कौन से 10 ऐसे पौधे हैं जिन्हें घर में लगाना चाहिए ?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबमेरे ख़याल से घर के बगीचे में खुशबूदार फूल के पौधे, औषधीय पौधे और वायु शुद्ध करने वाले पौधों का मिश्रण होना आवश्यक है। जिससे घर में स्वस्थ , खूशबूदार और सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।नीचे दिए गये दस पौधों में से शमी और रबर प्लांट को छोड़ कर सभी पौधे मेरे घर की शोभा बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।क्रिसमस कैक्टसइस पौधे को घर के अंदर रख सकते हैं। ये पौधा रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है।तुलसी का पौधाऔषधीय गुण होने के साथ हीं तुलसी का पौधा रात में भी ऑक्सीजन देता है।एलोवेराइसे घृतकुमारी भी कहते हैं। इसके जैल का प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधन बनाने और औषधि के रूप में किया जाता है। ये पौधा भी दिन -रात ऑक्सीजन छोड़ता है।रबर प्लांटये पौधा थोड़ी सी धूप में भी जीवित रह सकता है। यह लकड़ी के फर्नीचर से निकलने वाले हानिकारक ऑर्गैनिक कम्पाउण्ड फॉरमेल्डिहाइड को सोना लेता है। इस प्रकार घर के अंदर के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखता है। इसे लकड़ी के फर्निचर के आस-पास रखना चाहिए।मनी प्लांटमनी प्लांट को धन समृद्धि लाने वाला माना दाता है। इस प्लांट को घर के अंदर याहा बाहर लगाया था सकता है। मनीष प्लांट के आस-पास के वातावरण में आक्सीजन की मात्रा अधिक रहती है। ये वायु में मौजूद कार्बनडाईआक्साइड को आक्सीजन में बदल कर वातावरण को शुद्ध करने के साथ हीं सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बनाए रखने में सहायक होता है।मनीप्लांट को आग्नेय कोण( दक्षिण-पूर्व दिशा) में लगाना चाहिए। इस दिशा के देवता गणेशजी हैं, जबकि प्रतिनिधि शुक्र हैं। गणेशजी अमंगल का नाश करने वाले हैं और शुक्र सुख-समृद्धि का कारक है। क्योंकि बेल और लता का कारण शुक्र ग्रह को माना जाता है। इसलिए मनीप्लांट को आग्नेय दिशा में लगाना उचित माना जाता है।शमी का पेड़आयुर्वेद में शमी के फूल, पत्तियों और तने की छाल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। विजयदशमी के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने की मान्यता है। इतना सीन नहीं इस पेड़ को घर में लगाने शनिदेव की कृपा बनी रहती है। शमी के पेड़ को घर के ईशान कोण (पूर्व-उत्तर दिशा) में लगाना शुभ फलदायक होता है।अजवाइन का पौधाइस पौधे की पत्तियों को खाने से साँस की बदबू दूर होती है इसकी पत्तियों में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एन्टीआक्सीडेंट एवं एन्टीवायरल गुण होने के कारण सर्दी-जुखाम, पेट दर्द,अस्थमा आदि अनेक बिमारियों में औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।अजवाइन की पत्तियों का काढ़ा या कच्चा चबाकर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ती है।अजवाईन के पौधे को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है।ये पौधा बिना पानी के तीन महिने तक हरा रह सकता है। ये पौधा शो प्लांट के रूप घर की शोबा बढ़ाने का काम भी करता है।मीठी नीम का पौधामीठी नीम को करी पत्ता भी कहते हैं। इसके औषधीय गुण स्वास्थ्य, सौन्दर्य लाभ प्रदान करने के साथ हीं भोजन को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने में भी सहायक होते हैं।गिलोय की बेलइस औषधीय पौधे की पत्तियों, तने का प्रयोग अनेक रोगो के उपचार में किया जाता है। गिलोय का काढ़ा या पाउडर का प्रयोग आयुर्वेद में बुखार के उपचार के लिए विशेष रूप से किया जाता है। गिलोय का काढ़ा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत कारगर होती है।इसके बेल/लताएँ आपके बगीचे की शोबा बढ़ाने के साथ हीं स्वास्थ्य रक्षा के काम भी आएँगी।पोय की बेलपोय की पत्तियों की सब्जी एवं पकौड़ी बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियाँ बहुमूल्य औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। इसके विषय में कहावत है —" थाली में पोय, रोग दूर होए।"बाल वनिता महिला आश्रमपोत की पत्तियों का प्रयोग पेचिश, दस्त, मुँह के अल्सर, सर्दी-जुकाम, खाँसी, शरीर में पानी भर जाना (फ्लुइड रिटेंशन), यौन दुर्बलता, इन्फेर्टिलिटी आदि अनेक रोगों के उपचार में किया जाता है।
मेरे ख़याल से घर के बगीचे में खुशबूदार फूल के पौधे, औषधीय पौधे और वायु शुद्ध करने वाले पौधों का मिश्रण होना आवश्यक है। जिससे घर में स्वस्थ , खूशबूदार और सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
नीचे दिए गये दस पौधों में से शमी और रबर प्लांट को छोड़ कर सभी पौधे मेरे घर की शोभा बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।
क्रिसमस कैक्टस
इस पौधे को घर के अंदर रख सकते हैं। ये पौधा रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है।
तुलसी का पौधा
औषधीय गुण होने के साथ हीं तुलसी का पौधा रात में भी ऑक्सीजन देता है।
एलोवेरा
इसे घृतकुमारी भी कहते हैं। इसके जैल का प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधन बनाने और औषधि के रूप में किया जाता है। ये पौधा भी दिन -रात ऑक्सीजन छोड़ता है।
रबर प्लांट
ये पौधा थोड़ी सी धूप में भी जीवित रह सकता है। यह लकड़ी के फर्नीचर से निकलने वाले हानिकारक ऑर्गैनिक कम्पाउण्ड फॉरमेल्डिहाइड को सोना लेता है। इस प्रकार घर के अंदर के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखता है। इसे लकड़ी के फर्निचर के आस-पास रखना चाहिए।
मनी प्लांट
मनी प्लांट को धन समृद्धि लाने वाला माना दाता है। इस प्लांट को घर के अंदर याहा बाहर लगाया था सकता है। मनीष प्लांट के आस-पास के वातावरण में आक्सीजन की मात्रा अधिक रहती है। ये वायु में मौजूद कार्बनडाईआक्साइड को आक्सीजन में बदल कर वातावरण को शुद्ध करने के साथ हीं सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बनाए रखने में सहायक होता है।
मनीप्लांट को आग्नेय कोण( दक्षिण-पूर्व दिशा) में लगाना चाहिए। इस दिशा के देवता गणेशजी हैं, जबकि प्रतिनिधि शुक्र हैं। गणेशजी अमंगल का नाश करने वाले हैं और शुक्र सुख-समृद्धि का कारक है। क्योंकि बेल और लता का कारण शुक्र ग्रह को माना जाता है। इसलिए मनीप्लांट को आग्नेय दिशा में लगाना उचित माना जाता है।
शमी का पेड़
आयुर्वेद में शमी के फूल, पत्तियों और तने की छाल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। विजयदशमी के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने की मान्यता है। इतना सीन नहीं इस पेड़ को घर में लगाने शनिदेव की कृपा बनी रहती है। शमी के पेड़ को घर के ईशान कोण (पूर्व-उत्तर दिशा) में लगाना शुभ फलदायक होता है।
अजवाइन का पौधा
इस पौधे की पत्तियों को खाने से साँस की बदबू दूर होती है इसकी पत्तियों में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एन्टीआक्सीडेंट एवं एन्टीवायरल गुण होने के कारण सर्दी-जुखाम, पेट दर्द,अस्थमा आदि अनेक बिमारियों में औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
अजवाइन की पत्तियों का काढ़ा या कच्चा चबाकर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ती है।
अजवाईन के पौधे को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है।ये पौधा बिना पानी के तीन महिने तक हरा रह सकता है। ये पौधा शो प्लांट के रूप घर की शोबा बढ़ाने का काम भी करता है।
मीठी नीम का पौधा
मीठी नीम को करी पत्ता भी कहते हैं। इसके औषधीय गुण स्वास्थ्य, सौन्दर्य लाभ प्रदान करने के साथ हीं भोजन को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने में भी सहायक होते हैं।
गिलोय की बेल
इस औषधीय पौधे की पत्तियों, तने का प्रयोग अनेक रोगो के उपचार में किया जाता है। गिलोय का काढ़ा या पाउडर का प्रयोग आयुर्वेद में बुखार के उपचार के लिए विशेष रूप से किया जाता है। गिलोय का काढ़ा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत कारगर होती है।
इसके बेल/लताएँ आपके बगीचे की शोबा बढ़ाने के साथ हीं स्वास्थ्य रक्षा के काम भी आएँगी।
पोय की बेल
पोय की पत्तियों की सब्जी एवं पकौड़ी बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियाँ बहुमूल्य औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। इसके विषय में कहावत है —" थाली में पोय, रोग दूर होए।"
बाल वनिता महिला आश्रमपोत की पत्तियों का प्रयोग पेचिश, दस्त, मुँह के अल्सर, सर्दी-जुकाम, खाँसी, शरीर में पानी भर जाना (फ्लुइड रिटेंशन), यौन दुर्बलता, इन्फेर्टिलिटी आदि अनेक रोगों के उपचार में किया जाता है।
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