कई बीमारियाँ जिन्हें तीन दशक पहले जानलेवा समझा जाता था, वो टीकों की वजह से लगभग ख़त्म हो गई हैं, by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए दुनिया के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुके हैं.इससे जुड़ी सूचनाएं और सुझाव कई बार आपको पेचीदा लग सकती हैं, लेकिन कुछ बुनियादी तथ्य हैं जो आपकी यह समझने में मदद करेंगे कि एक वैक्सीन आख़िर काम कैसे करती हैं.वैक्सीन क्या है?एक वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है.वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं.ये शरीर के 'इम्यून सिस्टम' यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण (आक्रमणकारी वायरस) की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके ख़िलाफ़ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं.वैक्सीन लगने का नकारात्मक असर कम ही लोगों पर होता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके साइड इफ़ेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है. हल्का बुख़ार या ख़ारिश होना, इससे सामान्य दुष्प्रभाव हैं.वैक्सीन लगने के कुछ वक़्त बाद ही आप उस बीमारी से लड़ने की इम्यूनिटी विकसित कर लेते हैं.अमेरिका के सेंटर ऑफ़ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि वैक्सीन बहुत ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं क्योंकि ये अधिकांश दवाओं के विपरीत, किसी बीमारी का इलाज नहीं करतीं, बल्कि उन्हें होने से रोकती हैं.वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती हैक्या टीके सुरक्षित हैं?वैक्सीन का एक प्रारंभिक रूप चीन के वैज्ञानिकों ने 10वीं शताब्दी में खोज लिया था.लेकिन 1796 में एडवर्ड जेनर ने पाया कि चेचक के हल्के संक्रमण की एक डोज़ चेचक के गंभीर संक्रमण से सुरक्षा दे रही है.उन्होंने इस पर और अध्ययन किया. उन्होंने अपने इस सिद्धांत का परीक्षण भी किया और उनके निष्कर्षों को दो साल बाद प्रकाशित किया गया.तभी 'वैक्सीन' शब्द की उत्पत्ति हुई. वैक्सीन को लैटिन भाषा के 'Vacca' से गढ़ा गया जिसका अर्थ गाय होता है.वैक्सीन को आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धियों में से एक माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकों की वजह से हर साल क़रीब बीस से तीस लाख लोगों की जान बच पाती है.सीडीसी का कहना है कि बाज़ार में लाये जाने से पहले टीकों की गंभीरता से जाँच की जाती है. पहले प्रयोगशालाओं में और फिर जानवरों पर इनका परीक्षण किया जाता है. उसके बाद ही मनुष्यों पर वैक्सीन का ट्रायल होता है.अधिकांश देशों में स्थानीय दवा नियामकों से अनुमति मिलने के बाद ही लोगों को टीके लगाये जाते हैं.टीकाकरण में कुछ जोखिम ज़रूर हैं, लेकिन सभी दवाओं की ही तरह, इसके फ़ायदों के सामने वो कुछ भी नहीं.उदाहरण के लिए, बचपन की कुछ बीमारियाँ जो एक पीढ़ी पहले तक बहुत सामान्य थीं, टीकों के कारण तेज़ी से लुप्त हो गई हैं.चेचक जिसने लाखों लोगों की जान ली, वो अब पूरी तरह ख़त्म हो गयी है.लेकिन सफ़लता प्राप्त करने में अक्सर दशकों लग जाते हैं. वैश्विक टीकाकरण अभियान शुरू होने के लगभग 30 साल बाद अफ़्रीका को अकेला पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया. यह बहुत लंबा समय है.विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ पूरी दुनिया में पर्याप्त टीकाकरण करने में महीनों या संभवतः वर्षों का समय लग सकता है, जिसके बाद ही हम सामान्य स्थिति में लौट सकेंगे.चेचक जिसने लाखों लोगों की जान ली, वो टीके की मदद से पूरी तरह ख़त्म हो गयी हैटीके कैसे बनाये जाते हैं?जब एक नया रोगजनक (पैथोजन) जैसे कि एक जीवाणु, विषाणु, परजीवी या फ़ंगस शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर का एक उप-भाग जिसे एंटीजन कहा जाता है, वो उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर देता है.एक वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं.पारंपरिक टीके शरीर के बाहरी हमले से लड़ने की क्षमता को विकसित कर देते हैं.लेकिन टीके विकसित करने के लिए अब नये तरीक़े भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं. कोरोना के कुछ टीके बनाने में भी इन नये तरीक़ों को आज़माया गया है.कोविड वैक्सीन की तुलनाफ़ाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन, दोनों 'मैसेंजर आरएनए वैक्सीन' हैं जिन्हें तैयार करने में वायरस के आनुवांशिक कोड के एक हिस्से का उपयोग किया जाता है.ये टीके एंटीजन के कमज़ोर या निष्क्रिय हिस्से का उपयोग करने की बजाय, शरीर के सेल्स को सिखाते हैं कि वायरस की सतह पर पाया जाने वाला 'स्पाइक प्रोटीन' कैसे बनायें जिसकी वजह से कोविड-19 होता है.ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन भी अलग है. वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए चिंपांज़ी को संक्रमित करने वाले एक वायरस में कुछ बदलाव किये हैं और कोविड-19 के आनुवंशिक-कोड का एक टुकड़ा भी इसमें जोड़ दिया है.इन तीनों ही टीकों को अमेरिका और ब्रिटेन में आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दी जा चुकी है. मैक्सिको, चिली और कोस्टा रिका ने भी फ़ाइज़र की कोविड वैक्सीन का प्रबंध करना शुरू कर दिया है. जबकि ब्राज़ील सरकार ने ऑक्सफ़ोर्ड और सिनोवैक की वैक्सीन को हरी झंडी दिखाई है.ब्राज़ील में नर्स मोनिका कालाज़ेंस को लगा देश का पहला कोविड वैक्सीनक्या कोविड के और टीके भी हैं?चीन की दवा कंपनी सिनोवैक ने 'कोरोना-वैक' नामक टीका बनाया है. चीन, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया और फ़िलीपींस में इसे उतारा गया है. कंपनी ने इस टीके को बनाने में पारंपरिक तरीक़े का इस्तेमाल किया है. कंपनी के अनुसार, इस टीके को बनाने के लिए वायरस के निष्क्रिय अंशों का इस्तेमाल किया गया.हालांकि, यह कितना प्रभावी है, इसे लेकर काफ़ी सवाल उठे हैं. तुर्की, इंडोनेशिया और ब्राज़ील में इस टीके का ट्रायल किया गया था. इन देशों के वैज्ञानिकों ने अंतिम चरण के ट्रायल के बाद कहा कि यह टीका 50.4 प्रतिशत ही प्रभावशाली है.भारत में दो टीके तैयार हो रहे हैं. एक का नाम है कोविशील्ड जिसे एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया इसका उत्पादन कर रहा है. और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन.रूस ने अपनी ही कोरोना वैक्सीन तैयार की है जिसका नाम है 'स्पूतनिक-5' और इसे वायरस के वर्ज़न में थोड़ बदलाव लाकर तैयार किया गया. यही टीका अर्जेंटीना में भी इस्तेमाल हो रहा है. अपने टीकाकरण अभियान के लिए अर्जेंटीना ने इस टीके की तीन लाख डोज़ मंगवाई हैं.अफ़्रीकी यूनियन ने भी वैक्सीन की लाखों डोज़ मंगवाई हैं, लेकिन उन्होंने ऑर्डर कई दवा कंपनियों को दिये हैं. मसलन, अफ़्रीकी यूनियन ने फ़ाइज़र, एस्ट्राज़ेनेका (सीरम इंस्टीट्यूट के ज़रिये) और जॉनसन एंड जॉनसन को वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन फ़िलहाल अपनी वैक्सीन फ़ाइनल नहीं कर पायी है.महामारी फैलने के बाद 'हर्ड इम्यूनिटी' को हासिल करना सामान्य जीवन की ओर लौटने का सबसे तेज़ तरीक़ा माना जाता हैक्या मुझे कोविड वैक्सीन लेनी चाहिए?कहीं भी कोविड वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं किया गया है. लेकिन ज़्यादातर लोगों को यह सलाह दी जाती है कि वो टीका लगवायें. हालांकि, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के मामले में यहाँ अपवाद है.सीडीसी का कहना है कि वैक्सीन ना सिर्फ़ कोविड-19 से सुरक्षा देती है, बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित करती है. इसके अलावा सीडीसी टीकाकरण को महामारी से बाहर निकलने का सबसे महत्वपूर्ण ज़रिया भी बताती है.विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि संक्रमण को रोकने के लिए कम से कम 65-70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगानी होगी, जिसका मतलब है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना होगा.बहुत से लोग हैं जिन्हें कोविड वैक्सीन तैयार होने की रफ़्तार को लेकर कई तरह की चिंताएं हैं.यह सच है कि वैज्ञानिक एक वैक्सीन विकसित करने में कई साल लगा देते हैं, मगर कोरोना महामारी का समाधान ढूंढने के लिए रफ़्तार को काफ़ी बढ़ाया गया. इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन वैज्ञानिकों, व्यापारिक और स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है.संक्षेप में कहें तो अरबों लोगों के टीकाकरण से कोविड-19 को फैलने से रोका जा सकेगा और दुनिया हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी के ज़रिये ही दुनिया सामान्य जीवन में दोबारा लौट पायेगी.Many diseases, which were considered fatal three decades ago, have almost disappeared due to vaccines, by social worker Vanita Kasani Punjab, Vaccination campaigns have started in many countries of the world to control the corona epidemic. Information and suggestions related to this may seem complicated to you at times, but there are some basic facts that will help you understand how a vaccine works. What is a vaccine? A vaccine prepares your body to fight against any disease, virus or infection. The vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease. These cause the body's 'immune system', that is, the immune system to identify infections (invasive viruses) and make antibodies against them in the body Which help our body in fighting external attack. The negative impact of the vaccine is rarely on people, but some people may face its side effects. Mild fever or rash are common side effects. You develop immunity to fight the disease only after the vaccine has been applied. The US Center of Disease Control and Prevention (CDC) says that vaccines are very powerful because they, unlike most drugs, do not cure a disease, but prevent it from occurring. The vaccine prepares your body to fight against any disease, virus, or infection. Are vaccines safe? An early form of the vaccine was discovered by Chinese scientists in the 10th century. But in 1796, Edward Jenner found that a dose of mild infection of smallpox protects against severe infection of smallpox. He studied it further. He also tested his theory and his findings were published two years later. That's when the word 'vaccine' originated. The vaccine was coined from the Latin language 'Vacca' which means cow. The vaccine is considered one of the greatest medical achievements of the modern world. According to the World Health Organization, about twenty to three million people are saved every year due to vaccines. The CDC says that vaccines are seriously tested before being brought to market. They are tested first in laboratories and then on animals. Only then the vaccine is trialled on humans. In most countries, vaccines are administered to people only after getting permission from local drug regulators. There are some risks in vaccination, but like all medicines, they have nothing in front of its benefits. For example, some childhood diseases that were very common up to a generation ago have become increasingly extinct due to vaccines. Smallpox, which killed millions of people, is now completely over. But it often takes decades to achieve success. Africa was declared the only polio-free country nearly 30 years after the global vaccination campaign began. This is a very long time. Experts have warned that it may take months or possibly years to get adequate vaccination against Kovid-19, only after which we will be able to return to normalcy. Smallpox, which killed millions of people, is completely eradicated with the help of vaccines. How are vaccines made? When a new pathogen (pathogen) such as a bacterium, virus, parasite or fungus enters the body, a sub-part of the body called an antigen starts producing antibodies to fight it. A vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease. Traditional vaccines develop the body's ability to fight external attacks. But now new methods are also being used to develop vaccines. These new methods have also been tried in making some vaccines of Corona. Comparison of Covid Vaccine Fiser-BioNotech and Moderna's Kovid vaccine are both 'messenger RNA vaccines' that are used to prepare a portion of the virus's genetic code. Instead of using a weak or inactive part of the antigen, these vaccines teach the cells of the body how to make the 'spike protein' found on the surface of the virus that causes Kovid-19. The vaccine of Oxford and AstraZeneca is also different. Scientists have made some changes to a virus infecting chimpanzees to prepare it, and have also added a piece of the genetic-code of Kovid-19. All three vaccines have been approved for emergency use in the United States and Britain. Mexico, Chile, and Costa Rica have also begun to manage the fodder's cavid vaccine. While the Brazilian government has cleared the vaccines of Oxford and Synovac. In Brazil, nurse Monica Kalazens gets the country's first Kovid vaccine Does Kovid have more vaccines? Chinese pharmaceutical company Synovac has created a vaccine called 'Corona-Vac'. It has been launched in China, Singapore, Malaysia, Indonesia and the Philippines. The company has used traditional methods to make this vaccine. According to the company, inactivated portions of the virus were used to make this vaccine. However, there are many questions about how effective it is. The vaccine was trialled in Turkey, Indonesia and Brazil. Scientists from these countries said after the last stage trial that this vaccine is only 50.4 percent effective. Two vaccines are being prepared in India. One is the name Kovishield, prepared by scientists from AstraZeneca and Oxford University and produced by the Serum Institute of India. And the second vaccine is covaxine made by Indian company Bharat Biotech. Russia has prepared its own corona vaccine named 'Sputnik-5' and it was prepared by making a slight change in the version of the virus. The same vaccine is also being used in Argentina. Argentina has ordered three million doses of this vaccine for its vaccination campaign. The African Union has also ordered millions of doses of the vaccine, but has placed orders to several pharmaceutical companies. For example, the African Union has ordered vaccines to Fizer, AstraZeneca (through the Serum Institute) and Johnson & Johnson. The company Johnson & Johnson is currently unable to finalize its vaccine. Acquiring 'herd immunity' after the outbreak of epidemic is considered the fastest way to return to normal life. Should I take the covid vaccine? It has not been made mandatory to install the Kovid vaccine anywhere. But most people are advised to get vaccinated. However, there is an exception here in the case of people struggling with health problems. The CDC says that the vaccine not only protects against Kovid-19, but also protects others. Apart from this, the CDC also describes vaccination as the most important way to get out of the epidemic. The World Health Organization estimates that at least 65–70 percent of people will have to be vaccinated to prevent infection, which means that more people will have to be motivated to get vaccinated. There are many people who have many concerns about the speed of preparation of the Kovid vaccine. It is true that scientists spend years developing a vaccine, but the speed has been greatly increased to find a solution to the corona epidemic. That is why the World Health Organization is working closely with scientists, business and health organizations. In short, vaccination of billions of people will prevent the spread of Kovid-19 and the world will move towards herd immunity. Experts say that the world will be able to return to normal life only through herd immunity.,
Many diseases, which were considered fatal three decades ago, have almost disappeared due to vaccines, by social worker Vanita Kasani Punjab,
Vaccination campaigns have started in many countries of the world to control the corona epidemic.
Information and suggestions related to this may seem complicated to you at times, but there are some basic facts that will help you understand how a vaccine works.
What is a vaccine?
A vaccine prepares your body to fight against any disease, virus or infection.
The vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease. These cause the body's 'immune system', that is, the immune system to identify infections (invasive viruses) and make antibodies against them in the body Which help our body in fighting external attack.
The negative impact of the vaccine is rarely on people, but some people may face its side effects. Mild fever or rash are common side effects.
You develop immunity to fight the disease only after the vaccine has been applied.
The US Center of Disease Control and Prevention (CDC) says that vaccines are very powerful because they, unlike most drugs, do not cure a disease, but prevent it from occurring.
The vaccine prepares your body to fight against any disease, virus, or infection.
Are vaccines safe?
An early form of the vaccine was discovered by Chinese scientists in the 10th century.
But in 1796, Edward Jenner found that a dose of mild infection of smallpox protects against severe infection of smallpox.
He studied it further. He also tested his theory and his findings were published two years later.
That's when the word 'vaccine' originated. The vaccine was coined from the Latin language 'Vacca' which means cow.
The vaccine is considered one of the greatest medical achievements of the modern world. According to the World Health Organization, about twenty to three million people are saved every year due to vaccines.
The CDC says that vaccines are seriously tested before being brought to market. They are tested first in laboratories and then on animals. Only then the vaccine is trialled on humans.
In most countries, vaccines are administered to people only after getting permission from local drug regulators.
There are some risks in vaccination, but like all medicines, they have nothing in front of its benefits.
For example, some childhood diseases that were very common up to a generation ago have become increasingly extinct due to vaccines.
Smallpox, which killed millions of people, is now completely over.
But it often takes decades to achieve success. Africa was declared the only polio-free country nearly 30 years after the global vaccination campaign began. This is a very long time.
Experts have warned that it may take months or possibly years to get adequate vaccination against Kovid-19, only after which we will be able to return to normalcy.
Smallpox, which killed millions of people, is completely eradicated with the help of vaccines.
How are vaccines made?
When a new pathogen (pathogen) such as a bacterium, virus, parasite or fungus enters the body, a sub-part of the body called an antigen starts producing antibodies to fight it.
A vaccine contains some weak or inactive portions of an organism that cause disease.
Traditional vaccines develop the body's ability to fight external attacks.
But now new methods are also being used to develop vaccines. These new methods have also been tried in making some vaccines of Corona.
Comparison of Covid Vaccine
Fiser-BioNotech and Moderna's Kovid vaccine are both 'messenger RNA vaccines' that are used to prepare a portion of the virus's genetic code.
Instead of using a weak or inactive part of the antigen, these vaccines teach the cells of the body how to make the 'spike protein' found on the surface of the virus that causes Kovid-19.
The vaccine of Oxford and AstraZeneca is also different. Scientists have made some changes to a virus infecting chimpanzees to prepare it, and have also added a piece of the genetic-code of Kovid-19.
All three vaccines have been approved for emergency use in the United States and Britain. Mexico, Chile, and Costa Rica have also begun to manage the fodder's cavid vaccine. While the Brazilian government has cleared the vaccines of Oxford and Synovac.
In Brazil, nurse Monica Kalazens gets the country's first Kovid vaccine
Does Kovid have more vaccines?
Chinese pharmaceutical company Synovac has created a vaccine called 'Corona-Vac'. It has been launched in China, Singapore, Malaysia, Indonesia and the Philippines. The company has used traditional methods to make this vaccine. According to the company, inactivated portions of the virus were used to make this vaccine.
However, there are many questions about how effective it is. The vaccine was trialled in Turkey, Indonesia and Brazil. Scientists from these countries said after the last stage trial that this vaccine is only 50.4 percent effective.
Two vaccines are being prepared in India. One is the name Kovishield, prepared by scientists from AstraZeneca and Oxford University and produced by the Serum Institute of India. And the second vaccine is covaxine made by Indian company Bharat Biotech.
Russia has prepared its own corona vaccine named 'Sputnik-5' and it was prepared by making a slight change in the version of the virus. The same vaccine is also being used in Argentina. Argentina has ordered three million doses of this vaccine for its vaccination campaign.
The African Union has also ordered millions of doses of the vaccine, but has placed orders to several pharmaceutical companies. For example, the African Union has ordered vaccines to Fizer, AstraZeneca (through the Serum Institute) and Johnson & Johnson. The company Johnson & Johnson is currently unable to finalize its vaccine.
Acquiring 'herd immunity' after the outbreak of epidemic is considered the fastest way to return to normal life.
Should I take the covid vaccine?
It has not been made mandatory to install the Kovid vaccine anywhere. But most people are advised to get vaccinated. However, there is an exception here in the case of people struggling with health problems.
The CDC says that the vaccine not only protects against Kovid-19, but also protects others. Apart from this, the CDC also describes vaccination as the most important way to get out of the epidemic.
The World Health Organization estimates that at least 65–70 percent of people will have to be vaccinated to prevent infection, which means that more people will have to be motivated to get vaccinated.
There are many people who have many concerns about the speed of preparation of the Kovid vaccine.
It is true that scientists spend years developing a vaccine, but the speed has been greatly increased to find a solution to the corona epidemic. That is why the World Health Organization is working closely with scientists, business and health organizations.
In short, vaccination of billions of people will prevent the spread of Kovid-19 and the world will move towards herd immunity. Experts say that the world will be able to return to normal life only through herd immunity.कई बीमारियाँ जिन्हें तीन दशक पहले जानलेवा समझा जाता था, वो टीकों की वजह से लगभग ख़त्म हो गई हैं, by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,
कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए दुनिया के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुके हैं.
इससे जुड़ी सूचनाएं और सुझाव कई बार आपको पेचीदा लग सकती हैं, लेकिन कुछ बुनियादी तथ्य हैं जो आपकी यह समझने में मदद करेंगे कि एक वैक्सीन आख़िर काम कैसे करती हैं.
वैक्सीन क्या है?
एक वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है.
वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं.ये शरीर के 'इम्यून सिस्टम' यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण (आक्रमणकारी वायरस) की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके ख़िलाफ़ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं.
वैक्सीन लगने का नकारात्मक असर कम ही लोगों पर होता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके साइड इफ़ेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है. हल्का बुख़ार या ख़ारिश होना, इससे सामान्य दुष्प्रभाव हैं.
वैक्सीन लगने के कुछ वक़्त बाद ही आप उस बीमारी से लड़ने की इम्यूनिटी विकसित कर लेते हैं.
अमेरिका के सेंटर ऑफ़ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि वैक्सीन बहुत ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं क्योंकि ये अधिकांश दवाओं के विपरीत, किसी बीमारी का इलाज नहीं करतीं, बल्कि उन्हें होने से रोकती हैं.
वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है
क्या टीके सुरक्षित हैं?
वैक्सीन का एक प्रारंभिक रूप चीन के वैज्ञानिकों ने 10वीं शताब्दी में खोज लिया था.
लेकिन 1796 में एडवर्ड जेनर ने पाया कि चेचक के हल्के संक्रमण की एक डोज़ चेचक के गंभीर संक्रमण से सुरक्षा दे रही है.
उन्होंने इस पर और अध्ययन किया. उन्होंने अपने इस सिद्धांत का परीक्षण भी किया और उनके निष्कर्षों को दो साल बाद प्रकाशित किया गया.
तभी 'वैक्सीन' शब्द की उत्पत्ति हुई. वैक्सीन को लैटिन भाषा के 'Vacca' से गढ़ा गया जिसका अर्थ गाय होता है.
वैक्सीन को आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धियों में से एक माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकों की वजह से हर साल क़रीब बीस से तीस लाख लोगों की जान बच पाती है.
सीडीसी का कहना है कि बाज़ार में लाये जाने से पहले टीकों की गंभीरता से जाँच की जाती है. पहले प्रयोगशालाओं में और फिर जानवरों पर इनका परीक्षण किया जाता है. उसके बाद ही मनुष्यों पर वैक्सीन का ट्रायल होता है.
अधिकांश देशों में स्थानीय दवा नियामकों से अनुमति मिलने के बाद ही लोगों को टीके लगाये जाते हैं.
टीकाकरण में कुछ जोखिम ज़रूर हैं, लेकिन सभी दवाओं की ही तरह, इसके फ़ायदों के सामने वो कुछ भी नहीं.
उदाहरण के लिए, बचपन की कुछ बीमारियाँ जो एक पीढ़ी पहले तक बहुत सामान्य थीं, टीकों के कारण तेज़ी से लुप्त हो गई हैं.
चेचक जिसने लाखों लोगों की जान ली, वो अब पूरी तरह ख़त्म हो गयी है.
लेकिन सफ़लता प्राप्त करने में अक्सर दशकों लग जाते हैं. वैश्विक टीकाकरण अभियान शुरू होने के लगभग 30 साल बाद अफ़्रीका को अकेला पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया. यह बहुत लंबा समय है.
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ पूरी दुनिया में पर्याप्त टीकाकरण करने में महीनों या संभवतः वर्षों का समय लग सकता है, जिसके बाद ही हम सामान्य स्थिति में लौट सकेंगे.
चेचक जिसने लाखों लोगों की जान ली, वो टीके की मदद से पूरी तरह ख़त्म हो गयी है
टीके कैसे बनाये जाते हैं?
जब एक नया रोगजनक (पैथोजन) जैसे कि एक जीवाणु, विषाणु, परजीवी या फ़ंगस शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर का एक उप-भाग जिसे एंटीजन कहा जाता है, वो उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर देता है.
एक वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं.
पारंपरिक टीके शरीर के बाहरी हमले से लड़ने की क्षमता को विकसित कर देते हैं.
लेकिन टीके विकसित करने के लिए अब नये तरीक़े भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं. कोरोना के कुछ टीके बनाने में भी इन नये तरीक़ों को आज़माया गया है.
कोविड वैक्सीन की तुलना
फ़ाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन, दोनों 'मैसेंजर आरएनए वैक्सीन' हैं जिन्हें तैयार करने में वायरस के आनुवांशिक कोड के एक हिस्से का उपयोग किया जाता है.
ये टीके एंटीजन के कमज़ोर या निष्क्रिय हिस्से का उपयोग करने की बजाय, शरीर के सेल्स को सिखाते हैं कि वायरस की सतह पर पाया जाने वाला 'स्पाइक प्रोटीन' कैसे बनायें जिसकी वजह से कोविड-19 होता है.
ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन भी अलग है. वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए चिंपांज़ी को संक्रमित करने वाले एक वायरस में कुछ बदलाव किये हैं और कोविड-19 के आनुवंशिक-कोड का एक टुकड़ा भी इसमें जोड़ दिया है.
इन तीनों ही टीकों को अमेरिका और ब्रिटेन में आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दी जा चुकी है. मैक्सिको, चिली और कोस्टा रिका ने भी फ़ाइज़र की कोविड वैक्सीन का प्रबंध करना शुरू कर दिया है. जबकि ब्राज़ील सरकार ने ऑक्सफ़ोर्ड और सिनोवैक की वैक्सीन को हरी झंडी दिखाई है.
ब्राज़ील में नर्स मोनिका कालाज़ेंस को लगा देश का पहला कोविड वैक्सीन
क्या कोविड के और टीके भी हैं?
चीन की दवा कंपनी सिनोवैक ने 'कोरोना-वैक' नामक टीका बनाया है. चीन, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया और फ़िलीपींस में इसे उतारा गया है. कंपनी ने इस टीके को बनाने में पारंपरिक तरीक़े का इस्तेमाल किया है. कंपनी के अनुसार, इस टीके को बनाने के लिए वायरस के निष्क्रिय अंशों का इस्तेमाल किया गया.
हालांकि, यह कितना प्रभावी है, इसे लेकर काफ़ी सवाल उठे हैं. तुर्की, इंडोनेशिया और ब्राज़ील में इस टीके का ट्रायल किया गया था. इन देशों के वैज्ञानिकों ने अंतिम चरण के ट्रायल के बाद कहा कि यह टीका 50.4 प्रतिशत ही प्रभावशाली है.
भारत में दो टीके तैयार हो रहे हैं. एक का नाम है कोविशील्ड जिसे एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया इसका उत्पादन कर रहा है. और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन.
रूस ने अपनी ही कोरोना वैक्सीन तैयार की है जिसका नाम है 'स्पूतनिक-5' और इसे वायरस के वर्ज़न में थोड़ बदलाव लाकर तैयार किया गया. यही टीका अर्जेंटीना में भी इस्तेमाल हो रहा है. अपने टीकाकरण अभियान के लिए अर्जेंटीना ने इस टीके की तीन लाख डोज़ मंगवाई हैं.
अफ़्रीकी यूनियन ने भी वैक्सीन की लाखों डोज़ मंगवाई हैं, लेकिन उन्होंने ऑर्डर कई दवा कंपनियों को दिये हैं. मसलन, अफ़्रीकी यूनियन ने फ़ाइज़र, एस्ट्राज़ेनेका (सीरम इंस्टीट्यूट के ज़रिये) और जॉनसन एंड जॉनसन को वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन फ़िलहाल अपनी वैक्सीन फ़ाइनल नहीं कर पायी है.
महामारी फैलने के बाद 'हर्ड इम्यूनिटी' को हासिल करना सामान्य जीवन की ओर लौटने का सबसे तेज़ तरीक़ा माना जाता है
क्या मुझे कोविड वैक्सीन लेनी चाहिए?
कहीं भी कोविड वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं किया गया है. लेकिन ज़्यादातर लोगों को यह सलाह दी जाती है कि वो टीका लगवायें. हालांकि, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के मामले में यहाँ अपवाद है.
सीडीसी का कहना है कि वैक्सीन ना सिर्फ़ कोविड-19 से सुरक्षा देती है, बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित करती है. इसके अलावा सीडीसी टीकाकरण को महामारी से बाहर निकलने का सबसे महत्वपूर्ण ज़रिया भी बताती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि संक्रमण को रोकने के लिए कम से कम 65-70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगानी होगी, जिसका मतलब है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना होगा.
बहुत से लोग हैं जिन्हें कोविड वैक्सीन तैयार होने की रफ़्तार को लेकर कई तरह की चिंताएं हैं.
यह सच है कि वैज्ञानिक एक वैक्सीन विकसित करने में कई साल लगा देते हैं, मगर कोरोना महामारी का समाधान ढूंढने के लिए रफ़्तार को काफ़ी बढ़ाया गया. इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन वैज्ञानिकों, व्यापारिक और स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
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