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Coronavirus disease 2019By philanthropist Vanita Kasani PunjabInfection spread to humansRead in another languagedownloadTake careEditCOVID-19 (COVID-19), called Wuhan

कोरोनावायरस रोग 2019

संक्रमण द्वारा इंसानों में फैलने वाली बीमारी

कोविड-19 (COVID-19), जिसे वुहान वायरस 2019 के नाम से भी जाना जा रहा है, एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो  2019 नोवेल  कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) के कारण होता है। इस रोग का पता सबसे पहले चीन के वुहान शहर में 2019 को चला था। हालांकि तब तक ये पूरी दुनिया में फैल चुका था, जिसका परिणाम  2019–20 वुहान   कोरोनावायरस महामारी के रूप में सामने आया। इसकें सामान्य लक्षणों में बुखारखांसी और सांस लेने में तकलीफ होना शामिल है। कुछ मामलों में मांसपेशियों में दर्द, थूक का निर्माण और गले में खराश भी देखने को मिला है। अधिकतर मामलों में हल्के लक्षण ही होते हैं और सिर्फ कुछ मामलों में ये बढ़ कर निमोनिया या कई अंगों के विफल होने तक भी पहुँच जाते हैं। जांच किए जा रहे मामलों में प्रति व्यक्ति मौतों का प्रतिशत 3.4%[कृपया उद्धरण जोड़ें] है, जिसमें व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ अलग अलग हैं।

फैलावसंपादित करें

वर्तमान में इटलीस्पेनभारतब्राजीलईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके मुख्य शिकार हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोनावायरस महामारी के हमले को पर्ल हार्बर और 9/11 के हमले से भी ज्यादा ख़तरनाक बताया। डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार इसमें हम ऐसे दुश्मन से लड़ रहे है जो दिखाई नहीं देता।[1]

संकेत और लक्षणसंपादित करें

लक्षण[2]%
बुखार87.9
सूखी खांसी67.7
थकान38.1
लार का निर्माण33.4
गंध ना आना and स्वाद ना आना[3][4]30 से 66
सांस लेने में तकलीफ18.6
मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द14.8
गले में खरास13.9
सर दर्द13.6
ठंड लगना11.4
उलटी अथवा मितली5.0
नाक बंद4.8
दस्त3.7 से 31
हेमोटाईसिस0.9
कंजेक्टिवल रक्त-संकुलन0.8
2019 नोवेल कोरोनावायरस के रोग लक्षण

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में हो सकता है कि किसी भी प्रकार का कोई लक्षण न दिखे या फ्लू जैसे कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिसमें बुखार, खांसी, थकान और सांस में तकलीफ शामिल है।[5][6][7] कुछ आपातकालिन स्थितियाँ पैदा करने वाले लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, सिने में दर्द या दबाव, भ्रम, जागने में कठिनाई, और चेहरे या होंठों में जलन शामिल है। यदि ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत अपनी जांच कराएं। कुछ कम सामान्य लक्षणों में छींक आना, नाक का बहना, गले में खराश होना देखा गया है। कुछ लोगों में मतली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण भी दिखाई दिये हैं। चीन के कुछ मामलों में सीने में जकड़न और अस्वस्थता देखने को मिला था। कुछ ऐसे मामलों में जिसमें कोई अन्य लक्षण नहीं दिख रहे थे, उन्हें कोई गंध नहीं आ रहा था, या वे स्वाद पहचान नहीं पा रहे थे।[3][4] कुछ मामलों में ये बीमारी निमोनिया या कई अंगों के विफल होने तक बढ़ जाती है और मृत्यु हो जाती है। जिन लोगों में गंभीर लक्षण दिखाई दिये हैं, जिसके लिए उन्हें मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता पड़े, उन्हें यह लक्षण दिखने में लगभग 8 दिन का समय लगा था।

कारणसंपादित करें

यह रोग SARS-CoV-2 नामक वायरस के कारण होता है, जिसे पहले 2019 नोवेल कोरोनावायरस (2019-nCoV) के नाम से जाना जाता था। यह मुख्य रूप से खांसी और छींक के दौरान निकलने वाली बूंदों से लोगों में फैलता है। वायरस के क्षय की जांच करने वाले एक अध्ययन से पता चला है कि ये तांबे पर 4 घंटे, कार्डबोर्ड पर 24 घंटे, स्टैनलेस स्टील पर 72 घंटे, और प्लास्टिक पर 72 घंटे के बाद दिखाई नहीं दिये थे। हालांकि उन वायरस का पता लगाने की दर 100% नहीं हुई और यह अलग अलग सतह पर भिन्न-भिन्न थी। (पता लगाने की सीमा ऐरोसोल के लिए 3.33×100.5 TCID50 प्रति लीटर, प्लास्टिक, स्टील और कार्डबोर्ड के लिए 100.5 TCID50 प्रति मिलिलीटर और तांबे के लिए 101.5 TCID50 प्रति मिलीलीटर था। बायेसियन रिग्रेशन मॉडल के साथ क्षय की दर का अनुमान बताता है कि यह वायरस तांबे में 18 घंटे, कार्डबोर्ड पर 55 घंटे, स्टैनलेस स्टील पर 90 घंटे, और प्लास्टिक पर 100 घंटे तक रह सकता है। 3 घंटे के प्रयोग के दौरान यह पूरे समय ऐरोसोल में दिखाई दे रहा था। यह वायरस मल में भी पाया गया है, और इसके माध्यम से इसके संचरण पर अभी शोध किया जा रहा है।

किसी इंसान से रोग फेलने की संभावना सबसे अधिक तब होती है जब उनमे बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं (चाहे लक्षण हलके कयुं न हों), लेकिन लक्षण दिखने के एक दो दिन पहले बही बीमारी फैल सकती है। जब बीमारी कम हो, तो लोग ७ से १२ दिन संक्रामक रहते हैं (यानी, बीमारी फैला सकते हैं), और अगार बीमारी अधिक हो तो दो हफते तक भी बीमारी फैला सकते हैं।

जब खांसी और छींक के दौरान नेकलने वाली बूंदें जमीन या किसी सतह पर गिरते हैं, तो उस जमीन या सतह को छूकर अगर कोई व्यकती अपने मुंह या नाक को छू ले, तो ‌वह बीमार पड सकता है। लेकिन इसकी संभावना थोढी कम है,और समय के साथ यह संभावना भी घटती जाती है। यह मानना है कि यह वाीरस के फैलने का मुख्य तरीका नही है।

बीमार व्यकती के थूक मे अधिक मात्रा मे वाइरस (किठाणु) मौजूद होती है। भले यह यौन से फेलने वाली बीमारी नही है, लेकिन यह नज़दीकी संपर्क से फैल सकता है।

रोकथामसंपादित करें

क्योंकि SARS-CoV-2 के खिलाफ काम करने वाले टीकों के 2021 से पहले आने की संभावना नहीं है, इस कारण महामारी के प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसके बढ़ने को रोकने का प्रयास कर रहा है। जिससे इलाज हेतु पर्याप्त मात्रा में चिकित्सक और चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध हो सके। इसी के साथ साथ चिकित्सकीय सेवा देने वालों को अत्यधिक काम न करना पड़े और इसके इलाज तथा टीके के निर्माण करने हेतु पर्याप्त समय मिल सके।[8]

बचाव के उपाय करने से संक्रमित होने की संभावना काफी कम हो जाती है। संक्रमण से बचने के लिए अन्य कोरोनावायरस के लिए छापे गए उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं:

  • जितना हो सके, घर पर रहें और यात्रा या सार्वजनिक कार्य करने से बचें।
  • अपने हाथ साबुन और गरम पानी से कम से कम 20 सेकंड के लिए धोते रहें।
  • अपने हाथ बिना धोये अपनी आँखों, नाक और मुंह को न छूएँ।

इसके अलावा समाज से दूरी बनाना भी एक अच्छी रणनीति है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने को रोका जा सकता है। इसके लिए विद्यालय और कार्यालय आदि का बंद करना, यात्रा पर प्रतिबंध लगाना और किसी भी प्रकार के भीड़ को इकठ्ठा न होने देना प्रमुख उपाय है।

WHO के अनुसार मास्क का इस्तेमाल सिर्फ उन्हें करना चाहिए, जिन्हें खांसी या सर्दी है या उन्हें जो ऐसे किसी की देखभाल कर रहे हैं, जिसे यह रोग होने का शक है। हालांकि बाद में WHO के साथ साथ अन्य कई संस्थानों ने मास्क के इस्तेमाल को सभी लोगों के लिए जरूरी बताया है।

सीडीसी और संयुक्त राष्ट्र के सलाह के अनुसार संक्रमण को रोकने के लिए सभी लोग घर पर ही रहें और केवल इलाज हेतु ही बाहर जाएँ। किसी चिकित्सकीय संस्था में जाने से पहले कॉल कर लें और किसी ऐसे जगह जाते हैं, जहां संक्रमण का खतरा हो, तो चेहरे का मास्क भी पहन लें। सर्दी या खांसी होने पर रुमाल या टिशू पेपर का इस्तेमाल करें और अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएँ। सीडीसी की सलाह है कि लोग अपने हाथ कम से कम 20 सेकंड तक साबुन या हैंड वॉश से धोएँ। खास कर टॉयलेट जाने पर या हाथ गंदे दिखने और खाना खाने से पहले या नाक साफ करने के बाद। यदि साबुन और पानी न मिले तो ही अल्कोहल वाले हाथ सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें, जिसमें कम से कम 60% अल्कोहल हो। WHO की सलाह है कि सभी लोग गंदे हाथों से अपने आँख, नाक और मुंह को छूने से बचें और सार्वजनिक जगहों पर धुकने से भी बचें।

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सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।#भारतवर्ष की आशाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप #आदरणीय #प्रधानमंत्री #श्री_नरेन्द्र_मोदी जी ने #कोरोना #वैक्सीन देश को समर्पित कर दी है। जिसके लिए सभी #देशवासियों को शुभकामनाएं तथा हमारे कोरोना वॉरियर्स का सहृदय #धन्यवाद। ये देश के लिए गर्व का विषय है कि वैश्विक इतिहास ने इतने बड़े स्तर का #टीकाकरण अभियान इससे पहले कभी नहीं देखा है। #दुनिया के सैंकड़ों देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 3 #करोड़ से कम है और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने जा रहा है।इस उपलब्धि के लिए मैं भारत के सभी वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, सभी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ सहित उन सभी #योद्धाओं का आभार व्यक्त करती हूं, जिनकी मेहनत व लगन ने कोरोना जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मिसाल पेश की है।#Vnita#IndiaFightsCorona #LargestVaccineDrive,

कोविड 19

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// Open main menu Search COVID-19 pandemic by country and territory Language Watch Edit COVID-19 pandemic Confirmed deaths per million population per date on map    1000+    178–1000    32–178    6–32    1–6    <1    No deaths or no data Disease COVID-19 Virus strain SARS-CoV-2 Source Probably  bats , possibly via  pangolins [1] [2] Location Worldwide First outbreak Mainland China [3] Index case Wuhan ,  Hubei ,  China 30°37′11″N 114°15′28″E Date 1 December 2019 [3]  – present (1 year, 3 months, 2 weeks and 6 days) Confirmed cases 122,964,412 [4] Active cases 50,604,706 [4] Recovered 69,647,959 [4] Deaths 2,711,747 [4] Territories 192 [4] This article provides a general overview and documents the status of locations affected by the  severe acute respiratory syndrome coronavirus 2  (SARS-CoV-2), the virus whi...

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Life should trump death.कमीत कमी ज्या जवळच्या माणसांना आपल्या माणसांचे अंतिम संस्कार करता येतात ते नशीबवान (!) म्हणायचे. खांदा द्यायचा नसतोच, पण निदान अग्नी द्यायला, शेवटचा निरोप द्यायला चार माणसं यावीत म्हणून प्रयत्नांची पराकाष्ठा करावी लागते. कोव्हिडने गेलेल्या माणसाचे अंतिम संस्कार करायला कोण परकी माणसं येणार? तरी काही येतात, घाबरत घाबरत का होईना कसेबसे सोपस्कार पार पडतात.एका पत्रकार मित्राने सांगितलेला किस्सा. त्याचे वडील गेले मागच्या वर्षी कोरोनाने, लहानशा गावात. खांदा द्यायला माणूस नव्हता. याने एकट्याने खांद्यावर बॉडी नेऊन चितेवर ठेवली, अग्नी दिला आणि चिता शांत व्हायची वाट पाहात बसला. एकटाच.आपला माणूस मरतो तेव्हा काय होतं माहितेय? कोणी नसतं तिथे... उद्या अस्थी गोळा करायला कोण येणार, पुन्हा ही रिस्क कोण घेणार म्हणून तू-तू-मी-मी चालत असते. पुढचे तुमच्या आठवणीत असतील एखाद्या चांगल्या माणसाच्या मयतीला आलेली शेकडो माणसं. इथे शेकडो माणसंच मृत्यूच्या दारात उभी असतात. ब्राझीलमधला एक फोटो पाहिला काही दिवसांपूर्वी. कोव्हिड वॉर्डमध्ये अॅडमिट असलेल्या पेशंटचा हात गरम पाणी भरलेल्या दोन रबरी ग्लोव्हमध्ये ठेवला आहे. माणसाचा स्पर्शच नाही तरी काहीतरी तरी जाणीव असावी म्हणून. इतका एकटेपणा असतो.हा मेल्यानंतरी पाठ सोडत नाही. जो मेलेल्यासाठी रडतोय त्याचीही पाठ हा एकटेपणा सोडत नाही. ना मेलेल्याला खांदा देता येतो, ना मांडी. ना त्यांच्या जाण्यावरून कोणाच्या गळ्यात पडून धाय मोकलून रडता येतं.बाल वनिता महिला आश्रमकोणी रडत तर खांद्यावर हात टाकून सांत्वन करायला कोणी पुढे येत नाही. फेसशिल्ड, मास्कमध्ये लपलेले चेहरे. दोन-दोन मास्क लावल्यामुळे जड झालेला श्वास आणि आगीच्या धगीमुळे लागलेल्या घामाच्या धारा यात अश्रू कुठे वाहून जातात काहीच कळत नाही. मुळात कोण कोणासाठी रडतंय, त्याहीपेक्षा गेलेल्या माणसासाठी रडायला इथे कोणी आहे तरी का हे कळायला जागा नसते.या एकटेपणाचं काय करावं?समोर जळणाऱ्या सहा-सात चितांच्या ज्वाळात नंतर हेही कळत नाही की आपल्या माणसाला कुठे अग्नी दिला होता. चौथऱ्यावर गेलं की धग लागते फक्त, सगळीकडून जळणाऱ्या चितांची. स्मशानात एरवी भयाण वाटतं म्हणे, एकटीच चिता जळत असते बाकी अंधार.आता आपल्या माणसाचं चितेत जळण्यासाठी कधी नंबर येईल या विवेचंनेत थांबलेली माणसं, स्मशानभूमीत काम करणाऱ्या माणसांची यंत्रासारखी लगबग, सतत येणाऱ्या अँब्युलन्स, समोर धडाडणाऱ्या चिता आणि त्यांचा सगळीकडे पसरलेला प्रकाश फक्त भेसूर वाटतो.अर्धा किलोमीटर अंतरावरून कळतं पुढे स्मशानभूमी आहे इतका त्या अग्नीचा प्रकाश पसरलेला असतो. भीती फक्त माणसाच्या हतबलतेची वाटते.बाकी कोणतं वर्ष पनवती नसतं, काळ पनवती नसतो, आपण माणसंच पनवती असतो.(टीप : बीबीसी मराठीच्या सदस्याने आपला अनुभव या ब्लॉगमध्ये मांडला आहे. त्यांच्या इच्छेखातर नाव देत नाही आहोत न्यूज मराठीचे सर्व अपडेट्स मिळवण्यासाठी आम्हाला YouTube, Facebook, Instagram आणि Twitter वर नक्की फॉलो करा.

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