बलुवाना न्यूज पंजाब By वनिता कासनियां पंजाब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार के विज्ञानियों ने कुछ समय पहले ही गुजरात के जूनागढ़ में स्थित सक्करबाग चिडिय़ाघर में शेरों को कोरोना की एंकोवेक्स वैक्सीन (पशुओं को कोविड-19 एंटी वैक्सीन) लगाई थीअब इस वैक्सीन की बूस्टर डोज लगने के बाद जानवरों के शरीर में बनी एंटीबाडी के परिणाम चौंकाने वाले आए हैं। जिन पांच जानवरों को चिडिय़ाघर प्रशासन ने उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए दिया था उन सभी की कोविड-19 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ गई। यह क्षमता मानक से भी अधिक पाई गई है। ऐसे में अगर दूसरे चिडिय़ाघर प्रशासन अपने यहां जानवरों को यह वैक्सीन लगवाते हैं तो उन्हें कोविड-19 के प्रति सुरक्षा मिल सकेगी।21 दिन पर लगाई गई थी बूस्टर डोजजानवरों को एंकोवेक्स वैक्सीन की पहली डोज के बाद 21 दिन बाद बूस्टर डोज दी गई। वैक्सीन के चक्र को अब 42 दिन हो चुके हैं। ऐसे में इस प्रक्रिया के तहत हर बार जिन जानवरों को वैक्सीन दी गई उनके खून की सैंपङ्क्षलग कर जांच की गई। जिसमें पाया कि जानवरों में बूस्टर डोज लगने के बाद इम्युनिटी मानक से भी अधिक बढ़ गई। इसके साथ ही डोज लगने के बाद अब यह जानवर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इस प्रक्रिया में विज्ञानियों ने तीन बार ब्लड टेस्ट किया। जिसमें सबसे पहले पहली डोज लगाने पर पहले, फिर 21 दिन में बूस्टर डोर लगाने से पहले इसके बाद 42 दिन पूरे होने पर रक्त की जांच की गई। ताकि पता लगाया जा सके कि वैक्सीन देने के बाद जानवरों में किस प्रकार का परिवर्तन हुआ है।डिमांड आने पर बनाएंगे डोजएनआरसीई के वरिष्ठ विज्ञानी डा नवीन बताते हैं कि हमारी बनाई वैक्सीन काफी अच्छा असर दिखा रहा है। एंटीबाडी भी जानवरों में काफी अच्छी बनी है। सामान्य तौर पर इंसानों में जब कोवैक्सीन लगाते हैं तो 16 टाइटर के आसपास एंटीबाडी बनती हैं। जब जानवरों में एंकोवैक्स वैक्सीन दी गई तो 64 टाइटर आया। जोकि काफी अच्छी एंटीबाडी को प्रदर्शित करता है। इस वैक्सीन को आगे भी जानवरों को दिया जाता है तो वह डिमांड आने पर और भी डोज बना सकते है। एक जानवर को दो डोज लगाई जाती है। एक वैक्सीन और दूसरी वैक्सीन की बूस्टर डोज है। कम उम्र के जानवरों में तो वैक्सीन ने काफी अच्छा परिणाम दिया है। डोज बनाने के लिए हम तैयार हैं।इन जानवरों को संक्रमित करता है कोरोना वायरसकोरोनावायरस (सार्स कोव-2) बिल्ली, कुत्ते, हिरण, शेर, बाघ और तेंदुए को संक्रमित करता है। इसके साथ ही मौत का कारण बन सकता है। भारत में शेरों में सार्स कोव-2 डेल्टा (मानव सार्स कोव-2 डेल्टा वेरिएंट के समान) संक्रमण की सूचना भी मिल चुकी है। पशु-से-पशु में इसके और साथ ही मनुष्यों में इसके संचरण को रोकने के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र द्वारा वैक्सीन विकसित की गई है।
बलुवाना न्यूज पंजाब By वनिता कासनियां पंजाब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार के विज्ञानियों ने कुछ समय पहले ही गुजरात के जूनागढ़ में स्थित सक्करबाग चिडिय़ाघर में शेरों को कोरोना की एंकोवेक्स वैक्सीन (पशुओं को कोविड-19 एंटी वैक्सीन) लगाई थीअब इस वैक्सीन की बूस्टर डोज लगने के बाद जानवरों के शरीर में बनी एंटीबाडी के परिणाम चौंकाने वाले आए हैं। जिन पांच जानवरों को चिडिय़ाघर प्रशासन ने उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए दिया था उन सभी की कोविड-19 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ गई। यह क्षमता मानक से भी अधिक पाई गई है। ऐसे में अगर दूसरे चिडिय़ाघर प्रशासन अपने यहां जानवरों को यह वैक्सीन लगवाते हैं तो उन्हें कोविड-19 के प्रति सुरक्षा मिल सकेगी।21 दिन पर लगाई गई थी बूस्टर डोजजानवरों को एंकोवेक्स वैक्सीन की पहली डोज के बाद 21 दिन बाद बूस्टर डोज दी गई। वैक्सीन के चक्र को अब 42 दिन हो चुके हैं। ऐसे में इस प्रक्रिया के तहत हर बार जिन जानवरों को वैक्सीन दी गई उनके खून की सैंपङ्क्षलग कर जांच की गई। जिसमें पाया कि जानवरों में बूस्टर डोज लगने ...