ड बॉय संजय यादव को कोरोना का पहला टीका लगाया गया। इसके साथ ही प्रदेश में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है।भोपाल के हमीदिया अस्पताल में #LargestVaccineDrive का मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj और मंत्रीद्वय श्री @VishvasSarang व @DrPRChoudhary की उपस्थिति में शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री जी ने वैक्सीन लगवाने वाले नागरिक को शुभकामनाएँ दी और उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। pic.twitter.com/Osjbik7a6lसुरक्षाकर्मी हरिदेव यादव ने जेपी हॉस्पिटल में लगवाया टिका pic.twitter.com/T9OJcmpyHcइंदौर में आशा पवार को लगा पहला टीकामध्यप्रदेश के इंदौर में आशा पवार को कोरोना का पहला टीका लगाया गया है।इंदौर में आशा पवार को कोरोना का पहला टीका लगाया गया pic.twitter.com/oGS0ZjoqZOकोरोना के खिलाफ लड़ाई में 'संजीवनी' का काम करेगी वैक्सीनकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, 'आज मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूं। हम पिछले एक साल से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोविड-19 के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह वैक्सीन कोरोना वायरस की लड़ाई में 'संजीवनी' का काम करेगी, जिसने अंतिम चरण में प्रवेश किया है।'It was an honour for me to join our courageous Corona Warriors at AIIMS, Delhi on this momentous occasion.As a fitting tribute to their selfless service, our healthcare workers & frontline workers will be the 1st to be inoculated #COVID19 vaccine. pic.twitter.com/HCRCVEy7sXजम्मू और कश्मीर में शुरू हुआ टीकाकरणजम्मू और कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है। एक स्वयंसेवक ने कहा, 'मैं खुश हूं। मैंने स्वयंसेवकों को दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए पहला टीका लगवाया है जिससे दूसरों को भी वैक्सीन का लाभ मिल सके।सीएम और डिप्टी सीएम की मौजूदगी में शुरू हुआ टीकाकरण अभियानगुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की मौजूदगी में अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई।एम्स के पूर्व निदेशक ने लगाई वैक्सीनओडिशा में एम्स के पूर्व निदेशक और एसओए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक मोहापात्रा ने भुवनेश्वर के एसयूएम अस्पताल में कोविड-19 वैक्सीन लगवाई।भारत के पास है अनुभवकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, यह शायद दुनिया में कहीं भी कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है। भारत के पास ऐसी चुनौतियों को संभालने का जबरदस्त अनुभव है। हमने पहले ही पोलियो और चेचक का उन्मूलन किया है।एक केंद्र पर 100 लोगों को लगेगी वैक्सीनदिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, 'दिल्ली में आज से वैक्सीनेशन शुरू हुआ है। 81 केंद्रों पर यह वैक्सीनेशन एक साथ शुरू की गई है जिसमें ज्यादातर अस्पताल हैं। एक केंद्र पर 100 लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। कुल मिलाकर आज 8100 लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना है।'महाराष्ट्र में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कोरोना का जलाया पुतलामुंबई के घाटकोपर इलाके में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कोरोना वायरस का पुतला जलाकर जश्न मनाया। कोविड-19 के खिलाफ आज से देशव्यापी टीकाकरण अभियान के पहले चरण की शुरुआत हो गई है।वैक्सीन के दुष्परिणाम होने पर मुआवजाः भारत बायोटेककोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन की 55 लाख खुराक की आपूर्ति के लिए सरकारी खरीद आदेश प्राप्त करने वाले भारत बायोटेक ने कहा है कि टीकाकरण के बाद किसी भी तरह के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने पर कंपनी मुआवजा देगी।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टीकाकरण स्थल का किया दौराझारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के सदर अस्पताल में कोरोना टीकाकरण स्थल का दौरा किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि कई डॉक्टरों, स्वास्थ्य और स्वच्छता कर्मचारियों को आज टीका लगाया गया है। राज्य में कुल 48 टीकाकरण केंद्र हैं।डॉ हर्षवर्धन ने टीकाकरण स्थल का दौरा कियाकेंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में कोरोना टीकाकरण स्थल का दौरा किया।वैक्सीन लगाने के बाद मुझे अच्छा लग रहा हैलेह में अग्रिम चौकियों पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों को कोविड-19 का टीका लगाया गया। एक सैनिक ने कहा, 'आज हमें लद्दाख के सेक्टर अस्पताल में कोरोना वैक्सीन लगाई गई। इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं हुआ और मुझे अच्छा लग रहा है।पलानीस्वामी की उपस्थिति में स्वास्थ्यकर्मियों को लगा टीकातमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में आज मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की उपस्थिति में स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 वैक्सीन लगाई गई।लोगों से अनुरोध करता हूं वैक्सीन को लेकर न फैलाएं अफवाहकेंद्रीय गृह राज्य जी किशन रेड्डी ने कोविड वैक्सीन की प्रभावकारिता पर संदेह को लेकर कहा, 'मैं लोगों से अनुरोध करता हूं कि ऐसी बातें न करें। अन्य देशों में परीक्षण की गई दवाओं को अच्छा माना जाता है, लेकिन जब हमारे वैज्ञानिक भारत में दवाओं का निर्माण और विकास करते हैं, तो लोग इसे गलत तरीके से देखते हैं। मैं इस तरह की चीजों पर चर्चा न करने का अनुरोध करता हूं। परीक्षण के बाद ही टीकों को मंजूरी दी गई है। मैं यह विश्वास से कहता हूं कि टीके सभी को लाभान्वित करेंगे।'पंजाब के सीएम ने लिया वैक्सीनेशन का जायजापंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोहाली के सिविल अस्पताल में चल रहे वैक्सीनेशन का जायजा लिया।कोविड मुक्त बनने की राह पर है भारतकेंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'जिस तरह से भारत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व में कोविड के खिलाफ मजबूती से खड़ा है वो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। आज प्रधानमंत्री द्वारा दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के शुभारंभ के साथ ही भारत एक कोविड मुक्त राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर है।'The way India has stood firm & fought Covid under the strong leadership of PM Shri @narendramodi, is a matter of pride for every Indian.With the launch of the world's #LargestVaccineDrive by the PM today, India is on the way to become a #COVID free nation.सर्वे सन्तु निरामयाःआज दुनिया मान रही है भारत का लोहा: रविशंकर प्रसादकेंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने पर कहा, 'भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा है।'भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है।केंद्र और राज्य सरकारें,स्थानीय निकाय,हर सरकारी संस्थान,सामाजिक संस्थाएं,कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं,ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा है: PM @narendramodi #LargestVaccineDrive pic.twitter.com/0nDIDpc8AXलद्दाख में आईटीबीपी के 20 जवानों को लगी वैक्सीनलेह के सेक्टर अस्पताल में कुल 20 आईटीबीपी जवानों को कोरोना की वैक्सीन लगाई गई। इसमें दो महिला अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कात्यायनी शर्मा पांडे और चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्केलांग अंगो शामिल हैं।हमने बनाईं दो स्वदेशी वैक्सीनलखनऊ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'हम लोगों के लिए खुशी की बात है कि वैक्सीनेशन का सिलसिला आज से शुरू हो गया है। हमने 2 स्वदेशी वैक्सीन बना ली हैं और 4 वैक्सीन और आने वाली हैं। ये वैक्सीन केवल भारतवासियों को ही नहीं लगाई जाएंगी बल्कि दुनिया के दूसरे देशों को भी जल्द ही निर्यात की जाएंगी।'उद्धव ठाकरे ने किया टीकाकरण केंद्र का उद्घाटनमहाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई में बीकेसी जंबो कोविड-19 अस्पताल में टीकाकरण केंद्र का उद्घाटन किया और आज टीकाकरण कार्यक्रम का जायजा लिया।यूपी के सीएम ने टीकाकरण कार्यक्रम का लिया जायजाउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर अस्पताल में चल रहे टीकाकरण कार्यक्रम का जायजा लिया। उन्होंने कहा, 'भारत ने दुनिया की सबसे सफल वैक्सीन बनाई है, आज बलरामपुर अस्पताल में कुल 102 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगेगी। अब तक 15 लोगों ने वैक्सीन लगवाई है।'कोरोना से बचाव की दिशा में "आत्मनिर्भर भारत" की अभिनव पहल, कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम का आज, बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ में अवलोकन... https://t.co/0Z3AOzFycrअफवाहों पर न दें ध्यानदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलएनजेपी अस्पताल में टीकाकरण अभियान का निरीक्षण करने के बाद कहा, दिल्ली के 81 टीकाकरण केंद्रों पर 8,100 लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। विशेषज्ञों ने कहा है कि टीके सुरक्षित हैं।अदार पूनावाला ने लगाई वैक्सीनसीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने अपनी कंपनी द्वारा निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन का एक शॉट लिया।I wish India & Sri @narendramodi ji great success in launching the world's largest COVID vaccination roll-out. It brings me great pride that #COVISHIELD is part of this historic effort & to endorse it's safety & efficacy, I join our health workers in taking the vaccine myself. pic.twitter.com/X7sNxjQBN6पीएम ने अपने संबोधन में कहा...आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग विशेष प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे। आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं।मैं ये बात फिर याद दिलाना चाहता हूं कि कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है। पहली और दूसरी डोज के बीच, लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा। दूसरी डोज़ लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध ज़रूरी शक्ति विकसित हो पाएगी ।इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है ।दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है। जो बुजुर्ग हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें इस चरण में टीका लगेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, 30 करोड़ की आबादी से ऊपर के दुनिया के सिर्फ तीन ही देश हैं- खुद भारत, चीन और अमेरिका ।भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है। हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है ।कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है। इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखा ।संकट के उसी समय में, निराशा के उसी वातावरण में, कोई आशा का भी संचार कर रहा था, हमें बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाल रहा था। हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस और दूसरे Frontline Workers ।भारत ने 24 घंटे सतर्क रहते हुए, हर घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, सही समय पर सही फैसले लिए। 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला मिला, लेकिन इसके दो सप्ताह से भी पहले भारत एक हाई लेवल कमेटी बना चुका था। पिछले साल आज का ही दिन था जब हमने बाकायदा सर्विलांस शुरु कर दिया था ।17 जनवरी, 2020 वो तारीख थी, जब भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी ।जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीए जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा ।ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए ।मुझे याद है, एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी लैब भेज दी थी ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो । हम दूसरों के काम आएं, ये निश्वार्थ भाव हमारे भीतर रहना चाहिए। राष्ट्र सिर्फ मिट्टी, पानी, कंकड़, पत्थर से नहीं बनता। बल्कि राष्ट्र का मतलब होता है हमारे लोग। संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, देश वासियों ने कभी आत्मविश्वास खोया नहीं। जब भारत में कोरेाना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी, हमने अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखा और आज 2,300 से ज्यादा नेटवर्क हमारे पास है।भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा ।डीआरडीओ, इसरो और फौज से लेकर किसान और श्रमिक तक सभी एक संकल्प के साथ कैसे काम कर सकते हैं ये भारत ने दिखाया है। 2 गज की दूरी और मास्क है जरूरी, पर फोकस करने वालों में भी भारत अग्रणी देशों में रहा।कोरोना के काल में हमारे कई साथी ऐसे रहे जो बीमार होकर अस्पताल गए तो लौटे ही नहीं। संकट के उसी समय में, निराशा के उसी वातावरण में, कोई आशा का भी संचार कर रहा था, हमें बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाल रहा था। ये लोग थे हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस और दूसरे फ्रंटलाइन वर्कर्स।जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीए जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा।भारत की वैक्सीन, हमारी उत्पादन क्षमता पूरी मानवता के हित में काम आए, ये हमारी प्रतिबद्धता है। ये टीकाकरण अभियान अभी लंबा चलेगा, हमें जन जन के जीवन को बचाने में योगदान देने का मौका मिला है।उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहुत कर दिया। इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ सेवा से जुड़ लोगों को लगाकरो एक तरह से समाज अपना ऋण चुका रहा है। ये टीका उन सभी साथियों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की आदरांजली भी है।हमारे डॉक्टर्स, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एम्बुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स, इन्होंने मानवता के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी। इनमें से अधिकांश तब अपने बच्चों, अपने परिवार से दूर रहे।आज जब हमने वैक्सीन बना ली है, तब भी भारत की तरफ दुनिया आशा और उम्मीद की नजरों से देख रही है। जैसे जैसे हमारा टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा, दुनिया के अनेक देशों को हमारे अनुभव का लाभ मिलेगा।जानिए देशभर की रिपोर्ट...मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में शनिवार को पहला टीका जेपी अस्पताल में तैनात सुरक्षा गार्ड को लगाया जाएगा, जबकि इंदौर जिले में पहला टीका एक महिला स्वास्थ्य कर्मी को लगाया जाएगा। प्रदेशभर में 150 सेंटर्स बनाए गए हैं। यहां सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीके लगाए जाएंगे। प्रत्येक सेंटर पर 100 वॉरियर्स को टीका लगाया जाएगा। यानी पहले दिन प्रदेश में 15 हजार लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया जाएगा। मध्य प्रदेश पहले दिन सबसे ज्यादा डोज लगाने वाले टॉप-10 राज्यों में शामिल है।राजस्थान: राजस्थान में पहला टीका जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी को लगाया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार को अपने आवास से टीकाकरण कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत करेंगे। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि राज्य में 161 स्थलों के अतिरिक्त जयपुर जिले के छह स्थलों पर भी टीकाकरण होगा। 13 जनवरी तक राजस्थान को टीके की दो कंपनियों से करीब 5 लाख 63 हजार खुराक प्राप्त हुए हैं, जिसमें कोविशील्?ड के 4,43,000 और कोवैक्सीन की 20,000 खुराक शामिल हैं। कोविन सॉफ्टवेयर में राज्य के छह लाख से अधिक लाभार्थियों का डेटा 14 जनवरी की शाम तक अपलोड किया जा चुका है।गुजरात: अहमदाबाद और गांधीनगर में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक शनिवार को गुजरात में कोरोनावायरस का टीका सबसे पहले लगवाने वाले लोगों में शामिल होंगे। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू होने पर दिन के दौरान राज्य में 16 हजार से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा। टीकाकरण अभियान शनिवार की सुबह पूरे राज्य में 161 केन्द्रों पर एक साथ शुरू होगा। पहले दिन 16 हजार से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा। पहले चरण के लिए गुजरात स्वास्थ्य विभाग ने 4.31 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों की पहचान की है, जिनमें डॉक्टर और नर्स शामिल हैं। टीकाकरण कार्य के लिए लगभग 15,000 कर्मियों को प्रशिक्षित किया है।झारखंड: झारखंड के 48 केंद्रों पर कोरोना का टीका दिया जाएगा। रांची के सदर अस्पताल में बनाए गए टीकाकरण केंद्र से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य में टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। केंद्र में मुख्यमंत्री टीका लेने वालों से बात भी करेंगे।सभी जिलों में शनिवार को पहले दिन दो केंद्रों पर टीके की लांचिंग होगी। इसमें राज्यभर में 4800 लोगों को टीका देने का लक्ष्य है। बाद के दिनों में टीका लेने वालों की संख्या में इजाफा किया जाएगा।छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में 2.67 लाख स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को टीकाकरण के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉक्टर प्रियंका शुक्ला ने बताया कि राज्य में टीकाकरण की तैयारी पूरी कर ली गई है। 16 जनवरी से 97 टीकाकरण केंद्रों में टीकाकरण अभियान शुरू होगा। राज्य में सबसे पहले रायपुर स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल में महिला स्वच्छताकर्मी 51 साल की तुलसा तांडी को टीका लगाया जाएगा। 1,349 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं।यूपी: यूपी में 10 लाख 55 हजार 500 कोविशील्ड और 20,000 कोवैक्सीन के टीके मिल चुके हैं। प्रदेश के 8 लाख 57 हजार हेल्थ वर्कर्स के नाम सूचीबद्ध किए गए हैं। कोल्ड चेन पूरी तरह तैयार हैं। पहले इसकी क्षमता 80,000 लीटर थी, लेकिन इसे बढ़ाते हुए 2 लाख 3 हजार लीटर कर दी गई है। प्रदेश में 317 केंद्रों पर यह वैक्सीन लगाई जाएगी। हर केंद्र पर 100-100 लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए 5-5 सदस्यों की टीम बनाकर स्वाथ्य कर्मियों को टीका लगाया जाएगा। इसकी दूसरी डोज 28 दिन बाद लगाई जाएगी। विभाग ने वी-विन शील्ड बनाई है। इसे पहन कर ही सभी कर्मी वैक्सीन लगाने का काम करेंगे।बिहार: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में आईजीआईएमएस में सुबह 10.45 बजे टीका लगाने की शुरूआत होगी। राज्य में पहले दिन 30 हजार रजिस्टर्ड लोगों को टीका दिया जाएगा। पहला टीका आईजीआईएमएस के सफाईकर्मी रामबाबू और दूसरा टीका इसी अस्पताल के एंबुलेंस चालक अमित कुमार को दिया जाएगा। टीकाकरण के लिए राज्य में 300 सेंटर बनाए गए हैं, जहां प्रतिदिन 100 निबंधित लोगों का टीकाकरण होगा। राज्य में चार लाख 64 हजार 160 लोगों का टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। राज्य में कुल 300 सेंटरों पर टीकाकरण होगा, जिसमें 259 सेंटर सरकारी जबकि 41 निजी सेंटरों पर टीकाकरण होगा।उत्तराखंड: उत्तराखंड के 33 स्वास्थ्य केंद्रों में शनिवार से कोविड 19 वैक्सीन टीकाकरण शुरू हो जाएगा। बड़े जिलों में चार-चार केंद्रों तो छोटे जिलों में दो से तीन केंद्रों में टीकाकरण अभियान शुरू होगा। देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल के स्वास्थ्य केंद्रों में चार चार जगह टीकाकरण होगा। इसके अलावा पहाड़ के दूसरे जिलों में स्वास्थ्य केंद्रों में दो से तीन जगह टीकाकरण होगा। करीब 87 हजार फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर का टीकाकरण होगा। राज्य को केंद्र से 1.13 लाख वैक्सीन मिली हैं।पंजाब-हरियाणा: टीकाकरण अभियान के लिए पंजाब में 59 और हरियाणा में 77 स्थान निर्धारित किए गए हैं। पंजाब को कोविड-19 टीके की 2.04 लाख खुराक, जबकि हरियाणा को 2.41 लाख खुराकों की खेप दी गयी है। पंजाब में करीब 1.74 लाख स्वास्थ्यकर्मी हैं। हफ्ते में चार दिन टीके दिए जाएंगे। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि कोविन साइट पर जिन लोगों का नाम होगा, उन्हें ही टीके की खुराक दी जाएगी। हरियाणा में करीब दो लाख स्वास्थ्यकर्मियों को टीके की खुराक दी जाएगी। चंडीगढ़ में चार स्थानों पर टीकाकरण होगा। चंडीगढ़ को टीके की 12,000 खुराकों की खेप मिल गई है।गोवा: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के प्रथम दिन 16 जनवरी को करीब 700 स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि टीकाकरण शुरूआत में सात केंद्रों पर होगा, जिनमें दो निजी केंद्र भी शामिल हैं। सात केंद्रों में से प्रत्येक पर कम से कम 100 स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण किया जाएगा। वहीं, गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के डीन डॉ शिवानंद बांडेकर ने बताया कि प्रथम चरण में जीएमसीएच से संबद्ध करीब 5,000 स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया जाएगा।दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में शनिवार को एलएनजेपी अस्पताल में एक डॉक्टर, एक नर्स और एक सफाई कर्मचारी को कोविड-19 का टीका दिया जाएगा। टीकाकरण अभियान की शुरूआत सुबह के समय होगी और केजरीवाल दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) का दौरा करने वाले हैं जिसने पूरे महामारी के दौरान बेहतर सेवा प्रदान की है। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को 81 केंद्रों पर कोविड-19 का टीकाकरण अभियान शुरू होगा।कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का ऐलान, वैक्सीन के साइड इफैक्ट हुए तो मिलेगा मुआवजापश्चिम बंगाल: स्वास्थ्य कर्मियों की लिस्ट में टीएमसी विधायक का नाम शामिल, 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