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कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों में एक बड़ी समस्या उनको होने वाला एक दुर्लभ ब्लैक फंगल इंफेक्शन म्यूकोर्माइकोसिस है by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, ये अंधापन, शरीर के अंगो में खिंचाव पैदा करना, बॉडी सेल्स को नुकसान पहुंचाना और यहां तक ​​कि मृत्यु का कारण बनता है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर समय पर इसका सही इलाज नहीं हो पाया तो ये खतरनाक रूप ले लेता है। शहरों में ऐसे मामलों में धीरे-धीरे वृद्धि देखने को मिल रही है। इस प्रकार का एक मामला धुले निवासी शैला सोनार के साथ हुआ, जिनको 1 अगस्त को कोविड -19 का पता चला था। 15 दिनों तक वायरस से लड़ने के बाद वे इससे सफलतापूर्वक उबरीं, लेकिन जल्द ही, उन्होंने अपने मुंह में दर्द की शिकायत की और सूजन की बात बताई, जिसके बाद उन्होंने एक स्थानीय चिकित्सक से इलाज करवाया लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ गई, तो दिसंबर में परिवार ने एम्बुलेंस बुलाई और 1 दिसंबर को उनको मुंबई के ग्लोबल अस्पताल, परेल में भर्ती कराया।जहां उनको पता चला कि उन्हे 'सिनोनसाल म्यूकोर्माइकोसिस' है और उनकी जिदंगी बचाने का सिर्फ एक विकल्प सर्जरी ही है। 'उनके मुंह के अंदर फंगल इंफेक्शन फैल गया था जिसने उनके तालू को इंन्फेक्टेड कर दिया था। अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता ईएनटी सर्जन डॉ मिलिंद नवलखे ने बताया कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए, आंशिक रूप से तालू को हटाना पड़ा, नहीं तो ये इंफेक्शन मरीज के मस्तिष्क तक पहुंच सकता था जहां वो और ज्यादा घातक हो सकता था। मरीज की 20 वर्षीय बेटी साक्षी ने कहा, हालांकि, इस सर्जरी के कारण उसका चेहरा खराब हो गया है और उनको अब कुछ सालों के बाद प्लास्टिक सर्जरी की आवश्यकता होगी। हमने कभी नहीं सोचा था कि एक फंगल इंफेक्शन मेरी मां को इस तरह के नुकसान पहुंचा सकता है, हालांकि वो पूरी तरह से ठीक हो गई हैं, फिर भी उनको बात करने में समस्या है, उनका उच्चारण स्पष्ट नहीं है। सोनार का मामला भी इससे अलग नहीं है, नानावती अस्पताल के ईएनटी के सीनियर परामर्शदाता डॉ अमोल पाटिल को साइनस से संक्रमित 30 साल के मरीज की आंख को निकालना पड़ा था। एक स्मॉल एयर पॉकेट उनके माथे, नाक और गाल की हड्डी के पीछे और आंख के बीच में स्थित था, बाद में, डॉक्टरों ने उनकी आंख को वापस प्रत्यारोपित किया। जिन रोगियों में पहले से ही कोई दूसरी बीमारियां हैं जैसे मधुमेह, वे इस संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। डॉ नवलखे ने कहा, 'म्यूकोर्माइकोसिस' एक फंगल रोग है जो आमतौर पर एक कम्प्रोमाइज़ इम्युन स्टेटस वाले पेशेंट में होता है। पिछले तीन महीनों के अंदर लगभग 50 कोविड-19 से संक्रमितों में कम प्रतिरक्षा वाले रोगियों का पता चला और मधुमेह या स्टेरॉयड जैसी स्थितियों में फंगल इंफेक्शन का पता लगाया गया। ये ठंड की वजह से नाक ब्लॉक की तुलना में काफी अलग लक्षण पैदा नहीं करता है। शुरूआत में नाक और तालू के अंदर काला रंग फैलने जैसा होने लगता है, इसलिए, इस पर किसी का इस पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता, जब तक रोगियों को ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है तब तक ये पहले से ही एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है, जिसे सिनोनसल म्यूकोर्मोसिस कहते है। इसको जल्द डाइग्नोस करने के लिए ग्लोबल हॉस्पिटल ने हाल ही में मुंबई का पहला म्यूकोर्मोसिस क्लिनिक लॉन्च किया है।One of the major problems in patients recovering from Kovid-19 is a rare black fungal infection mucormycosis caused by them by social worker Vanita Kasani Punjab, blindness, causing stretch in body parts, damage to body cells and even Causes death. According to doctors, if it is not treated properly on time, it takes dangerous form. There is a gradual increase in such cases in cities. One such case happened with Dhule resident Shaila Sonar, who was detected with Kovid-19 on 1 August. She successfully recovered after fighting the virus for 15 days, but soon, she complained of pain in her mouth and reported swelling, after which she underwent treatment at a local doctor but when her condition worsened, in December The family called an ambulance and admitted him to Mumbai's Global Hospital, Parel, on 1 December, where he came to know that he had 'sinonasal mucormycosis' and surgery was the only option to save his life. 'There was a fungal infection inside his mouth which infected his palate. The hospital's senior consultant ENT surgeon Dr. Milind Navalkhe said that to prevent the spread of infection, the palate had to be partially removed, otherwise the infection could reach the patient's brain where it could become more fatal. However, the patient's 20-year-old daughter Sakshi said, however, that her face has deteriorated due to this surgery and she will now need plastic surgery after a few years. We never thought that a fungal infection could cause such harm to my mother, although she has recovered completely, yet she has problems talking, her pronunciation is unclear. Sonar's case is no different, Dr. Amol Patil, Senior Consultant, ENT, Nanavati Hospital, had to remove the eye of a 30-year-old sinus-infected patient. A small air pocket was located on the back of his forehead, nose and cheekbone and between the eyes, later, doctors implanted his eye back. Patients who already have other diseases such as diabetes are susceptible to this infection. Dr. Navalkhe said, 'Mucormycosis' is a fungal disease that usually occurs in a patient with a compromised immune status. Within the last three months, about 50 Kovid-19 infected patients were diagnosed with low immunity and fungal infections were detected in conditions such as diabetes or steroids. It does not produce significantly different symptoms than a nasal block due to cold. Initially black color starts to spread inside the nose and palate, therefore, it does not get much attention on it, by the time the patients need treatment, it has already reached the advanced stage. , Which is called sinonasal mucormosis. To diagnose this soon, Global Hospital has recently launched the first Mucormosis Clinic in Mumbai.,

कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों में एक बड़ी समस्या उनको होने वाला एक दुर्लभ ब्लैक फंगल इंफेक्शन म्यूकोर्माइकोसिस है by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, ये अंधापन, शरीर के अंगो में खिंचाव पैदा करना, बॉडी सेल्स को नुकसान पहुंचाना और यहां तक ​​कि मृत्यु का कारण बनता है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर समय पर इसका सही इलाज नहीं हो पाया तो ये खतरनाक रूप ले लेता है। शहरों में ऐसे मामलों में धीरे-धीरे वृद्धि देखने को मिल रही है। 

इस प्रकार का एक मामला धुले निवासी शैला सोनार के साथ हुआ, जिनको 1 अगस्त को कोविड -19 का पता चला था। 15 दिनों तक वायरस से लड़ने के बाद वे इससे सफलतापूर्वक उबरीं, लेकिन जल्द ही, उन्होंने अपने मुंह में दर्द की शिकायत की और सूजन की बात बताई, जिसके बाद उन्होंने एक स्थानीय चिकित्सक से इलाज करवाया लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ गई, तो दिसंबर में परिवार ने एम्बुलेंस बुलाई और 1 दिसंबर को उनको मुंबई के ग्लोबल अस्पताल, परेल में भर्ती कराया।जहां उनको पता चला कि उन्हे 'सिनोनसाल म्यूकोर्माइकोसिस' है और उनकी जिदंगी बचाने का सिर्फ एक विकल्प सर्जरी ही है। 'उनके मुंह के अंदर फंगल इंफेक्शन फैल गया था जिसने उनके तालू को इंन्फेक्टेड कर दिया था। अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता ईएनटी सर्जन डॉ मिलिंद नवलखे ने बताया कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए, आंशिक रूप से तालू को हटाना पड़ा, नहीं तो ये इंफेक्शन मरीज के मस्तिष्क तक पहुंच सकता था जहां वो और ज्यादा घातक हो सकता था। 

मरीज की 20 वर्षीय बेटी साक्षी ने कहा, हालांकि, इस सर्जरी के कारण उसका चेहरा खराब हो गया है और उनको अब कुछ सालों के बाद प्लास्टिक सर्जरी की आवश्यकता होगी। हमने कभी नहीं सोचा था कि एक फंगल इंफेक्शन मेरी मां को इस तरह के नुकसान पहुंचा सकता है, हालांकि वो पूरी तरह से ठीक हो गई हैं, फिर भी उनको बात करने में समस्या है, उनका उच्चारण स्पष्ट नहीं है। 

सोनार का मामला भी इससे अलग नहीं है, नानावती अस्पताल के ईएनटी के सीनियर परामर्शदाता डॉ अमोल पाटिल को साइनस से संक्रमित 30 साल के मरीज की आंख को निकालना पड़ा था। एक स्मॉल एयर पॉकेट उनके माथे, नाक और गाल की हड्डी के पीछे और आंख के बीच में स्थित था, बाद में, डॉक्टरों ने उनकी आंख को वापस प्रत्यारोपित किया। जिन रोगियों में पहले से ही कोई दूसरी बीमारियां हैं जैसे मधुमेह, वे इस संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। डॉ नवलखे ने कहा, 'म्यूकोर्माइकोसिस' एक फंगल रोग है जो आमतौर पर एक कम्प्रोमाइज़ इम्युन स्टेटस वाले पेशेंट में होता है। पिछले तीन महीनों के अंदर लगभग 50 कोविड-19 से संक्रमितों में कम प्रतिरक्षा वाले रोगियों का पता चला और मधुमेह या स्टेरॉयड जैसी स्थितियों में फंगल इंफेक्शन का पता लगाया गया। 

ये ठंड की वजह से नाक ब्लॉक की तुलना में काफी अलग लक्षण पैदा नहीं करता है। शुरूआत में नाक और तालू के अंदर काला रंग फैलने जैसा होने लगता है, इसलिए, इस पर किसी का इस पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता, जब तक रोगियों को ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है तब तक ये पहले से ही एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है, जिसे सिनोनसल म्यूकोर्मोसिस कहते है। इसको जल्द डाइग्नोस करने के लिए ग्लोबल हॉस्पिटल ने हाल ही में मुंबई का पहला म्यूकोर्मोसिस क्लिनिक लॉन्च किया है।One of the major problems in patients recovering from Kovid-19 is a rare black fungal infection mucormycosis caused by them by social worker Vanita Kasani Punjab, blindness, causing stretch in body parts, damage to body cells and even Causes death. According to doctors, if it is not treated properly on time, it takes dangerous form. There is a gradual increase in such cases in cities.

 One such case happened with Dhule resident Shaila Sonar, who was detected with Kovid-19 on 1 August. She successfully recovered after fighting the virus for 15 days, but soon, she complained of pain in her mouth and reported swelling, after which she underwent treatment at a local doctor but when her condition worsened, in December The family called an ambulance and admitted him to Mumbai's Global Hospital, Parel, on 1 December, where he came to know that he had 'sinonasal mucormycosis' and surgery was the only option to save his life. 'There was a fungal infection inside his mouth which infected his palate. The hospital's senior consultant ENT surgeon Dr. Milind Navalkhe said that to prevent the spread of infection, the palate had to be partially removed, otherwise the infection could reach the patient's brain where it could become more fatal.

 However, the patient's 20-year-old daughter Sakshi said, however, that her face has deteriorated due to this surgery and she will now need plastic surgery after a few years. We never thought that a fungal infection could cause such harm to my mother, although she has recovered completely, yet she has problems talking, her pronunciation is unclear.

 Sonar's case is no different, Dr. Amol Patil, Senior Consultant, ENT, Nanavati Hospital, had to remove the eye of a 30-year-old sinus-infected patient. A small air pocket was located on the back of his forehead, nose and cheekbone and between the eyes, later, doctors implanted his eye back. Patients who already have other diseases such as diabetes are susceptible to this infection. Dr. Navalkhe said, 'Mucormycosis' is a fungal disease that usually occurs in a patient with a compromised immune status. Within the last three months, about 50 Kovid-19 infected patients were diagnosed with low immunity and fungal infections were detected in conditions such as diabetes or steroids.

 It does not produce significantly different symptoms than a nasal block due to cold. Initially black color starts to spread inside the nose and palate, therefore, it does not get much attention on it, by the time the patients need treatment, it has already reached the advanced stage. , Which is called sinonasal mucormosis. To diagnose this soon, Global Hospital has recently launched the first Mucormosis Clinic in Mumbai.

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सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।#भारतवर्ष की आशाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप #आदरणीय #प्रधानमंत्री #श्री_नरेन्द्र_मोदी जी ने #कोरोना #वैक्सीन देश को समर्पित कर दी है। जिसके लिए सभी #देशवासियों को शुभकामनाएं तथा हमारे कोरोना वॉरियर्स का सहृदय #धन्यवाद। ये देश के लिए गर्व का विषय है कि वैश्विक इतिहास ने इतने बड़े स्तर का #टीकाकरण अभियान इससे पहले कभी नहीं देखा है। #दुनिया के सैंकड़ों देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 3 #करोड़ से कम है और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने जा रहा है।इस उपलब्धि के लिए मैं भारत के सभी वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, सभी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ सहित उन सभी #योद्धाओं का आभार व्यक्त करती हूं, जिनकी मेहनत व लगन ने कोरोना जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मिसाल पेश की है।#Vnita#IndiaFightsCorona #LargestVaccineDrive,

कोविड 19

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// Open main menu Search COVID-19 pandemic by country and territory Language Watch Edit COVID-19 pandemic Confirmed deaths per million population per date on map    1000+    178–1000    32–178    6–32    1–6    <1    No deaths or no data Disease COVID-19 Virus strain SARS-CoV-2 Source Probably  bats , possibly via  pangolins [1] [2] Location Worldwide First outbreak Mainland China [3] Index case Wuhan ,  Hubei ,  China 30°37′11″N 114°15′28″E Date 1 December 2019 [3]  – present (1 year, 3 months, 2 weeks and 6 days) Confirmed cases 122,964,412 [4] Active cases 50,604,706 [4] Recovered 69,647,959 [4] Deaths 2,711,747 [4] Territories 192 [4] This article provides a general overview and documents the status of locations affected by the  severe acute respiratory syndrome coronavirus 2  (SARS-CoV-2), the virus whi...

महाराष्ट्रातल्या कोणत्याही शहराची, खरंतर परिस्थिती पाहाता देशातल्या कोणत्याही शहराची सद्यस्थिती आहे. तुम्ही अहमदनगरचा तो व्हीडिओ पाहिला असेल जिथे एकाच चितेवर सहा जणांना अग्नी दिला. किंवा देशाच्या कोणत्यातरी नदीच्या किनारी जमिनीवरच मृतदेह ठेवून त्याभोवती लाकडं रचून पेटवलेलंही पाहिलं असेल, अगदी परवा समोर आलेला लखनऊच्या स्मशानातला अनेक मृतदेह जळतानाचा व्हीडिओही नजरेसमोरून गेला असेल. तसाच माझा एक अनुभव.By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकोव्हिडने मरणाऱ्या लोकांचे आकडे रोज समोर येतात, थोडं हळहळून, चुकचुकून सोडून देतो आपण, कामाला लागतो. दुसऱ्या दिवशी परत आकडे येतात. तेच घडतं, तोपर्यंत जोपर्यंत ही काळाची चाहूल तुमच्या घरात लागत नाही.अचानक आकडे फक्त आकडे न राहाता आपल्या जगण्याची धावपळ बनते. काहीतरी शाप असावा माणसाला की आपला माणूस मरत नाही तोवर काही सिरीयसली घ्यावंसच वाटत नाही. तशीच गर्दी बाहेर वाढत असते.आभाळच फाटलं त्याला कुठे कुठे ठिगळं लावणार असं माझी आजी म्हणायची.कोरोनाने मरणारा माणूस कसा मरतो माहितेय? श्वास कोंडून, की शेवटी त्याला जगण्यासाठी एक श्वास घेणं मुश्कील व्हावं. जो/जी गेले ते तर सुटतात, मागे राहिलेल्यांचं काय?जे कोरोनाने जातात ना त्यांचे जवळचे, रक्ताच्या नात्याचे सहसा त्याच आजाराने ग्रस्त असतात. काही तर हॉस्पिटलमध्येच असतात. आपल्या माणसाला शेवटचा निरोप द्यायलाही त्यांना येता येत नाही. मरण स्वस्त तर झालंच आहे, एकटंही झालंय.मी पाहिलंय स्मशानभूमीत. एकाशेजारी एक सहा-सात चिता जळत असतात आणि दर तिसऱ्या मिनीटाला एक बॉडी येत असते. माझ्या नात्यातली व्यक्ती गेली तेव्हा माझ्या शहरात कोरोनाने 40 मृत्यू झाले होते.सविस्तरच सांगायला हवं कसं होतं ते. तुमचं शहर मोठं असेल आणि तुम्ही शहरात दोन स्मशानभूमी असण्याइतके लकी (!) असाल तर एक स्मशानभूमी कोव्हिडसाठी राखीव असते. दिवसभरात गेलेल्या लोकांच्या बॉडी दुपारनंतर रिलीज व्हायला सुरूवात होते आणि आग धगधगायला लागते. शववाहिका येत असतात, चिता पेटत असतात. जो मेलाय त्याच्या जवळचं स्मशानभूमीत कोणीच नसतं. ते ऑलरेडी एकतर अॅडमिट असतात नाहीत क्वारंटाईन असतात. मेलेल्याला आग लावायला रक्ताचं नसतं कोणी.नवरा, बायको, संसार, मुलं कोणीच नसतात. माझ्या नातेवाईकाच्या बाबतीत असंच झालं. लांबची चार माणसं सोडून कोणीच नव्हतं. अग्नी कोणी दिला, कोणाच्या लक्षातही नाही. तरी जी माणसं आली त्यांचं कौतुक मानायला पाहिजे की ती आली तरी. नाहीतर महानगरपालिकेची माणसं कुठे जाळतात, कशी जाळतात पत्ता नाही लागत. त्यांना तरी का दोष द्यावा? संपत नाहीये मृत्यूचा खेळ. मेलेल्या माणसाला प्लास्टिकमध्ये गुंडाळलेलं असतं, घरी आणण्याचा प्रश्नच नसतो. थेट स्मशानात नेतात. जाळण्यासाठीही टोकन घ्यावं लागतं. काही ठिकाणी 24-36 तासांचा वेटिंग पीरियड आहे म्हणे. आमच्या माणसाला निदान स्मशानात आणल्या आणल्या आग नशिबी आली.हॉस्पिटलमध्ये माणूस गेला रे गेला की त्याला बेडवरून उतरवायची घाई सुरू होते. रडायला तरी कोणाला आणि किती वेळ असणार? रिकामा (!) झालेला बेड बाहेर जगण्या-मरण्याच्या अध्येमध्ये टांगलेल्या माणसाला द्यायचा असतो. Life should trump death.कमीत कमी ज्या जवळच्या माणसांना आपल्या माणसांचे अंतिम संस्कार करता येतात ते नशीबवान (!) म्हणायचे. खांदा द्यायचा नसतोच, पण निदान अग्नी द्यायला, शेवटचा निरोप द्यायला चार माणसं यावीत म्हणून प्रयत्नांची पराकाष्ठा करावी लागते. कोव्हिडने गेलेल्या माणसाचे अंतिम संस्कार करायला कोण परकी माणसं येणार? तरी काही येतात, घाबरत घाबरत का होईना कसेबसे सोपस्कार पार पडतात.एका पत्रकार मित्राने सांगितलेला किस्सा. त्याचे वडील गेले मागच्या वर्षी कोरोनाने, लहानशा गावात. खांदा द्यायला माणूस नव्हता. याने एकट्याने खांद्यावर बॉडी नेऊन चितेवर ठेवली, अग्नी दिला आणि चिता शांत व्हायची वाट पाहात बसला. एकटाच.आपला माणूस मरतो तेव्हा काय होतं माहितेय? कोणी नसतं तिथे... उद्या अस्थी गोळा करायला कोण येणार, पुन्हा ही रिस्क कोण घेणार म्हणून तू-तू-मी-मी चालत असते. पुढचे तुमच्या आठवणीत असतील एखाद्या चांगल्या माणसाच्या मयतीला आलेली शेकडो माणसं. इथे शेकडो माणसंच मृत्यूच्या दारात उभी असतात. ब्राझीलमधला एक फोटो पाहिला काही दिवसांपूर्वी. कोव्हिड वॉर्डमध्ये अॅडमिट असलेल्या पेशंटचा हात गरम पाणी भरलेल्या दोन रबरी ग्लोव्हमध्ये ठेवला आहे. माणसाचा स्पर्शच नाही तरी काहीतरी तरी जाणीव असावी म्हणून. इतका एकटेपणा असतो.हा मेल्यानंतरी पाठ सोडत नाही. जो मेलेल्यासाठी रडतोय त्याचीही पाठ हा एकटेपणा सोडत नाही. ना मेलेल्याला खांदा देता येतो, ना मांडी. ना त्यांच्या जाण्यावरून कोणाच्या गळ्यात पडून धाय मोकलून रडता येतं.बाल वनिता महिला आश्रमकोणी रडत तर खांद्यावर हात टाकून सांत्वन करायला कोणी पुढे येत नाही. फेसशिल्ड, मास्कमध्ये लपलेले चेहरे. दोन-दोन मास्क लावल्यामुळे जड झालेला श्वास आणि आगीच्या धगीमुळे लागलेल्या घामाच्या धारा यात अश्रू कुठे वाहून जातात काहीच कळत नाही. मुळात कोण कोणासाठी रडतंय, त्याहीपेक्षा गेलेल्या माणसासाठी रडायला इथे कोणी आहे तरी का हे कळायला जागा नसते.या एकटेपणाचं काय करावं?समोर जळणाऱ्या सहा-सात चितांच्या ज्वाळात नंतर हेही कळत नाही की आपल्या माणसाला कुठे अग्नी दिला होता. चौथऱ्यावर गेलं की धग लागते फक्त, सगळीकडून जळणाऱ्या चितांची. स्मशानात एरवी भयाण वाटतं म्हणे, एकटीच चिता जळत असते बाकी अंधार.आता आपल्या माणसाचं चितेत जळण्यासाठी कधी नंबर येईल या विवेचंनेत थांबलेली माणसं, स्मशानभूमीत काम करणाऱ्या माणसांची यंत्रासारखी लगबग, सतत येणाऱ्या अँब्युलन्स, समोर धडाडणाऱ्या चिता आणि त्यांचा सगळीकडे पसरलेला प्रकाश फक्त भेसूर वाटतो.अर्धा किलोमीटर अंतरावरून कळतं पुढे स्मशानभूमी आहे इतका त्या अग्नीचा प्रकाश पसरलेला असतो. भीती फक्त माणसाच्या हतबलतेची वाटते.बाकी कोणतं वर्ष पनवती नसतं, काळ पनवती नसतो, आपण माणसंच पनवती असतो.(टीप : बीबीसी मराठीच्या सदस्याने आपला अनुभव या ब्लॉगमध्ये मांडला आहे. त्यांच्या इच्छेखातर नाव देत नाही आहोत न्यूज मराठीचे सर्व अपडेट्स मिळवण्यासाठी आम्हाला YouTube, Facebook, Instagram आणि Twitter वर नक्की फॉलो करा.

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